Wednesday, May 31, 2017

देपाल दे - राजपूत राजा ऑफ भावनगर ।

देपाल दे - राजपूत राजा ऑफ भावनगर ।
खेदूतो की जो परिस्थिति है आज देश मे वो बड़ी ही भनायक ओर दयनीय है और सरकार की उनके प्रति जो उदासीन नीतिया है वो ओर भी भयावह है । दिन ब दिन देश के खेदूतो की हालत खराब हो रही है ऐसे माहौल में भावनगर के महाराजा देपाल दे गोहिल को जरूर याद किया जाना चाहिए ।
आज़ादी के बाद लोकशाही प्रथा के लिए देशी राज्यो का विलीनीकरण जरूरी था तब पूरे देश मे सबसे पहले अपना राज्य त्याग देनेवाले भावनगर के महाराजा ओर उनके पूर्वज राजवीओ ने हमेशा लोगो के दिलो पर राज किया है । उसी भावनगर के महाराजा जो कि 1800 गांव के महाराजा थे वो एकबार अपने राज्य की प्रजा की परिस्थिति जान ने के लिए घूमने निकले। जब वो एक खेत के पास से गुजरे तो देखा कि खेत मे खेदुत खेड कर रहा है और देखा तो हल के साथ एक बाजू बैल है और दूसरी बाजू उसकी ओरत को जोता हुआ है । महाराजा ने जाकर उसे रोकने का प्रयाश किया तो खेडूत गुस्सा होकर कह दिया कि मेरे पास ओर बैल नही है और खेती का। समय निकला जा रहा है अगर तुजे दया आ रही है तो तू खुद औरत की जगह हल के साथ जुड़ जा । प्रजा कल्याण ही जिनका कर्तव्य रहा है ऐसे राजपूत ने तुरंत औरत की जगह ले ली और खुद बैल की जगह खेड करने के लिए हल खींचने लगे । बाद में राज्य में जाकर उस खेदुत को नए बैल दिए ।
कथा आगे भी है ।
लोकशाही कभी भी किसी भी हाल में राजशाही की बराबरी नही कर पायेगी ।
। वीर ।

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