उन सभी दोस्तों को समर्पित जो गांव से, अपनो से दूर बसते है ।
दो दिन शादी के माहौल में गुजारते ही गांव की याद आ गई । कल नोकरी जाने के विचार मात्र से मन उदाश हो गया । गांव से दूर रहना, गांव के माहौल से दूर रहना बहोत ही कष्टदायक होता है । जिंदगी ना जाने कहा से कहा ले के आ गई । अब जीना है तो काम भी करना पड़ेगा ये हकीकत को चाहते हुए भी ठुकरा नही शकते है । आज ना जाने क्यों मन अजीब सी बेचैनी महसूस कर रहा है । कभी तो मन करता है कि छोड़कर सबकुछ चले जाय गांव परंतु मन के भावों से जिंदगी जीना भी पॉसिबल नही होता है । वास्तविकता कितनी भी नापसंद हो , कितनी भी कठिन हो पर आपको उसका स्वीकार करना ही पड़ता है ।
अक्षर लोग कहते है कि लड़का गांव से बाहर गया तो सुखी हुआ अब उनको ये कौन समाजये की बहार रहना कितना कष्टदायक होता है । हर पल मन के भावों को मौत देनी पड़ती है ।
अक्षर लोग कहते है कि लड़का गांव से बाहर गया तो सुखी हुआ अब उनको ये कौन समाजये की बहार रहना कितना कष्टदायक होता है । हर पल मन के भावों को मौत देनी पड़ती है ।
। वीर ।
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