Wednesday, May 31, 2017

तकलीफ जिंदगी में कुछ ऐसे ही आती है । जब आप ये पढ़ रहे होंगे तब आप यही महसूस कर रहे होंगे कि ये आपके साथ लाइव हो रहा है और आपको गुस्सा भी आ रहा है ।
आज किसी को मिलना था तो सुबह बाइक लेके निकला । बहुत खुश था पर पता नही था भविष्य के गर्भ में क्या छुपा था ।
बस 15 km दूर गया कि आगे के टायर में पंक्चर हो गया । आधा km गाड़ी घसिड के ले गया और पंक्चर करवा के वहा से निकला ।
अभी थोड़ा ही चला कि कलेज वायर टूट गया । नजदीक ही चार रास्ता था तो वही से नया वायर डलवा दिया और चला ।
आज का दिन पता नही क्यों ऐसा हो रहा था कि थोड़े ही दूर गया और दूसरे टायर में पंक्चर हो गया । नजदीक ही पंक्चर वाला था तो तकक्लिफ़ नही हुई ।
Finally जहा जाना था वहाँ पहोच गया अब मोबाइल निकाला उनको फ़ोन करने के लिए क्योंकि पहेली बार मिल रहे थे जैसे ही फ़ोन लगाने गए बैटरी low ओर मोबाइल बंद । दिमाग मे इतना गुस्सा आया कि एकबार तो सोचा कि मोबाइल को पटक दु लेकिन फिर कंट्रोल किया ।
जैसे तैसे करके नंबर निकाला और अनजान भाई के फ़ोन किया तो वो मुझसे बस कुछ समय पहले ही निकल चुके थे । फाइनली उन्होंने बीच मे 5 मिनिट के लिए मिलने के लिए बोला और हम उस तरफ निकल चुके ।
जहा मिलना था वो जगह सामने ही थी तो खुश होकर जा रहे थे तभी चार रास्ते पे पुलिस वाले ने रोक लिया । बहुत रिक्वेस्ट करने पर भी नही मान रहा था तो 100 रुपया दे दिया और बाइक स्टार्ट किया लेकिन घड़ी में देखा तो आधा घंटा बीत चुका था । एकबार फिर सोचा कि पुलिस वाले को गाड़ी ठोक दु लेकिन कंट्रोल करना पड़ा ।
ये काल्पनिक है और यही आदमी के दुख का कारण भी । ज्यादातर हम दुखी उसी चीजो से होते है जो हक़ीक़त में अस्तित्व में होती ही नही या उस तकलीफ के बारे में सोचकर जो हमने देखी ही नही पर हम सोचते है कि ये हमारे साथ होगा और ऐसे ही हम एक ही तकलीफ के लिए दो बार दुखी होते है एक उसके बारे में सोचकर ओर दूसरी बार जब हकीकत में वो तकलीफ आती है ।
। जय माताजी । । शुभ रात्रि ।

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