श्री कृष्णा ।
बहुत दिनों से सोच रहा था कृष्ण के बारे में लिखने के लिए पर आज एक news देखा की प्रशांत भूषण ने रोमियो के साथ इनकी समानता करके रोमियो को सही साबित करने के लिए इनके चरित्र पर निशान साधा है ।
प्रशांत भूषण जैसे लोग ये कर सकते है क्योंकि हमने आज तक श्री कृष्णा को दुनिया के समक्ष इसी रूप में प्रमोट किया है । जशोदा के लाल से गोपियों संग रास रचने तक ही सिमित रखा है हमने यादव कुलभूषण को । हमारा साहित्य और संगीत, फ़िल्मी गीत हो या भजन हमने इसे इसी रूप में पूजा है । हमने कभी इसको गौ चराने वाला ग्वाला बताया है तो कभी माखन चोरी करने वाला नटखट कन्हैया बताया है । कभी उनसे हमने गोपियों के कपड़ो की चोरी करवाई है तो कभी उनकी मटकी फोड़ने के लिए उनकी शरारत को दिखाया है । हमने कभी कृष्णा को गोकुल से निकलने ही नहीं दिया है । हमारे लिए कृष्णा गोकुल तक सीमित है । हमारी धार्मिक परंपरा हो या जन्मोष्त्व हमने कृष्ण को पालने में झुलाया है । और सायद यही कारण है कि भूषण जैसे लोग उनके चरित्र पर उंगली उठाने की कोशिश कर सकते है ।
मुझे अगर भगवान कृष्ण का कोई रूप पसंद है तो वो है कुरुक्षेत्र के मैदान में धर्म युद्ध का शंखनाद करने वाला या फिर भीष्म पर रथ के पइये को चक्र बनाकर युद्ध का आगाज करने वाला। । हक़ीक़त में कृष्ण की सही पहचान करनी है तो आपको कुरुक्षेत्र की और देखना पड़ेगा । कुरुक्षेत्र के मेदान में युद्ध के लिए खड़े कृष्ण का रूप ही उनके मनुष्य अवतार का सही मकशद और सही पहचान है । लेकिन हमने कुरुक्षेत्र के कृष्ण को कभी बहार ही नहीं आने दिया । शिशुपाल वध से ज्यादा हम रण छोड़कर रणछोड़ कहलाये वो बाते ज्यादा करते है । पुरे महाभारत के महा युद्ध के रचयिता भगवान कृष्ण को हमें कुरुक्षेत्र में भगवद गीता तक सीमित कर दिया है । अर्जुन ने जिस रूप को देखा उस वैष्विक रूप को हमने कभी दुनिया को बताया ही नहीं ।
मुझे अगर भगवान कृष्ण का कोई रूप पसंद है तो वो है कुरुक्षेत्र के मैदान में धर्म युद्ध का शंखनाद करने वाला या फिर भीष्म पर रथ के पइये को चक्र बनाकर युद्ध का आगाज करने वाला। । हक़ीक़त में कृष्ण की सही पहचान करनी है तो आपको कुरुक्षेत्र की और देखना पड़ेगा । कुरुक्षेत्र के मेदान में युद्ध के लिए खड़े कृष्ण का रूप ही उनके मनुष्य अवतार का सही मकशद और सही पहचान है । लेकिन हमने कुरुक्षेत्र के कृष्ण को कभी बहार ही नहीं आने दिया । शिशुपाल वध से ज्यादा हम रण छोड़कर रणछोड़ कहलाये वो बाते ज्यादा करते है । पुरे महाभारत के महा युद्ध के रचयिता भगवान कृष्ण को हमें कुरुक्षेत्र में भगवद गीता तक सीमित कर दिया है । अर्जुन ने जिस रूप को देखा उस वैष्विक रूप को हमने कभी दुनिया को बताया ही नहीं ।
लोकशाही और कानून की कमजोरियों का फायदा उठाकर हमारी संस्कृति और धार्मिकता पर वार करने वाले भूषण जैसो को हमने कृष्ण की राजनैतिक चातुर्य का कभी दर्शन ही नहीं करवाया है । और इसलिए ये लोग बारबार हमारे आराध्य अवतारो पर सवाल खड़े करते है । जिस दिन इन लोगो को कुरुक्षेत्र के कृष्ण या लंका के रण में रावण का वध करने के लिए धनुष्य उठानेवाले राम या अपने नहोर से हिरण्य कश्यप को चीर देने वाले नरसिंह भगवान के दर्शन होंगे उसके बाद उनकी हिम्मत नहीं होगी इस तरह के सवाल उठाने की ।
लेखन :- वीर Dated:- 03/04/2017
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