Wednesday, May 31, 2017

बचपन मे शिक्षा की गंभीरता " शिक्षा या सजा "

बचपन मे शिक्षा की गंभीरता " शिक्षा या सजा "
एक बात पहले लिख देता हूं कि मेरी daughter का रिजल्ट 67% है दूसरी कक्षा में ओर में उसको ध्यान में नही ले रहा हु ओर ना ही में उसकी पढ़ाई को अभी गंभीरता से ले रहा हु ओर उसकी स्कूल ने मुजे एक बेजवाबादार पररेंट्स की श्रेणी में पहले से रख दिया है पर मुजे कोई फर्क नही पड़ता ओर ना ही मेरी बेटी के प्रति मेरे प्रेम में इस चीज से कोई फर्क नही पड़ता ।
ये बात इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि कुछ दिनों से बहोत से लोको ने अपने बच्चों के रिजल्ट को फेसबुक और वॉट्सऐप पर शेयर किया है जिसमे ज्यादातर बच्चो के 90% से ऊपर है जो दूसरी या तीसरी या बाल मंदिर मे है । इसके बावजूद भी मुजे कभी ऐसा नही लग रहा है कि ये कोई चिंता करने की बात हो मेरे लिए लेकिन जो लोगो ने ये फोटो अपलोड की है उनको ओर उनके जैसे कई माता पिता के लिए कुछ ।
आपके बच्चों ने इतना अस्सा रिजल्ट लाया है इसके लिए अभिनंदन ओर आपको गर्व करने वाली बात है लेकिन क्या ये 90% रिजल्ट हमारे बच्चों की योग्यता का आकलन करने का एकमात्र मापदंड है ?? हा जैसे ही आपको पता चला कि आपके बच्चे ने दूसरी या तीसरी कक्षा में 90% से ऊपर अंक प्राप्त किये है और आप उस पर गर्व ले रहे है और उस चीज पर गंभीर है तो ये आनेवाले समय के लिए निराशा को जन्म देनेवाली बात होगी । बचपन है अभी उनका , खेलने दो उनको, जीने दो उनको उनका बचपन , जैसे ही आप इस अंको को गंभीरता से लेंगे आपकी अपेक्षाएं बढ़ती जाएंगी और आगे जा के जब आप का बच्चा इतना ऊंचा रिजल्ट नही लाएगा उस वक़्त आप की आपके बच्चे के प्रति जो अपेक्षाएं होगी उसमे त्रुटि नजर आएगी और वही से शुरू होगा संघर्ष दो जनरेशन के बीच । मत देखो आपके बच्चों का रिजल्ट अगर वो primary स्कूल में है । क्योंकि ये वक़्त उनकी जिंदगी का वो वक़्त है जो अगर इस रिजल्ट के अंकों में उलझ कर दब गया तो वो जिंदगीभर उठ नही पायेगा । आपकी अपेक्षाए आपके बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा को जन्म देगी और उनका बचपन इस आग में जलकर राख हो जाएगा ।
। वीर ।

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