Wednesday, May 31, 2017

आज एक वीडियो देखा जिसमे हमारे भारतीय सैनिक रास्ते से गुजर रहे है तब उनके आसपास बहोत सारे युवा उनके आगे पीछे चलते है कोई कुछ बोल रहा है तो कोई सैनिक को थप्पड़ मार रहा है । कोई तो लात मारके सैनिक का हेलमेट ही गिरा देता है लेकिन सैनिक एक भी शब्द बोले बिना , कोई जवाब दिए बिना चले जा रहे है । वो किसी भी प्रकार से प्रत्याघात नही दे रहे है । अजीब लगा ये देख के । क्या कहेंगे इसे विवशता या मजबूरी ।?
मैने कभी कभी सामान्य जिंदगी में देखा है कोई गुन्हेगार को आम जनता ऐसे ही पिटती है तब वो गुन्हेगार बिना किसी प्रतिउत्तर के सहन करके वहा से निकल जाना पसंद करता है । क्या उस सड़क छाप गुन्हेगार ओर हमारे सैनिको में कोई फर्क नही है ।
किसी नेता पर जब कोई जूता या स्याही फेकता है या किसी को कोई थप्पड़ मार देता है तो तुरंत उसको गिरफ्तार किया जाता है तो सैनिक को लात मारने वाले को क्यों नही ????
अपनी हर नाकामयाबी को छुपाने के लिए या नॉट बंधी के वक़्त या फिर हर एक कार्य मे सैनिको के नाम का उपयोग करने वाली सरकार आज सैनिको के साथ हो रहे ऐसे कृतघ्न कार्य के खिलाफ क्यों चुप है ?? पाकिस्तान में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले सैनिको का पूरा श्रेय अपने पर लेनेवाले नेता आज सैनिको का नाम भी नही लेते दिखता । अपनी हर पोस्ट पर सैनिको की दुहाई देने वाले भक्तजन आज चुप है ।
Actully उस वीडियो में जो दिख रहा है वो बता रहा है कि हमारे ही देश मे हम कितनी मजबूरियों के साथ जी रहे है । हर वक़्त समझौता करने पर हैम हर बार मजबूर है या फिर किये जा रहे है । सत्ता का ऐसा गंदा खेल सायद ही दुनिया के किसी ओर देश मे खेला जाता होगा । जिसके हाथ में बंदूक होते हुए भी किसी की लात खाकर चुपचाप चलते वक़्त दिल और दिमाग की हालत कैसी होगी वो समजना हमारी कैपिसिटी के बाहर की बात है । और अगर ऐसा ही चलता रहा तो सायद वो समय दूर नही जब इस देश पर हिजड़े विदेशी राज करते होंगे ।
अंत मे
गांधी का देश है और उन्होंने कहा था कि कोई आपके एक गाल पर तमाचा मारे तो दूसरा गाल आगे कर दो हकीकत में हमने गांधी को यही तक सीमित कर दिया आगे सुना ही नही क्योंकि उनका सीधा अर्थ यही होता है कि अगर वो दूसरे गाल पे भी तमाचा मारे तो तीसरी बार वो हाथ ही तोड दो क्योंकि अब आपके पास आगे धरने के लिए तीसरा गाल है ही नही । स्वयम कुछ हद तक ठीक है , क्षमा की भी एक हद होती है और जब कोई इस सीमा का उल्लंघन करता है तो उसको दंडित करने ही मनुष्य धर्म है यही गीता में भगवान ने कहा है । आशा करते है कि हमारी सेना अपने फैसले खुद करे और अपने स्वमान की रक्षा करे क्योंकि देश मे सत्ता पर बैठे हिजड़ो से किसी भी प्रकार की अपेक्षा रखना मूर्खता होगी ।
लेखन :- वीर Dated:13/04/2017

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