आदरणीय Nagindas Sanghviji..Nd Divya bhaskar news ।
आपका कल के दिव्य भास्कर में छपा लेख पढ़ा । आपका कहना है कि अकबर ओर महाराणा प्रताप की comperision नही हो सकती है । आपकी इस बात के साथ मे पूरी तरह सहमत हूं । आपने अपने क्षत्रियो के प्रति जो पूर्वग्रह है उसका प्रदर्शन किया लेकिन ये बात सही लिख दी क्योंकि एक लुटेरे, घातकी , हत्यारे विदेशी मोगल अकबर की तुलना महान शूरवीर ओर देशभक्त जिन्होंने अपना सर्वस्व देश और प्रजा के लिए बलिदान कर दिया ऐसे महावीर हिन्दू सूर्यवीर महाराणा प्रताप के साथ कभी नही हो सकती है । अरे सर महाराणा तो दूर की बात है लेकिन अकबर ओर किसी भी मोगल की तुलना हमारे किसी हिंदुस्तानी मांस भक्षी कुत्तो से भी नही हो सकती क्योंकि की वफादारी नाम की चीज भी होती है उस जानवर में ।
आपने ओर लिखा है कि अकबर बडी सल्तनत का बादशाह था और महाराणा प्रताप के पास खाली चितोड़ था लेकिन फिर भी वो अकबर उस छोटे से चितोड़ को कभी जीत नही पाया । महाराणा की एक हार आखरी फैसला कभी नही बना । वो लड़े , लगातार लड़े अपनी प्रजा के लिए, अपनी मातृभूमि ओर अपनी संस्कृति के लिए आखरी सांस तक लड़े ओर उनकी इस लड़त की चरम सीमा हल्दीघाटी से अकबर को वापिस भेजने के लिए काफी थी । लिखने से पहले आपने थोड़ा भी सोचा नही की कैसे अकबर की 1 लाख की तोपों से सज्ज सेना से सिर्फ तलवारों ओर अपने अदम्य साहस के साथ 20000 राजपूत लड़े होंगे । उनके बारे में कुछ लिखने से पहले आपजो जोहर कुंड के दर्शन कर लेने थे । कैसे अपनी नाजुक काया को आग के हवाले किया होगा उन क्षत्राणियो ने । आपने लिखा कि आप नही मानते आदर्श महाराणा प्रताप को इसमें कोई नई बात नही है क्योंकि गिधडॉ का आदर्श कभी शेर नही हो सकते है क्योंकि उनमें इतनी हिमत ही नही होती कि वो ऐसे शूरवीरों के रास्ते को पसंद करें ।
अंत मे .....
कोई हैरानी नही हुई आपका लेख पढ़के , बुरा लगा लेकिन फिर सोचा कि आप जैसे लोगो से ओर क्या अपेक्षा रख सकते है क्योंकि मैंने एक लेखक के हिसाब से आपका नाम पहेली बार सुना और सायद किसी गुजराती के लिए ये पहेली बार होगा इसलिए आप जैसे लोगो अपनी ख्याति बढ़ाने के लिए स्वतंत्र अभिव्यक्ति के नाम पर बार बार महापुरुषों पर कीचड़ उछालने की कोशिश करते है और इसके पीछे आपकी मंछा सिर्फ ख्याति प्राप्त करने के अलावा कुछ नही होती ।
जय महाराणा ।
। वीर ।
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