पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
हवे तो युद्ध एज कल्याण........
कश्मीर जा रहा है हाथो से निकल,
चीन जा रह है अरुणाचल को निगल,
चारो और से हड़प रहे है अंग भारतमात का,,
बचाना है अगर भरतखंड को टूटने से,
धरती कर रही है पुकार के.......,
पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
हवे तो युद्ध एज कल्याण.........
राज कर रहे है जो राजधानी से ,
मोज कर रहे है वो अपनी मनमानी से,
छोड़कर कम राज का लगे है सब खींचातानी मै
कौन समजाये उनको बरसो लगे है आज़ादी पाने मई,
फिर से जक्कड़ न ले जंजीरे गुलामी की ,
आज़ाद रखना है वतन को अगर....,
पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
हवे तो युद्धा एज कल्याण..........
मचा रखा है आतंक चारो और आतंकियो ने,
शोर मचा रहे है तोड़ने भारतको उग्रवादियो ने,
कही पर नक्सली, कही पर खड़े है माओ,
भारती कर रही है पुकार मुझे बचाओ,
अगर बचानी है लाज आज लुन्ताने से......,
पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
हवे तो युद्ध एज कल्याण.............
ब्लास्ट और गोलियों की बरसात है,
खौफ से डरा हुआ आज प्र हिंदुस्तान है,
चाहते हो अगर बेख़ौफ़ भविष्य इस देश का,
मिटटी कर रही है पुकार..............,
पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
हवे तो युद्ध एज कल्याण...........
જય શ્રી કૃષ્ણ
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