Wednesday, May 31, 2017

जगत नो तात - पिता, भरण पोषण करनेवाला ।
सरदार पटेल ने कहा था अगर इस धरती पे छिना तान के चलने का हक़ अगर किसी को है तो वो खेडूत को ही है ।
भगवान ने दुनिया का सर्जन किया और उस दुनिया को आगे चलाने के लिए दुनिया को माँ की भेंट दी । हम अक्षर कहते है कि भगवान हर जगह नहीं पहोच सकता इसलिए उसने माँ का सर्जन किया । ये जितना सच और महत्वपूर्ण है उतना ही सच ये कहना होगा की भगवान हर किसी को खाना नहीं दे सकता इसलिए उसने खेडूत का सर्जन किया । शारीरिक अथाग परिश्रम और असफल होने का सबसे ज्यादा मानसिक बौज लेकर जीनेवाला खेडूत फसल ऊगा के इस दुनिया को खाना खिलाता है । जहाँ आज हम वाइट कॉलर जॉब के पीछे भाग रहे है वही खेडूत दिन ब दिन कम होते जा रहे है । ये दुनिया का अकेला इंसान होगा जिसके हिस्से में कभी कभी उसका पैदा किया हुआ खाना भी नसीब नहीं होता । ठंडी, गरमी या बरसात में अपनी चिंता ना करते हुए खेदुत दिन रात महेनत करके इस दुनिया को वो चीज देते है जिस पर पूरा जीवन निर्भर है लेकिन समय की बलिहारी है कि अब कोई खेती करना नहीं चाहता वहा तक की खेडूत खुद नहीं चाहता की उनके बच्चे उसकी तरह खेती करके जिंदगी भर कर्ज के नीचे दबकर घुटन भरी जिंदगी जिए । बेशक देश की आज़ादी के तुरंत बाद देश की सरकार ने खेती लक्षी योजनाये बनायीं थी लेकिन 1991 के बाद औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई और सरकारों ने खेती के प्रति ध्यान देना बंद कर दिया । खेदुत की दशा दिन ब दिन इतनी बिगड़ती गई की वो आत्महत्या करने पर मजूबर हो गए । गूगल गुरु की मदद से लिए गए कुछ रिजल्ट फोटो में है जिसे देखने के बाद हम अंदाजा लगा सकते है कि खेडूत की हालत कैसी होगी । personally भी मैं गांव से belongs करता हु तो पता है की गावो में खेडूत की हालत कैसी है ।
इतना कम है तो अब एक नया तमाशा शुरू किया है हमारे नेता और उनकी पार्टी के सपोर्टर ने । अपनी नाकामयाबी को छुपाने के लिए देश में आजकल एक फैशन चल रही है । किसी भी मुद्दे के साथ सेना और खेडूत को जोड़ कर लोगो की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने की लगातार कोशिश की जा रही है । जब दूध या उनकी बनावट या फिर सब्जी के दाम बढ़ते है और उसका विरोध होता है तो नेता और उनके लोगो द्वारा एक भावनात्मक msg घुमाया जाता है ।
सिनेमा की टिकिट के भाव से तकलीफ नहीं है, बीड़ी सिगरेट की कीमत से तकलीफ नहीं है तो दूध और सब्जी के दाम बढ़ने से क्यों चिल्ला रहे हो ।
अब ये msg घुमाने वालो को सायद पता भी नहीं होगा की ये जो दाम बढ़ाये जाते है वो कंपनी या व्यपारियो के द्वारा बढ़ाये जाते है और मुझे नहीं लगता कि इस बढे हुए दाम का फायदा किसी खेडूत को मिलता हो । अपनी नाकामयाबी को छुपाने के लिए खेडूत का सहारा लेने वाले इन नेताओं को सत्ता के अलावा कुछ नहीं दिखता लेकिन हम जनता कमसे कम उनके बारे में सोचेंगे तो सायद उनका भला हो सकेगा । वरना जिस तरह से आत्महत्या के अंक बढ़ रहे है ऐसा ना ही की हमारी आनेवाली पीढ़ी खेडूत को किसी म्यूसियम में देखे और कहे की इस धरती पर कभी खेडूत नाम के परोपकारी प्राणी का अस्तित्व था ।
औद्योगिक विकास। किसी भी देश के विकास के लिए जरुरी है लेकिन वो खेती को खत्म करके नहीं होना चाहिए ।
लेखन :- वीर Dated :- 31/03/2017

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