लघुमति तृस्टिकरण ही कांग्रेस की कबर खोदने वाली है । आखिर समझ मे ये नही आता कि कैसे इस पार्टी ने 60 साल तक शासन किया है । सायद लगता है कि अस्से लीडर की कमी आज कोंग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी बन गईं है । लगातार अपना अस्तित्व खो रही कोंग्रेस अंतिम श्वास ले रही है और इतनी बड़ी पार्टी के एक भी नेता की बुद्धि नही चलती है कि सिर्फ लघुमति तृस्टिकरण कभी भी सत्ता पर नही बिठा पाएगी उनको । एक तरफ विरोध पक्ष का गला घोंटने ला लगातार प्रयाश हो रहा है सरकार द्वारा ताकि वो अमर्याद सत्ता का लूप उठा शके जो कि लोकतंत्र के लिए घातक साबित होगा क्योंकि विरोध पक्ष लोकतंत्र में एक एहम कड़ी है । कमजोर विरोधपक्ष सरकार को कभी सही निर्णय लेने में मददरूप साबित नही हो सकता । ये जरूरी है कि अगर आपको सत्ता में रहना है तो सर्व हिताय की ही बात करनी पड़ेगी लेकिन कोंग्रेस की गंदी राजनीति के कारण हालात ये है कि बहुमती भारतीय का तो एक वोट उसे नही मिलेगा लेकिन वो लघुमति को भी संभाल नही पाएगी क्योंकि सिर्फ तृस्टिकरण लोगो को लंबे समय तक प्रभावित नही कर सकता है ।
मोदी सरकार की कुछ नीतिओ के कारण लोगो का रुख बदल रहा है था कि कांग्रेस ने फिर उसकी गंदी राजनीति और तृस्टिकरण को दिखा दिया । केरल की घटना के बाद आनेवाले एक भी चुनाव में अगर कांग्रेस एक भी बैठक पर जीत हासिल करती है तो बो बाद आश्रर्य होगा । एक समर्थ व्यक्ति जब दुर्बल व्यक्ति के आधारित हो जाता है तब उसके अस्तित्व पर प्रश्नार्थ लग जाता है ठीक ऐसा ही कांग्रेस ने किया है । वर्तमान राजकरण प्रजाहित की बजाय व्यक्तिगत विरोध का रूप ले चुका है । एक तरफ भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत अभियान है तो दूसरी ओर सारे पक्ष मिलकर सिर्फ और सिर्फ मोदी का विरोध करने में जुटे हुए है और इसी घमासान में प्रजा को नजर अंदाज किया जा रहा है ।
तकिया कलम :-
विरोध का आलम कुछ इस तरह है कि अगर मोदी कह दे कि जाने के बाद पानी से साफ करनी चाहिए तो ये लोग ..........
। वीर ।
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