भावनात्मकता हम भारतीयों की कमजोरी है और व्यक्तिपूजा हमारे खून में है चाहे वो नेहरू हो या मोदी । भारतीय राजकारणी अस्सी तरह से जानते है कि लोगो की भावनाओं का लाभ कैसे उठाया जाए । बेसक सनातन धर्म का उदय होते हुए देख रहे है सब लेकिन जो कभी अस्त ही नहीं हुआ उसको उदय होनी की जरुरत ही क्या है । सनातन धर्म कल भी मध्याह्न के सूरज की माफिक तप रहा था और आज भी । मात्र केवल एक हप्ते में लिए गए कुछ उत्तेजक निर्णयों के आधार पर ही सनातन धर्म का उदय स्वीकार्य है तो इसका उदय बाबरी ध्वंश से ही माना जाना चाहिए । चंद बूचड़खाने बंद करवाना ही मापदंड नहीं होना चाहिए सनातन धर्म के उदय के लिए । और बात जब हम सनातन धर्म की करे तो क्या किसी को पशु की जान लेने के लिए संविधानिक अनुमति दे सकते है क्या ?? सिर्फ असंवैधानिक भुचडखाने बंद करवाना मात्र ही सनातन का उदय मानना उन हजारो पशुओं के प्रति हमारी रुस्थता ही होगी जो अब संविधानिक कत्लखानो में काटे जायेंगे ।
Wednesday, May 31, 2017
जगत नो तात - पिता, भरण पोषण करनेवाला ।
सरदार पटेल ने कहा था अगर इस धरती पे छिना तान के चलने का हक़ अगर किसी को है तो वो खेडूत को ही है ।
भगवान ने दुनिया का सर्जन किया और उस दुनिया को आगे चलाने के लिए दुनिया को माँ की भेंट दी । हम अक्षर कहते है कि भगवान हर जगह नहीं पहोच सकता इसलिए उसने माँ का सर्जन किया । ये जितना सच और महत्वपूर्ण है उतना ही सच ये कहना होगा की भगवान हर किसी को खाना नहीं दे सकता इसलिए उसने खेडूत का सर्जन किया । शारीरिक अथाग परिश्रम और असफल होने का सबसे ज्यादा मानसिक बौज लेकर जीनेवाला खेडूत फसल ऊगा के इस दुनिया को खाना खिलाता है । जहाँ आज हम वाइट कॉलर जॉब के पीछे भाग रहे है वही खेडूत दिन ब दिन कम होते जा रहे है । ये दुनिया का अकेला इंसान होगा जिसके हिस्से में कभी कभी उसका पैदा किया हुआ खाना भी नसीब नहीं होता । ठंडी, गरमी या बरसात में अपनी चिंता ना करते हुए खेदुत दिन रात महेनत करके इस दुनिया को वो चीज देते है जिस पर पूरा जीवन निर्भर है लेकिन समय की बलिहारी है कि अब कोई खेती करना नहीं चाहता वहा तक की खेडूत खुद नहीं चाहता की उनके बच्चे उसकी तरह खेती करके जिंदगी भर कर्ज के नीचे दबकर घुटन भरी जिंदगी जिए । बेशक देश की आज़ादी के तुरंत बाद देश की सरकार ने खेती लक्षी योजनाये बनायीं थी लेकिन 1991 के बाद औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई और सरकारों ने खेती के प्रति ध्यान देना बंद कर दिया । खेदुत की दशा दिन ब दिन इतनी बिगड़ती गई की वो आत्महत्या करने पर मजूबर हो गए । गूगल गुरु की मदद से लिए गए कुछ रिजल्ट फोटो में है जिसे देखने के बाद हम अंदाजा लगा सकते है कि खेडूत की हालत कैसी होगी । personally भी मैं गांव से belongs करता हु तो पता है की गावो में खेडूत की हालत कैसी है ।
इतना कम है तो अब एक नया तमाशा शुरू किया है हमारे नेता और उनकी पार्टी के सपोर्टर ने । अपनी नाकामयाबी को छुपाने के लिए देश में आजकल एक फैशन चल रही है । किसी भी मुद्दे के साथ सेना और खेडूत को जोड़ कर लोगो की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने की लगातार कोशिश की जा रही है । जब दूध या उनकी बनावट या फिर सब्जी के दाम बढ़ते है और उसका विरोध होता है तो नेता और उनके लोगो द्वारा एक भावनात्मक msg घुमाया जाता है ।
सिनेमा की टिकिट के भाव से तकलीफ नहीं है, बीड़ी सिगरेट की कीमत से तकलीफ नहीं है तो दूध और सब्जी के दाम बढ़ने से क्यों चिल्ला रहे हो ।
अब ये msg घुमाने वालो को सायद पता भी नहीं होगा की ये जो दाम बढ़ाये जाते है वो कंपनी या व्यपारियो के द्वारा बढ़ाये जाते है और मुझे नहीं लगता कि इस बढे हुए दाम का फायदा किसी खेडूत को मिलता हो । अपनी नाकामयाबी को छुपाने के लिए खेडूत का सहारा लेने वाले इन नेताओं को सत्ता के अलावा कुछ नहीं दिखता लेकिन हम जनता कमसे कम उनके बारे में सोचेंगे तो सायद उनका भला हो सकेगा । वरना जिस तरह से आत्महत्या के अंक बढ़ रहे है ऐसा ना ही की हमारी आनेवाली पीढ़ी खेडूत को किसी म्यूसियम में देखे और कहे की इस धरती पर कभी खेडूत नाम के परोपकारी प्राणी का अस्तित्व था ।
औद्योगिक विकास। किसी भी देश के विकास के लिए जरुरी है लेकिन वो खेती को खत्म करके नहीं होना चाहिए ।
लेखन :- वीर Dated :- 31/03/2017
श्री कृष्णा ।
बहुत दिनों से सोच रहा था कृष्ण के बारे में लिखने के लिए पर आज एक news देखा की प्रशांत भूषण ने रोमियो के साथ इनकी समानता करके रोमियो को सही साबित करने के लिए इनके चरित्र पर निशान साधा है ।
प्रशांत भूषण जैसे लोग ये कर सकते है क्योंकि हमने आज तक श्री कृष्णा को दुनिया के समक्ष इसी रूप में प्रमोट किया है । जशोदा के लाल से गोपियों संग रास रचने तक ही सिमित रखा है हमने यादव कुलभूषण को । हमारा साहित्य और संगीत, फ़िल्मी गीत हो या भजन हमने इसे इसी रूप में पूजा है । हमने कभी इसको गौ चराने वाला ग्वाला बताया है तो कभी माखन चोरी करने वाला नटखट कन्हैया बताया है । कभी उनसे हमने गोपियों के कपड़ो की चोरी करवाई है तो कभी उनकी मटकी फोड़ने के लिए उनकी शरारत को दिखाया है । हमने कभी कृष्णा को गोकुल से निकलने ही नहीं दिया है । हमारे लिए कृष्णा गोकुल तक सीमित है । हमारी धार्मिक परंपरा हो या जन्मोष्त्व हमने कृष्ण को पालने में झुलाया है । और सायद यही कारण है कि भूषण जैसे लोग उनके चरित्र पर उंगली उठाने की कोशिश कर सकते है ।
मुझे अगर भगवान कृष्ण का कोई रूप पसंद है तो वो है कुरुक्षेत्र के मैदान में धर्म युद्ध का शंखनाद करने वाला या फिर भीष्म पर रथ के पइये को चक्र बनाकर युद्ध का आगाज करने वाला। । हक़ीक़त में कृष्ण की सही पहचान करनी है तो आपको कुरुक्षेत्र की और देखना पड़ेगा । कुरुक्षेत्र के मेदान में युद्ध के लिए खड़े कृष्ण का रूप ही उनके मनुष्य अवतार का सही मकशद और सही पहचान है । लेकिन हमने कुरुक्षेत्र के कृष्ण को कभी बहार ही नहीं आने दिया । शिशुपाल वध से ज्यादा हम रण छोड़कर रणछोड़ कहलाये वो बाते ज्यादा करते है । पुरे महाभारत के महा युद्ध के रचयिता भगवान कृष्ण को हमें कुरुक्षेत्र में भगवद गीता तक सीमित कर दिया है । अर्जुन ने जिस रूप को देखा उस वैष्विक रूप को हमने कभी दुनिया को बताया ही नहीं ।
मुझे अगर भगवान कृष्ण का कोई रूप पसंद है तो वो है कुरुक्षेत्र के मैदान में धर्म युद्ध का शंखनाद करने वाला या फिर भीष्म पर रथ के पइये को चक्र बनाकर युद्ध का आगाज करने वाला। । हक़ीक़त में कृष्ण की सही पहचान करनी है तो आपको कुरुक्षेत्र की और देखना पड़ेगा । कुरुक्षेत्र के मेदान में युद्ध के लिए खड़े कृष्ण का रूप ही उनके मनुष्य अवतार का सही मकशद और सही पहचान है । लेकिन हमने कुरुक्षेत्र के कृष्ण को कभी बहार ही नहीं आने दिया । शिशुपाल वध से ज्यादा हम रण छोड़कर रणछोड़ कहलाये वो बाते ज्यादा करते है । पुरे महाभारत के महा युद्ध के रचयिता भगवान कृष्ण को हमें कुरुक्षेत्र में भगवद गीता तक सीमित कर दिया है । अर्जुन ने जिस रूप को देखा उस वैष्विक रूप को हमने कभी दुनिया को बताया ही नहीं ।
लोकशाही और कानून की कमजोरियों का फायदा उठाकर हमारी संस्कृति और धार्मिकता पर वार करने वाले भूषण जैसो को हमने कृष्ण की राजनैतिक चातुर्य का कभी दर्शन ही नहीं करवाया है । और इसलिए ये लोग बारबार हमारे आराध्य अवतारो पर सवाल खड़े करते है । जिस दिन इन लोगो को कुरुक्षेत्र के कृष्ण या लंका के रण में रावण का वध करने के लिए धनुष्य उठानेवाले राम या अपने नहोर से हिरण्य कश्यप को चीर देने वाले नरसिंह भगवान के दर्शन होंगे उसके बाद उनकी हिम्मत नहीं होगी इस तरह के सवाल उठाने की ।
लेखन :- वीर Dated:- 03/04/2017
रामनवमी के शुभ अवसर पर राक्षसी विचार के साथ नेगेटिव पोस्ट ।
आशा करते है और आज रामनवमी के दिन मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम से प्रार्थना करते है कि आनेवाले समय में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो जाये, देश में गौ हत्या पर प्रतिबन्ध के साथ ऐसा करने वालो को कड़क सजा के लिए कानून बने, गाय को राष्ट्रीय पशु जाहिर किया जाये, बांग्लादेशी घुस पेथिये अपने देश खदेड़ दिए जाये, हिंदुस्तानी मुसलमान वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाते हुए बकरी ईद के दिन मिठाई वहेचके जिव हत्या पर रोक लगाए , योग करे और अपने बच्चों को उर्दू के साथ संस्कृत सिखाये, कुरान के साथ रामायण और गीता के पाठ हो, भूषण जैसे लोग देश छोड़कर जा चुके हो । लव जिहाद खत्म हो चुकी हो ।
अब विचार ये आ रहा है कि अगर ये सब हो गया तो फिर हिंदूवादी संगठन और संस्थाएं और उनके नेताओ के साथ उनके अनुयायी क्या करेंगे ??? वो तो बिना काम के हो जायेंगे उनके पास कोई काम ही नहीं रहेगा । सारे संगठन और संस्थाएं बंद हो जायेगी फिर उनके नेता क्या करेंगे । क्या वो संन्यास लेके हिमालय चले जायेंगे या फिर समाधी लगा के श्री राम के दर्शन के लिए भक्तिमय हो जायेंगे । विकास का मुद्दा काम नहीं कर रहा है ऐसा लगने पर राजनैतिक पार्टीया किसका सहारा लेंगे । राम मंदिर बन जाने के बाद वाद प्रतिवाद में व्यस्त रहते नेता लोग अंदर ही अंदर घुटन महसूस करेंगे । लघुमति के साथ होने का दावा करने वाले सेक्युलर के पास विरोध करने के लिए कोई मुद्दा ही नहीं बचेगा ।
बहुत ही कड़वा सच है क्या हक़ीक़त में कुछ लोग चाहते है कि राम मंदिर बने, गौ हत्या पर प्रतिबन्ध लग जाये , और ये वो लोग भी हो सकते है जो अपने आपको कट्टर हिन्दू बता रहे है या सालो से राम मंदिर निर्माण के लिए लड़ने का दावा कर रहे है , अपने आपको हिन्दुओ के संरक्षक मानने वाले भी हो सकते है या फिर सेक्युलारिसम पर बात बात पर राजनैतिक इशू बनाने वाले बाबर के वंशज भी हो सकते है ।
राम मंदिर सनातन धर्म की आस्था का प्रतिक है और उसे उनके जन्मस्थल पर बनाने का विरोध करनेवाले लोग चाहे किसी भी धर्म के हो वो जाने अनजाने में देश द्रोह ही कर रहे है । राम सिर्फ किसी एक धर्म के भगवान से भी ज्यादा एक सर्व स्वीकार्य राजा थे और एक सुशान देनेवाला राजा सभी धर्म और प्रजाति के लिए आदरणीय होता है । प्रजावत्सलता जिनके राज्य की पहचान हो ऐसे अयोध्या नरेश के मंदिर का निर्माण भारत में रहने वाले हर भारतीय के लिए पहेली पसंद होना चाहिए ।
आओ सभी राजनैतिक पार्टियों और धार्मिक संगठनो की सहाय के बिना सिर्फ प्रजा के प्रयत्नों से राम मंदिर का निर्माण करने के प्रयाश करे ।
जय श्री राम ।
सेल्स & मार्केटिंग ।
वैसे ये subject के बारे में लिखने का दुःसाहस कर रहे है क्योंकि ना हमने mba किया है या नाही कोई मार्केटिंग का course इसलिए इस विषय पर लिखना बस एक बालीस प्रयास होगा ।
वैसे तो ये दो शब्द अलग अलग है लेकिन एक दूसरे के पर्याय है । आप आपकी कोइ चीज बेचने हेतु ही उसका मार्केटिंग करते हो या मार्केटिंग करोगे तो आपकी वस्तु या प्रोडक्ट बिकेगी ।
जनरली जब हम किसी कस्टमर के पास जाते है तो एक ही काम करते है और वो ये की हम हमारी प्रोडक्ट को सबसे श्रेष्ठ बताते है । और इसी कारण कभी कभी हम कुछ ज्यादा ही बता देते है मतलब की जो रियल में प्रोडक्ट होती ही नही वो भी घुसेड़ देते है बिना ये जाने की सामने वाला कस्टमर इसी टाइप की प्रोडक्ट के बारे में क्या जानता है या टेक्निकल नॉलेज कितना है और इसकी वजह से कभी कभी हम फस जाते है अगर सामने से कोई ऐसा सवाल आता है जिसका जवाब हमारी कैपिसिटी के बाहर होता है और परिणाम ये आता है कि हम उस कस्टमर को कन्विंस नही कर पाते है । कभी कभी कस्टमर हमारी बताई हुई खासियत में से ही सवाल खड़े कर देते है प्रोडक्ट के बारे में जिसका जवाब हमारे पास नही होता । ये तरीका उसी जगह काम आ सकता है जहाँ कस्टमर उस प्रॉडक्ट में नया हो या फिर उसके पास टेक्निकल नॉलेज ना हो लेकिन ये जान ने के लिए शर्त ये है कि पहले आप उनको सुनो ओर सबसे बड़ी बात की आपकी प्रोडक्ट की क्वालिटी की जितनी भी बात करो लेकिन एक दो चीज ऐसी भी बताओ जो आपकी प्रोडक्ट में ना हो इससे एक तो अगर वो टेक्निकल नॉलेज होगा तो भी उसके सवाल का जवाब आपके पास होगा और दूसरी बात की उसको आप पर ट्रस्ट भी रहेगा ।
वैसे तो ये दो शब्द अलग अलग है लेकिन एक दूसरे के पर्याय है । आप आपकी कोइ चीज बेचने हेतु ही उसका मार्केटिंग करते हो या मार्केटिंग करोगे तो आपकी वस्तु या प्रोडक्ट बिकेगी ।
जनरली जब हम किसी कस्टमर के पास जाते है तो एक ही काम करते है और वो ये की हम हमारी प्रोडक्ट को सबसे श्रेष्ठ बताते है । और इसी कारण कभी कभी हम कुछ ज्यादा ही बता देते है मतलब की जो रियल में प्रोडक्ट होती ही नही वो भी घुसेड़ देते है बिना ये जाने की सामने वाला कस्टमर इसी टाइप की प्रोडक्ट के बारे में क्या जानता है या टेक्निकल नॉलेज कितना है और इसकी वजह से कभी कभी हम फस जाते है अगर सामने से कोई ऐसा सवाल आता है जिसका जवाब हमारी कैपिसिटी के बाहर होता है और परिणाम ये आता है कि हम उस कस्टमर को कन्विंस नही कर पाते है । कभी कभी कस्टमर हमारी बताई हुई खासियत में से ही सवाल खड़े कर देते है प्रोडक्ट के बारे में जिसका जवाब हमारे पास नही होता । ये तरीका उसी जगह काम आ सकता है जहाँ कस्टमर उस प्रॉडक्ट में नया हो या फिर उसके पास टेक्निकल नॉलेज ना हो लेकिन ये जान ने के लिए शर्त ये है कि पहले आप उनको सुनो ओर सबसे बड़ी बात की आपकी प्रोडक्ट की क्वालिटी की जितनी भी बात करो लेकिन एक दो चीज ऐसी भी बताओ जो आपकी प्रोडक्ट में ना हो इससे एक तो अगर वो टेक्निकल नॉलेज होगा तो भी उसके सवाल का जवाब आपके पास होगा और दूसरी बात की उसको आप पर ट्रस्ट भी रहेगा ।
हम अभी सिख रहे है ये सब ओर हम भी कभी कभी फसे है सुरुआत में ।
तकलीफ जिंदगी में कुछ ऐसे ही आती है । जब आप ये पढ़ रहे होंगे तब आप यही महसूस कर रहे होंगे कि ये आपके साथ लाइव हो रहा है और आपको गुस्सा भी आ रहा है ।
आज किसी को मिलना था तो सुबह बाइक लेके निकला । बहुत खुश था पर पता नही था भविष्य के गर्भ में क्या छुपा था ।
बस 15 km दूर गया कि आगे के टायर में पंक्चर हो गया । आधा km गाड़ी घसिड के ले गया और पंक्चर करवा के वहा से निकला ।
अभी थोड़ा ही चला कि कलेज वायर टूट गया । नजदीक ही चार रास्ता था तो वही से नया वायर डलवा दिया और चला ।
आज का दिन पता नही क्यों ऐसा हो रहा था कि थोड़े ही दूर गया और दूसरे टायर में पंक्चर हो गया । नजदीक ही पंक्चर वाला था तो तकक्लिफ़ नही हुई ।
Finally जहा जाना था वहाँ पहोच गया अब मोबाइल निकाला उनको फ़ोन करने के लिए क्योंकि पहेली बार मिल रहे थे जैसे ही फ़ोन लगाने गए बैटरी low ओर मोबाइल बंद । दिमाग मे इतना गुस्सा आया कि एकबार तो सोचा कि मोबाइल को पटक दु लेकिन फिर कंट्रोल किया ।
जैसे तैसे करके नंबर निकाला और अनजान भाई के फ़ोन किया तो वो मुझसे बस कुछ समय पहले ही निकल चुके थे । फाइनली उन्होंने बीच मे 5 मिनिट के लिए मिलने के लिए बोला और हम उस तरफ निकल चुके ।
जहा मिलना था वो जगह सामने ही थी तो खुश होकर जा रहे थे तभी चार रास्ते पे पुलिस वाले ने रोक लिया । बहुत रिक्वेस्ट करने पर भी नही मान रहा था तो 100 रुपया दे दिया और बाइक स्टार्ट किया लेकिन घड़ी में देखा तो आधा घंटा बीत चुका था । एकबार फिर सोचा कि पुलिस वाले को गाड़ी ठोक दु लेकिन कंट्रोल करना पड़ा ।
ये काल्पनिक है और यही आदमी के दुख का कारण भी । ज्यादातर हम दुखी उसी चीजो से होते है जो हक़ीक़त में अस्तित्व में होती ही नही या उस तकलीफ के बारे में सोचकर जो हमने देखी ही नही पर हम सोचते है कि ये हमारे साथ होगा और ऐसे ही हम एक ही तकलीफ के लिए दो बार दुखी होते है एक उसके बारे में सोचकर ओर दूसरी बार जब हकीकत में वो तकलीफ आती है ।
। जय माताजी । । शुभ रात्रि ।
सम्बंध
technology ओर इंडस्ट्रियल devolpment के से आज हम भौतिक साधनो से सज्ज हो रहे है ओर दिन ब दिन हमारा
भौतिक सुख बढ़ता जा रहा है । देश ओर दुनिया विकास की चरमसीमा पर पहोचने वाले है ओर इस विकास की भागदौड़ मे
सायद हम बहुत कुछ गवा बैठे है । थोड़े दिन पहले एक सम्बन्धी के यहा जाना हुआ । 1 बजे पहोचे ओर सायद 4 बजे वह से निकल
गए । इन तीन घंटो मे खाना वगेरे हुआ लेकिन जो सबसे बढ़ी बात किसी से ठीक से बात न हो पायी... कभी बैठकर
सोचेंगे तो लगता है की आजकल के संबंधो मे पहले वाली मिठास ओर निकटता नहीं रही है । सायद इसका कारण हमारी भागदौड़
भरी जिंदगी है जिसके कारण हम अपने सम्बन्धियो को समय नहीं दे प रहे है ओर रिश्ते भुलाते जा रहे है ।
आज से 15-20 साल पहेले की अगर बात करे तो उस वक़्त जब हम छोटे थे आज भी याद है की कोई मेहमान घर पे
आता थे तो minimum वो 2 दिन तो रहेता ओर ये तो दिन घर पूरा भरा हुआ रहेता थे मेहमान भले ही एक हो लिकिन
सामकों पूरा महोल्ला घर पे इकठा हो जाता था देर रात तक बाते होती थी। संबंधो की वो निकटता आज काही दिख नहीं रही है।
अब किसी बुजुर्ग से सुनते है की हम सदी करने गए थे तो हमारी बारात 2 या 3 दिन तक रुकी थी ओर सायद वही कारण था
के लोग एकदूसरे के नजदीक थे स्वार्थ नहीं था उस वक़्त। उनके पास पैसा ओर भौतिक सुख की चिजे नहीं थी लेकिन हमारे से
वो हजार गुना सुखी थे । आज दिन मे 3 सादिया हो जाती है ओर पता नहीं चलता है / पहेले गाव मे काही भी किसी की भी सादी
ई बात होती तो सबको पता रहेता थे आज padoshi के घर मे सादी हो तो भी card आता है तब पता चलता है ओर
काम की भागदौड़ मे सादी पूरी होने क बाद याद आता है जाने का। बेशक दुनिया विकास की बुलन्दियो को सर करेंगी
लेकिन इस विकास की दौड़ मे हम अकेले पड़ते जा रहे है । लागणीहीन होते जा रहे है। समाज टूटता जा रहा है ।
भौतिक सुख बढ़ता जा रहा है । देश ओर दुनिया विकास की चरमसीमा पर पहोचने वाले है ओर इस विकास की भागदौड़ मे
सायद हम बहुत कुछ गवा बैठे है । थोड़े दिन पहले एक सम्बन्धी के यहा जाना हुआ । 1 बजे पहोचे ओर सायद 4 बजे वह से निकल
गए । इन तीन घंटो मे खाना वगेरे हुआ लेकिन जो सबसे बढ़ी बात किसी से ठीक से बात न हो पायी... कभी बैठकर
सोचेंगे तो लगता है की आजकल के संबंधो मे पहले वाली मिठास ओर निकटता नहीं रही है । सायद इसका कारण हमारी भागदौड़
भरी जिंदगी है जिसके कारण हम अपने सम्बन्धियो को समय नहीं दे प रहे है ओर रिश्ते भुलाते जा रहे है ।
आज से 15-20 साल पहेले की अगर बात करे तो उस वक़्त जब हम छोटे थे आज भी याद है की कोई मेहमान घर पे
आता थे तो minimum वो 2 दिन तो रहेता ओर ये तो दिन घर पूरा भरा हुआ रहेता थे मेहमान भले ही एक हो लिकिन
सामकों पूरा महोल्ला घर पे इकठा हो जाता था देर रात तक बाते होती थी। संबंधो की वो निकटता आज काही दिख नहीं रही है।
अब किसी बुजुर्ग से सुनते है की हम सदी करने गए थे तो हमारी बारात 2 या 3 दिन तक रुकी थी ओर सायद वही कारण था
के लोग एकदूसरे के नजदीक थे स्वार्थ नहीं था उस वक़्त। उनके पास पैसा ओर भौतिक सुख की चिजे नहीं थी लेकिन हमारे से
वो हजार गुना सुखी थे । आज दिन मे 3 सादिया हो जाती है ओर पता नहीं चलता है / पहेले गाव मे काही भी किसी की भी सादी
ई बात होती तो सबको पता रहेता थे आज padoshi के घर मे सादी हो तो भी card आता है तब पता चलता है ओर
काम की भागदौड़ मे सादी पूरी होने क बाद याद आता है जाने का। बेशक दुनिया विकास की बुलन्दियो को सर करेंगी
लेकिन इस विकास की दौड़ मे हम अकेले पड़ते जा रहे है । लागणीहीन होते जा रहे है। समाज टूटता जा रहा है ।
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