Wednesday, May 31, 2017

लोकशाही ।
भारत का राजतंत्र अपनी अंतिम सांसो के साथ जिंदगी से जूझ रहा है । लोकशाही की नई व्यवस्था सायद इस देश की धरती को राज नही आई । जिसकी शुरुआत ही एक दूसरे पे आरोप ओर प्रति आरोप से हुई है वो लोकशाही का मुख्य हथियार बन गया है राजकीय पक्षो के लिए । सिर्फ उनकी पगार बढ़ाने की बात को छोड़कर ये लंपट नेता कभी भी एक होकर कोई निर्णय ले नही पाते है । राजकीय दाव पेच के साथ ही समानता के आधार पर रचा गया ये जनता के शासन तंत्र में कितने ही जान लेवा रोग से ग्रहीत हो चुका है ये राजतंत्र । सिर्फ 68 साल की उम्र में ही दुनिया की सबसे बड़ी लोकशाही व्यवस्था अपने अस्तित्व को बचाने के निरंतर निष्फल प्रयाश करती नजर आ रही है । और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि जिन लोगो के हाथ मे जनता ने सत्ता रख दी वो लोगो को उसका स्वाद इतना अस्सा लगा कि अब वो चाहकर भी इससे अलग नही कर पा रहे है खुदको । कांग्रेस के गठन के वक़्त तय हुआ था कि आजादी मिलते ही इस संगठन को बिखेर दिया जाएगा लेकिन सत्ता पर बैठते ही वो अपने आदर्शों ओर वादों को भूल गई और सत्ता पर बर्षो तक चिपक गई वही दूसरी ओर देश और देश की जनता की सेवा के लिए बने RSS को लगा कि जनता और देश की सेवा करने के लिए सत्ता जरूरी है और उसने bjp का अर्जन कर दिया । लेकिन हुआ वही जो कांगेस ने किया था वो भी सत्ता पर चिपके रहने के लिए अलग अलग पैतरे बनाने लगे और कुछ हद तक लोगो की भावनाओ को जोड़कर वो सफल भी रहे । जनता का शासन अब इन दो राजकीय विचारधारा के बीच बाटने लगा । कभी उसके हाथ मे तो कभी इनके हाथ मे । आखिर जनता के पास अब ओर कोई राह भी नही थी उनके लिए तो इधर खाई उधर कुआ। ओर लोकशाही की कमजोरी थी कि बिना पढ़े लिखे ओर लंपट लोग सत्ता पर आने लगे । वही पूरा देश दो विचारधारा में बट गया । ओर इसी दो विचारधारा के बहाव में राष्ट्रहित बह गया ।
अंत मे वो दौर आया और जनता के सामने इन दो विचारधारा से बाहर निकलने वाला रास्ता दिखा अन्ना के आंदोलन में से पैदा हुए एक शिक्षित केजरीवाल के रूप और जनता ने उसे पूरे हर्षोउल्लास के साथ अपना भी लिया । लेकिन जनता का ये विश्वास और सपने ने सिर्फ 2 साल में ही दम तोड़ दिया । सत्ता की खुर्सी ने इस नई उम्मीद को अपने रंगों में रंग दिया और जनता को फिरसे वही लाकर खड़ा कर दिया जहा से निकलने के लिए पिछले कुछ सालों से छटपटा रही है जनता ।
क्रमशः
। वीर ।
D.J. in Marriage..
લગન ની મૌસમ પુર જોશ માં ચાલી રહી છે..ચારે બાજુ કાન ફાડી નાખે એવા DJ ના સંગતિ ના તાલે લોકો ઝૂમી રહ્યા છે..લગ્ન એ આનંદ અને ઉલ્લાસ નું વાતાવરણ લઇને દરેક જી જિંદગી માં આવનારો અનેરો પ્રસંગ ..લગભગ લગ્ન માં વરઘોડા માં DJ તો હોય જ..
સમય ની સાથે પરિવર્તન એ સમય ની માંગ પણ છે અને એમાંથી આપના રિવાજો અને એને ઉજવવાના સાધનો માં પણ પરિવર્તન આવે એ સ્વાભાવિક છે..DJ પણ એ પરિવર્તન નું એક સાધન માત્ર છે..પણ કેટલાક પરિવર્તનો ની સાથે મૂળ પ્રસંગ નું આખું રૂપ પણ બદલાય જાય છે...પેલા વરઘોડા ફક્ત દેશી ઢોલ ની સંગાથે થતા જેમાં આગળ ઢોલી હોય અને પાછળ વરરાજા ગાડી અથવા ઘોડી પર અને એની પાછળ બધા માણસો..પછી ઢોલી ની સાથે શરણાઈ વાળા આવ્યા એમા પણ આવું જ દ્રશ્ય હતું લગભગ..ત્યાર બાદ શરણાઈ નું સ્થાન બેન્ડ વાજા એ લીધું અને દ્રશ્ય માં થોડું પરિવર્તન આવ્યું...જે માણસો વરરાજા ની પાછળ હતા એમાંથી થોડા બેન્ડ ની આગળ અને થોડા બેન્ડ ની પાછળ અને એની પાછળ વરરાજા અને એની પાછળ મહિલાઓ.. આ બધું હતું ત્યાં સુધી વરઘોડો જોઈને એ ખ્યાલ આવતો કે વરરાજા કોણ અને ક્યાં છે..પછી નો દોર એટલી આજ નો સમય જ્યારે બેન્ડ ના સ્થાને DJ આવી ગયું અને મૂળ દ્રશ્ય માં પણ પરિવર્તન...આગળ DJ મોટી ગાડી અને મોટા મોટા સ્પીકર સાથે એની આગળ અને પાછળ માણસો અને સૌથી પાછળ વરરાજા..કદાચ વરરાજા સાથે એકાદ નજીકનો માણસ હોય તો હોય..પરકણતું આજ ના આ વરઘોડા માં વરરાજા કોણ અમે ક્યાં છે એ સમજ જ નથી પડતી..લોકો આવે તો છે વરઘોડા માં પણ DJ ના તાલ માં વરરાજા જ ખોવાઈ જાય છે..સમય ની સાથે પરિવર્તન જરૂરી છે પણ એ વાત નું ધ્યાન પણ જરૂરું છે કે એ પરિવર્તન થી મૂળ પણ પરિવર્તિત ના થઇ જાય...એના સિવાય DJ નો અત્યંત અવાજ કાનના પડદા ફોડી નાખે એવો જબરજસ્ત પણ હોય છે..
અંત માં ..
જે પણ હોય પરંતુ DJ માં વાગતા અમારા ઉત્તર ગુજરાત ના ગમન સાંથળ, કિંજલ દવે, જીગ્નેશ કવિરાજ કે રજની બારોટ ના ગીતો તમારા પગ ને ધ્રુજાવી જરૂર નાખશે...જો તમે નાચવા ના માંગતા હોય તો તમારે મન પર વધુ ભાર મૂકી ને રોકાવું જરૂરી બને છે કારણ કે તમારા પગ તો ક્યારનાય ઊંચા નીચા થવા માંડે છે..આવા સમય માં મન એવું ઇચ્છતું પણ હોય છે કે કોઈ મિત્ર આવીને જબરજસ્તી નાચવા માટે લઇ જાય કારણ કે
માન માં પાડવાનો અને ભાવ ખાવાનો આપણા ભારતીય નો જન્મ સિદ્ધ અધિકાર છે..
..વીર...
जय माताजी.....

एकबार एक शेर का बच्चा अपने दूसरे भाइयो से भिसड़ के अलग हो गया ओर जाके sheep के जूण्ड के साथ मिल गया ओर वो उनके साथ ही बड़ा होने लगा .....वो बड़ा हो गया उसी जुण्ड मे ओर अब वो जंगल मे भी जाने लगा उसी जुण्ड के साथ लेकिन जंगल मे जैसे ही शेर आता तो sheep का ये जुण्ड भाग जाता था ओर ये शेर भी उनके साथ ही भाग जाता था॥ये देखकर दूसरे शेर को आश्चर्य होने लगा की ये शेर है फिर भी क्यू भाग रहा है...एक दिन शांति से शेरो ने उस शेर को पकड़ लिया ओर उसे तालाब के पास ले गए ओर उसे कहा की वो शेर है॥उसने जब अपना प्रतिबिंब पनि मे देखा तो उसके अंदर के खून के संस्कार जग गए ओर वो शेरो के साथ शिकार करने लगा.......
 
आपको नहीं लगता की ये स्टोरी आज के टाइम मे हमे ही लागू होती है हम भी अपने भाइयो से बिसड़ के सब अलल्ग अलग हो गए है ओर ऐसे ही किसी न किसी sheep के जुण्ड मे जाकर अपने खुद के संस्कार ओर खुदकी पहेचान भी भूल गए है...हमे पता ही नहीं है की हम कोण है....जब भी कोई दूसरा शेर हमे अपने पैन का अहेसाश करने आता है तो हम उन्हे देखकर भाग जाते है क्यूकी हमने खुद को आईने मे देखनी की कभी कोशिश ही नहीं की......जरूरु है अपने जमीर को जागकर एकबार अपने आप को आईने मे देखने की ओर एकबार हम अपने आपको पहेचान गए तो फिर हमारे अंदर के खून के संस्कार जग जाएंगे ओर फिर दुनिया मे कुछ भी ऐसा नहीं है जो हम हासिल न कर सके....बस हमे जगाने के लिए आते हमारे भाइयो को देखकर भागना बंद करना होगा......

जय माताजी ...जय राजपूताना....

बचपन मे शिक्षा की गंभीरता " शिक्षा या सजा "

बचपन मे शिक्षा की गंभीरता " शिक्षा या सजा "
एक बात पहले लिख देता हूं कि मेरी daughter का रिजल्ट 67% है दूसरी कक्षा में ओर में उसको ध्यान में नही ले रहा हु ओर ना ही में उसकी पढ़ाई को अभी गंभीरता से ले रहा हु ओर उसकी स्कूल ने मुजे एक बेजवाबादार पररेंट्स की श्रेणी में पहले से रख दिया है पर मुजे कोई फर्क नही पड़ता ओर ना ही मेरी बेटी के प्रति मेरे प्रेम में इस चीज से कोई फर्क नही पड़ता ।
ये बात इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि कुछ दिनों से बहोत से लोको ने अपने बच्चों के रिजल्ट को फेसबुक और वॉट्सऐप पर शेयर किया है जिसमे ज्यादातर बच्चो के 90% से ऊपर है जो दूसरी या तीसरी या बाल मंदिर मे है । इसके बावजूद भी मुजे कभी ऐसा नही लग रहा है कि ये कोई चिंता करने की बात हो मेरे लिए लेकिन जो लोगो ने ये फोटो अपलोड की है उनको ओर उनके जैसे कई माता पिता के लिए कुछ ।
आपके बच्चों ने इतना अस्सा रिजल्ट लाया है इसके लिए अभिनंदन ओर आपको गर्व करने वाली बात है लेकिन क्या ये 90% रिजल्ट हमारे बच्चों की योग्यता का आकलन करने का एकमात्र मापदंड है ?? हा जैसे ही आपको पता चला कि आपके बच्चे ने दूसरी या तीसरी कक्षा में 90% से ऊपर अंक प्राप्त किये है और आप उस पर गर्व ले रहे है और उस चीज पर गंभीर है तो ये आनेवाले समय के लिए निराशा को जन्म देनेवाली बात होगी । बचपन है अभी उनका , खेलने दो उनको, जीने दो उनको उनका बचपन , जैसे ही आप इस अंको को गंभीरता से लेंगे आपकी अपेक्षाएं बढ़ती जाएंगी और आगे जा के जब आप का बच्चा इतना ऊंचा रिजल्ट नही लाएगा उस वक़्त आप की आपके बच्चे के प्रति जो अपेक्षाएं होगी उसमे त्रुटि नजर आएगी और वही से शुरू होगा संघर्ष दो जनरेशन के बीच । मत देखो आपके बच्चों का रिजल्ट अगर वो primary स्कूल में है । क्योंकि ये वक़्त उनकी जिंदगी का वो वक़्त है जो अगर इस रिजल्ट के अंकों में उलझ कर दब गया तो वो जिंदगीभर उठ नही पायेगा । आपकी अपेक्षाए आपके बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा को जन्म देगी और उनका बचपन इस आग में जलकर राख हो जाएगा ।
। वीर ।
उन सभी दोस्तों को समर्पित जो गांव से, अपनो से दूर बसते है ।
दो दिन शादी के माहौल में गुजारते ही गांव की याद आ गई । कल नोकरी जाने के विचार मात्र से मन उदाश हो गया । गांव से दूर रहना, गांव के माहौल से दूर रहना बहोत ही कष्टदायक होता है । जिंदगी ना जाने कहा से कहा ले के आ गई । अब जीना है तो काम भी करना पड़ेगा ये हकीकत को चाहते हुए भी ठुकरा नही शकते है । आज ना जाने क्यों मन अजीब सी बेचैनी महसूस कर रहा है । कभी तो मन करता है कि छोड़कर सबकुछ चले जाय गांव परंतु मन के भावों से जिंदगी जीना भी पॉसिबल नही होता है । वास्तविकता कितनी भी नापसंद हो , कितनी भी कठिन हो पर आपको उसका स्वीकार करना ही पड़ता है ।
अक्षर लोग कहते है कि लड़का गांव से बाहर गया तो सुखी हुआ अब उनको ये कौन समाजये की बहार रहना कितना कष्टदायक होता है । हर पल मन के भावों को मौत देनी पड़ती है ।
। वीर ।

महाराणा प्रतापजयंति - 3

आधे घंटे से लगे है फेसबुक को जंज़ोडकर रख दिया , हर एंगल से देखा हमने फेसबुक को लेकिन
1) जातिवाद के विरोध में लगातार चीखने वाले ओर लिखने वाले किसी भी राष्ट्रवादी की wall पर महाराणा प्रताप जयंती की कोई पोस्ट नही दिखी ।
2) हिंदुत्व ओर सनातन का झण्डा लेकर कूदने वाले राष्ट्रभक्तो की wall का भी ऐसा ही कुछ नजारा है ।
3) रोज सेना के नाम की दुहाई देने वाले देशभक्तो की wall पर भी यही हाल है ।
4)हिंदुत्व की दिन में 50 पोस्ट करके उसे शेयर करने के लिए सौगंध देनेवाले ओर मर्दानगी की बाते करने वालो की पोस्ट पर कायराना पोस्ट के अलावा कुछ नही दिखा ।
5)थोड़े दिन पहले ही महान लोगो को किसी जातिवाद में ना बांधने की सलाह देनेवाले भी आज चूक गए ।
ये सारे लोग कल हमारे पास आकर कहेंगे कि हिंदुत्व की रक्षा के लिए हमे एक होना है । कहेंगे वो महाराणा प्रताप ओर शिवजी की विचारधारा पर चलने वाले सच्चे धर्म रक्षक है । कुछ लोग हमें सलाह देने भी आएंगे की आप जातिवाद को बढ़ावा दे रहे हो ।
हकीकत में ऐसे लोगो का सिर्फ सत्ता प्राप्ति के लिए ही होता है और उनके अनुयायी वही राह अपनाते है । ये लोगो समय देखकर हमारी भावनाओ के साथ खेलते है । आज जिनकी जयंती पर बधाई ना देनेवाले इलेक्शन के समय राजस्थान में जाकर महाराणा के आशीर्वाद लेंगे ।
आप सभी को आपका स्वार्थी राष्ट्रवाद और आपका धर्म मुबारक हो । हमें नही चलना है आपके इस राष्ट्रवादी रास्ते पर ओर नाही हमे लड़ना है उस धर्म के लिए जो सिर्फ वोट बटोरने का साधन मात्र है ।
। वीर ।
कुछ दिनों से एक नई मुहिम चालू की है राष्ट्रभक्तो ने । सेना और सेना के जवानों के नाम से एक msg घुमाया जा रहा है कि आप कश्मीर ना जाओ, अमरनाथ की यात्रा पे ना जाओ, ताकि आतंकवादियो की कमर टूट जाये (ठीक ऐसे जैसा भक्तजन नॉट बंधी के समय मे बोल रहे थे ) । इनका कहना है कि आप कश्मीर या अमरनाथ जाते हो तो कश्मीरी लोगो को आमदनी होती है और इसके कारण आतंकवाद इतना मजबूत हो रहा है । अगर ऐसा है तो मेरे ख्याल से सबको दिल्ही जाना चाहिए ताकि हमारे इस पैसों से सरकार मजबूत बने । ये कहते है कि आप 2-3 साल कश्मीर या अमरनाथ नही जाओगे तो आतंकवादी भूखे मरेंगे ओर फिर या तो आत्म समर्पण कर देंगे या खुदकुशी करके मर जायेंगे ।
सही में मेरे ख्याल से इन राष्ट्रभक्तो की जगह फेसबुक और वॉट्सऐप नही पर दिल्ही में होनी चाहिए ।

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...