गूगल गुरु में कुछ ढूंढ रहा था तभी मन मे आया कि चलो हिंदुत्व के बारे में कुछ जानकारी हासिल करते है । जब 4 -5 अलग अलग वेबसाइट देखी तो सबमे एक बात सामान्य थी कि हिन्दू शब्द का पहला उपयोग विदेश से भारत मे आये पर्शियन या सायद फ्रांसिस लोगो ने 6 थी या 7 वी सदी में उपयोग किया था । उसका अर्थ होता था सिंधु नदी के आसपास सिंधु संस्कृति के लोग । उनके उच्चारण में s में तकलीफ होन की वजह से सिंधु से हिन्दू शब्द का प्रयोग होने लगा । मुजे एक RRS के कार्यकर्ता ने भी कहा था कि हिन्दू एक समुदाय का नाम है । अब समझ नही आता कि आखिर आज के जो सत्ता लालची संगठन हिन्दू धर्म के नाम पर बने है और उसके रक्षक होने का दावा करते है वो हिन्दू धर्म कहा से पैदा हो गया । हकीकत में हिन्दू शब्द विदेशो की पैदाइश है और हमारे संगठन उसको ही सर्व श्रेष्ठ बनाने पर लगे हुए है ।
हा ये बात है कि हिन्दू कोई धर्म नही है हमारा क्योंकि इसका जिक्र सायद आपको वेद,पुराण, रामायण,महाभारत या गीता में कही भी नही मिलेगा । इस देश मे 2 ही धर्मो की बात की गई है और उनमें से एक है हमारा सनातन धर्म । प्राचीन काल मे ब्राह्मण और बाकी प्रजा इस धर्म के हिसाब से जीवन जीते होंगे । इस धर्म के प्रचार का कार्य ऋषि मुनिओ के हाथ मे था और हमारे लाखो ग्रंथ इस बात के साक्षी है कि उन्होंने अपना कर्तव्य अस्से से निभाया है । हमारे कर्मकांड, यज्ञ, हवन वगेरे सनातन धर्म मे बताए मार्ग पर ही होते थे और आज भी होते है । दुनिया की पुरानी संस्कृति और धर्म है उन में सनातन धर्म सबसे पुराना है और बाकी सब धर्मों का जन्मदाता भी । लेकिन अगर हम इन संगठनों की मान के हिन्दू को अपना धर्म समझ ले तो ये ज्यादा पुराना नही है यानी कि कुछ लोगों के द्वारा सनातन के स्थान पर हिंदुत्व को धर्म बनाने की मुहिम चल रही है । बेशक हिन्दू एक समुदाय है और वो हमारी पहचान विदेशो के लिये है लेकिन उस पहचान के चलते है अपना मूल धर्म भूल ना जाये ये हमारी जिम्मेदारी भी है ।
क्रमश :
। वीर ।