Wednesday, May 31, 2017

हिंदूवादी संगठन V/S सनातन

गूगल गुरु में कुछ ढूंढ रहा था तभी मन मे आया कि चलो हिंदुत्व के बारे में कुछ जानकारी हासिल करते है । जब 4 -5 अलग अलग वेबसाइट देखी तो सबमे एक बात सामान्य थी कि हिन्दू शब्द का पहला उपयोग विदेश से भारत मे आये पर्शियन या सायद फ्रांसिस लोगो ने 6 थी या 7 वी सदी में उपयोग किया था । उसका अर्थ होता था सिंधु नदी के आसपास सिंधु संस्कृति के लोग । उनके उच्चारण में s में तकलीफ होन की वजह से सिंधु से हिन्दू शब्द का प्रयोग होने लगा । मुजे एक RRS के कार्यकर्ता ने भी कहा था कि हिन्दू एक समुदाय का नाम है । अब समझ नही आता कि आखिर आज के जो सत्ता लालची संगठन हिन्दू धर्म के नाम पर बने है और उसके रक्षक होने का दावा करते है वो हिन्दू धर्म कहा से पैदा हो गया । हकीकत में हिन्दू शब्द विदेशो की पैदाइश है और हमारे संगठन उसको ही सर्व श्रेष्ठ बनाने पर लगे हुए है ।
हा ये बात है कि हिन्दू कोई धर्म नही है हमारा क्योंकि इसका जिक्र सायद आपको वेद,पुराण, रामायण,महाभारत या गीता में कही भी नही मिलेगा । इस देश मे 2 ही धर्मो की बात की गई है और उनमें से एक है हमारा सनातन धर्म । प्राचीन काल मे ब्राह्मण और बाकी प्रजा इस धर्म के हिसाब से जीवन जीते होंगे । इस धर्म के प्रचार का कार्य ऋषि मुनिओ के हाथ मे था और हमारे लाखो ग्रंथ इस बात के साक्षी है कि उन्होंने अपना कर्तव्य अस्से से निभाया है । हमारे कर्मकांड, यज्ञ, हवन वगेरे सनातन धर्म मे बताए मार्ग पर ही होते थे और आज भी होते है । दुनिया की पुरानी संस्कृति और धर्म है उन में सनातन धर्म सबसे पुराना है और बाकी सब धर्मों का जन्मदाता भी । लेकिन अगर हम इन संगठनों की मान के हिन्दू को अपना धर्म समझ ले तो ये ज्यादा पुराना नही है यानी कि कुछ लोगों के द्वारा सनातन के स्थान पर हिंदुत्व को धर्म बनाने की मुहिम चल रही है । बेशक हिन्दू एक समुदाय है और वो हमारी पहचान विदेशो के लिये है लेकिन उस पहचान के चलते है अपना मूल धर्म भूल ना जाये ये हमारी जिम्मेदारी भी है ।
क्रमश :
। वीर ।

Law .

Law ...
पता नही लॉ में क्या पढ़ते ओर पढ़ाते है लेकिन वकील का मतलब सिर्फ और सिर्फ केस जितना ही है चाहे वो गलत हो या सही तो ऐसे वकीलों से कभी भी किसी को न्याय की अपेक्षा नही रखनी चाहिए । जितने के लिए वकीलों की फालतू दलील असरकारक साबित हो और उससे असत्य की जीत हो वैसा कानून देश की जनता के लिए प्राण घातक हो सकता है ।
कपिल सिब्बल की राम जन्म की दलील तीन तलाक के सामने रखना ही इस बात को साबित करती है कि उनके लिए केस जितने से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नही है फिर यहाँ पे न्याय कहा आया ??? राम अयोध्या में जन्मे है इस बात से किसी भी इंसान के जीवन मे कोई बदलाव नही लाएगा लेकिन तीन तलाक को सही बताना मतलब उस लाखो मुस्लिम औरतो के साथ अन्याय करना होगा और ऐसी प्रथा को साथ देना उस लाखो महिलाओं के जीवन को तहस नहस कर देगा ।
अजीब बात तो ये है कि सरकार को ऐसे मामलों के लिए न्यायतंत्र का सहारा लेना पड़ रहा है वो भी लोकशाही वाले अपने ही देश मे । ओर जहाँतक तीन तलाक जैसी कु प्रथा की बात है तो खुद मुस्लिमो को ही सामाजिक जवाबदारी समझकर इसके खिलाफ लड़त चलानी चाहिए यू कहिये की ये बदलाव उनको अपने अंदर लाना पड़ेगा । औरतो की सुरक्षा बुरखे में नही बल्कि उनके स्वाभिमान की रक्षा करने में है ये बात मुस्लिमो को जितना जल्दी हो स्वीकार कर लेनी चाहिए ।
आशा करते है कि बदलते समय के साथ मुस्लिम अपने कुरिवाजो को तिलांजलि देकर दुनिया के साथ कदम ससे कदम मिलाकर चलने की शुरुआत करेगा ।
। वीर ।

महाराणा प्रतापजयंति - 2

आदरणीय Nagindas Sanghviji..Nd Divya bhaskar news ।
आपका कल के दिव्य भास्कर में छपा लेख पढ़ा । आपका कहना है कि अकबर ओर महाराणा प्रताप की comperision नही हो सकती है । आपकी इस बात के साथ मे पूरी तरह सहमत हूं । आपने अपने क्षत्रियो के प्रति जो पूर्वग्रह है उसका प्रदर्शन किया लेकिन ये बात सही लिख दी क्योंकि एक लुटेरे, घातकी , हत्यारे विदेशी मोगल अकबर की तुलना महान शूरवीर ओर देशभक्त जिन्होंने अपना सर्वस्व देश और प्रजा के लिए बलिदान कर दिया ऐसे महावीर हिन्दू सूर्यवीर महाराणा प्रताप के साथ कभी नही हो सकती है । अरे सर महाराणा तो दूर की बात है लेकिन अकबर ओर किसी भी मोगल की तुलना हमारे किसी हिंदुस्तानी मांस भक्षी कुत्तो से भी नही हो सकती क्योंकि की वफादारी नाम की चीज भी होती है उस जानवर में ।
आपने ओर लिखा है कि अकबर बडी सल्तनत का बादशाह था और महाराणा प्रताप के पास खाली चितोड़ था लेकिन फिर भी वो अकबर उस छोटे से चितोड़ को कभी जीत नही पाया । महाराणा की एक हार आखरी फैसला कभी नही बना । वो लड़े , लगातार लड़े अपनी प्रजा के लिए, अपनी मातृभूमि ओर अपनी संस्कृति के लिए आखरी सांस तक लड़े ओर उनकी इस लड़त की चरम सीमा हल्दीघाटी से अकबर को वापिस भेजने के लिए काफी थी । लिखने से पहले आपने थोड़ा भी सोचा नही की कैसे अकबर की 1 लाख की तोपों से सज्ज सेना से सिर्फ तलवारों ओर अपने अदम्य साहस के साथ 20000 राजपूत लड़े होंगे । उनके बारे में कुछ लिखने से पहले आपजो जोहर कुंड के दर्शन कर लेने थे । कैसे अपनी नाजुक काया को आग के हवाले किया होगा उन क्षत्राणियो ने । आपने लिखा कि आप नही मानते आदर्श महाराणा प्रताप को इसमें कोई नई बात नही है क्योंकि गिधडॉ का आदर्श कभी शेर नही हो सकते है क्योंकि उनमें इतनी हिमत ही नही होती कि वो ऐसे शूरवीरों के रास्ते को पसंद करें ।
अंत मे .....
कोई हैरानी नही हुई आपका लेख पढ़के , बुरा लगा लेकिन फिर सोचा कि आप जैसे लोगो से ओर क्या अपेक्षा रख सकते है क्योंकि मैंने एक लेखक के हिसाब से आपका नाम पहेली बार सुना और सायद किसी गुजराती के लिए ये पहेली बार होगा इसलिए आप जैसे लोगो अपनी ख्याति बढ़ाने के लिए स्वतंत्र अभिव्यक्ति के नाम पर बार बार महापुरुषों पर कीचड़ उछालने की कोशिश करते है और इसके पीछे आपकी मंछा सिर्फ ख्याति प्राप्त करने के अलावा कुछ नही होती ।
जय महाराणा ।
। वीर ।

ઉત્તર ગુજરાત ના લોક ગાયકો ..

ઉત્તર ગુજરાત ના લોક ગાયકો ..
ઘણા સમય થી એક ના એક હિન્દી ગીતો અને ભજનો સાંભળીને કંટાળો આવ્યો એટલે વિચાર્યું કે ચલો થોડા લોકગીતો સાંભળું . લોકગીત લોક હયા માંથી નીકળેલી સળવાની છે એમાં લોકો ની ભાવના સમાયેલી હોય છે ..લોક સંસ્કૃતિ ને સાચવીને બેઠા છે આપણા લોકગીતો ...
એટલે થોડા મારી પસંદ ના ગીતો download કર્યા નેટ પર મોટા ભાગે ગીત ની પહેલી લાઈન લખેલી હોય છે એટલે એ જોઈને download કર્યા અને આજે ચાલુ બાઇક પર સાંભળ્યા ત્યારે મગજ એટલું ગરમ થઇ ગયું કે જો કલાકાર સામે હોત તો એક ખેંચી ભી નાંખત ..આખા લોકગીતો ની એક નવી જ વર્ણ શંકર જાત પેદા કરી દીધી છે આ છડક છાપ ગાયકો એ ..મૂળ ગીત ની પહેલી લાઇન નો ઉપયોગ કરીને પછી એમાં એવો તે કચરો ઘુસાડ્યો છે કે કોઈને ભી ગુસ્સો આવે ...ઉદાહરણ ..
છેદડા રે વાઢી ને બાવાળીયા રોપશુ એક વીર રાજપૂત નો રાહડો છે..પેલી લઈને પછી એમાં પાટણ ના પટોળા ને કડી ના કંડલા ઘુસાડી દીધા ..એવું જ બીજું ગઢ રે દાંતા નો રાણો.. અંબાજી નું ગીત ચાલુ કરીને બીજી લાઈન માં કાનુડા ને ઘુસાડી દીધો ..
ખરેખર આવા ગાયકો એ ગુજરાત ની લોક સંસ્કૃતિ ની મજાક બનાવી દીધી છે...આપના કર્ણ પ્રિય સંગીત થઈ મઢેલા લોકગીતો ને આ લોકો એ એ જગ્યા એ પહોંચાડી દીધા છે કે એનું નામ પડે અને સુગ ચડે ..બેવફા, રાધા વગેરે નો ઉપદ્રવ ઓછો હતો એમાં પાછા ખજૂરી ના પાન નો ઉમેરો થયો અને પછી હવે તો ગાડીઓ ની પાછળ પડી ગયા છે..
હવે તો ભગવાન બચાવે આપણી લોક સંસ્કૃતિ ને ...
.. વીર ...

महाराणा प्रतापजयंति

आज पूरा दिन फेसबुक पर वाद विवाद में ही गुजरा । एक पुरोहित जी ने कुछ पोस्ट क्या डाली की बहोत सारे लोगों ने आपत्ति जताई तो ना चाहते हूए भी हमे उस वाद विवाद में भाग लेना पड़ा क्योंकि की आखिर ये सारी पोस्ट का ओर वाद प्रतिवाद का जो केंद्र बिंदु था वो था " राजपूत "
पुरोहितजी ने दो तीन पोस्ट डाली थी राजपूतो पर इसमें जो एक थी । उनका कहना था कि श्री राम राजपूत थे । बस उन्होंने अपने विचार मात्र क्या रखे । सारे हिंदुत्व के रक्षक हिन्दू ओर देश का झण्डा लेकर कूद पड़े । उन पर आरोप लगाया कि आप जातिवाद फैला रहे है (इनके हिसाब से फेसबुक पर एक पोस्ट डालने से जातिवाद फैलता है लेकिन नेताओ के बयान ओर तुष्टिकरण वाले निर्णयों में जातिवाद नही दिखता ) । बोल रहे थे की आप समाज को तोड़ने की कोशिश कर रहे हो । किसी ने कहा कि आपके इस कथन से कुछ लोग राम को मानना बंद कर देंगे । कितनी अजीब बात है ना । किसी के सिर्फ इतना कहने से की राम राजपूत थे कुछ लोगो के मन मे राम के लिए आदर नही रहता और यही लोग राम मंदिर और हिंदुत्व की बाते भी करते है । राम एक आस्था है और जिनके मन मे राम है उनके लिए राम कोन थे इससे कोई फर्क नही पड़ता ओर ना ही उनकी आस्था कम होती है । हा लेकिन जो तकवादी हिंदुत्व के जंडे लेकर घूम रहे है उनको बहोत फर्क पड़ता है क्योंकि उनके लिए राम मात्र सत्ता प्राप्ति के लिए साधन मात्र है ।
फेसबुक एक माध्यम है व्यक्ति के विचारों के लिए ओर यहाँ हर कोई अपने विचार रखता है और यही होना चाहिए । ये जरूरी नही की हर विचार हमारी इस्सा के मुजब है । व्यक्ति की निजी सोच है और अगर आप उनके विचार से सहमत नही है उसका ये मतलब तो नही होता कि वो व्यक्ति या उसका बिचार गलत है । अगर आप उसके विचार से सहमत नही है तो नजर अंदाज कर दो ना कि उस व्यक्ति पर अपनी विचारधारा थोपने की कोशिश । हा अगर उसका विचार जन हित के लिए हानिकारक हो तब उसका बिरोध जरूर होना चाहिए लेकिन किसी व्यक्ति का विचार इसलिए कभी भी गलत नही होता कि उसने किसी जाति का समर्थन नही किया और अगर आप को किसी जाति विषयक विचार से तकक्लिफ़ हो रही हो तो समझना कि जातिवाद की जंडे आपके अन्दर ही है और वही से जातिवाद का जन्म भी हुआ है ।
कुछ लोगो का मन सिर्फ इसलिए खिन्न होता है कि उनकी या उनकी जाति की प्रशंसा क्यों नही की जा रही है । क्योंकि अगर आप सर्व जाती समानता के विचार रखते है तो कभी भी किसी एक जाति की किसी के द्वारा हो रही प्रशंसा आपके मन को खिन्न नही कर पायेगा ।
। वीर ।

राजपूत

राजपूत
समुद्र का कुछ भाग सुख जाने से ना उसकी गहराई कम होती है और ना ही उसकी विशालता । बाकी जो पानी के खड्डे में से जितनी जल्दी समुद्र बनते है उनको सूखने में भी इतना ही समय लगता है ।
यही परिस्थिति आज के समय मे राजपूतो की है । भले ही उनका एक हिस्सा सत्ता और सम्पति सूखकर खत्म हो गए है लेकिन फिर भी उनकी वीरता, खुमारी, दातारि, धर्म परायणता कभी भी कम नही हुई । बाकी जो आज सत्ता और सम्पति के जोर से बड़े बन गए है वो कभी भी सागर जितने विशाल और गहरे नही बन पायेंगे । क्योंकि ये सब के लिए सालों तक तपस्या करनी पड़ती है जो इनके बस की बात नही है ।
। वीर ।

दलित संघर्ष

जिन को संविधान लिखने के लिए अग्रिमता दी और जिनके लिखे संविधान पर चल रहे भारत देश मे अब उनके नाम पर एक ओर नक्सलवादी नस्ल पैदा होने जा रही है और ताज्जुब की बात तो ये है कि जिस कानून के रक्षक पुलिसवालो को ये दौड़ा दौड़ा कर पिट रहे है वो कानून और सरकार का उन्हें खुल्ला समर्थन मिल रहा है । इन्होंने अपने कार्य की शुरुआत हिन्दू शिरोमणि वीर महाराणा प्रतापसिंह के जन्मदिन पर निकली रैली पर पत्थर बरसाके शुरू की देश के एक राज्य के एक कोने से ओर फिर वो दिल्ही आते है और फिर से अपनी खोखली दबंगाई दिखाने वहा भी धमाल करते है और कहते है कि ये संगठन सामाजिक उत्थान के लिए बना है । अब जिनके विचारो में ही हिंसा भरी हुई है और शुरुआत भी अराजकता के सर्जन से करते है वो क्या समाज का उत्थान करेंगे ??? हकीकत में उनकी ये हरकत सिर्फ और सिर्फ देश मे हिंसक अराजकता फैलाने के हेतु है ।
सरकार की खामोशी ओर समर्थन आनेवाले समय मे देश के लिए एक जहरीले साँप को दूध पिलाने का काम कर रहा है जो देश के लिए हानिकारक साबित होगा । सामाजिक अराजकता ओर संघर्ष की नींव रखी जा रही है ऐसे संगठनो को समर्थन करके ।
। वीर ।

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...