Wednesday, May 31, 2017

महाराणा प्रतापजयंति

आज पूरा दिन फेसबुक पर वाद विवाद में ही गुजरा । एक पुरोहित जी ने कुछ पोस्ट क्या डाली की बहोत सारे लोगों ने आपत्ति जताई तो ना चाहते हूए भी हमे उस वाद विवाद में भाग लेना पड़ा क्योंकि की आखिर ये सारी पोस्ट का ओर वाद प्रतिवाद का जो केंद्र बिंदु था वो था " राजपूत "
पुरोहितजी ने दो तीन पोस्ट डाली थी राजपूतो पर इसमें जो एक थी । उनका कहना था कि श्री राम राजपूत थे । बस उन्होंने अपने विचार मात्र क्या रखे । सारे हिंदुत्व के रक्षक हिन्दू ओर देश का झण्डा लेकर कूद पड़े । उन पर आरोप लगाया कि आप जातिवाद फैला रहे है (इनके हिसाब से फेसबुक पर एक पोस्ट डालने से जातिवाद फैलता है लेकिन नेताओ के बयान ओर तुष्टिकरण वाले निर्णयों में जातिवाद नही दिखता ) । बोल रहे थे की आप समाज को तोड़ने की कोशिश कर रहे हो । किसी ने कहा कि आपके इस कथन से कुछ लोग राम को मानना बंद कर देंगे । कितनी अजीब बात है ना । किसी के सिर्फ इतना कहने से की राम राजपूत थे कुछ लोगो के मन मे राम के लिए आदर नही रहता और यही लोग राम मंदिर और हिंदुत्व की बाते भी करते है । राम एक आस्था है और जिनके मन मे राम है उनके लिए राम कोन थे इससे कोई फर्क नही पड़ता ओर ना ही उनकी आस्था कम होती है । हा लेकिन जो तकवादी हिंदुत्व के जंडे लेकर घूम रहे है उनको बहोत फर्क पड़ता है क्योंकि उनके लिए राम मात्र सत्ता प्राप्ति के लिए साधन मात्र है ।
फेसबुक एक माध्यम है व्यक्ति के विचारों के लिए ओर यहाँ हर कोई अपने विचार रखता है और यही होना चाहिए । ये जरूरी नही की हर विचार हमारी इस्सा के मुजब है । व्यक्ति की निजी सोच है और अगर आप उनके विचार से सहमत नही है उसका ये मतलब तो नही होता कि वो व्यक्ति या उसका बिचार गलत है । अगर आप उसके विचार से सहमत नही है तो नजर अंदाज कर दो ना कि उस व्यक्ति पर अपनी विचारधारा थोपने की कोशिश । हा अगर उसका विचार जन हित के लिए हानिकारक हो तब उसका बिरोध जरूर होना चाहिए लेकिन किसी व्यक्ति का विचार इसलिए कभी भी गलत नही होता कि उसने किसी जाति का समर्थन नही किया और अगर आप को किसी जाति विषयक विचार से तकक्लिफ़ हो रही हो तो समझना कि जातिवाद की जंडे आपके अन्दर ही है और वही से जातिवाद का जन्म भी हुआ है ।
कुछ लोगो का मन सिर्फ इसलिए खिन्न होता है कि उनकी या उनकी जाति की प्रशंसा क्यों नही की जा रही है । क्योंकि अगर आप सर्व जाती समानता के विचार रखते है तो कभी भी किसी एक जाति की किसी के द्वारा हो रही प्रशंसा आपके मन को खिन्न नही कर पायेगा ।
। वीर ।

राजपूत

राजपूत
समुद्र का कुछ भाग सुख जाने से ना उसकी गहराई कम होती है और ना ही उसकी विशालता । बाकी जो पानी के खड्डे में से जितनी जल्दी समुद्र बनते है उनको सूखने में भी इतना ही समय लगता है ।
यही परिस्थिति आज के समय मे राजपूतो की है । भले ही उनका एक हिस्सा सत्ता और सम्पति सूखकर खत्म हो गए है लेकिन फिर भी उनकी वीरता, खुमारी, दातारि, धर्म परायणता कभी भी कम नही हुई । बाकी जो आज सत्ता और सम्पति के जोर से बड़े बन गए है वो कभी भी सागर जितने विशाल और गहरे नही बन पायेंगे । क्योंकि ये सब के लिए सालों तक तपस्या करनी पड़ती है जो इनके बस की बात नही है ।
। वीर ।

दलित संघर्ष

जिन को संविधान लिखने के लिए अग्रिमता दी और जिनके लिखे संविधान पर चल रहे भारत देश मे अब उनके नाम पर एक ओर नक्सलवादी नस्ल पैदा होने जा रही है और ताज्जुब की बात तो ये है कि जिस कानून के रक्षक पुलिसवालो को ये दौड़ा दौड़ा कर पिट रहे है वो कानून और सरकार का उन्हें खुल्ला समर्थन मिल रहा है । इन्होंने अपने कार्य की शुरुआत हिन्दू शिरोमणि वीर महाराणा प्रतापसिंह के जन्मदिन पर निकली रैली पर पत्थर बरसाके शुरू की देश के एक राज्य के एक कोने से ओर फिर वो दिल्ही आते है और फिर से अपनी खोखली दबंगाई दिखाने वहा भी धमाल करते है और कहते है कि ये संगठन सामाजिक उत्थान के लिए बना है । अब जिनके विचारो में ही हिंसा भरी हुई है और शुरुआत भी अराजकता के सर्जन से करते है वो क्या समाज का उत्थान करेंगे ??? हकीकत में उनकी ये हरकत सिर्फ और सिर्फ देश मे हिंसक अराजकता फैलाने के हेतु है ।
सरकार की खामोशी ओर समर्थन आनेवाले समय मे देश के लिए एक जहरीले साँप को दूध पिलाने का काम कर रहा है जो देश के लिए हानिकारक साबित होगा । सामाजिक अराजकता ओर संघर्ष की नींव रखी जा रही है ऐसे संगठनो को समर्थन करके ।
। वीर ।

प्रेम और शरीर ।

प्रेम और शरीर ।
वैसे तो बहुत कुछ लिखा गया है इस विषय पर क्योंकि ये ऐसे विषय है जितना भी जानो कम ही लगता है । और यही विषय है जिस पर आप फिलोसोफी ठोक सकते है आराम से ओर यही होता आया है अबतक । ये सही है और ये गलत बस इन दो वाक्यो के बीच इस विषय को घुमाया गया है हर वक़्त । हमारी महान फिलोसोफी यही कहती है कि जहाँ प्रेम है वहा सेक्स नही हो सकता और जहा सेक्स है वहा प्रेम का होना नामुनकिन है । हम ये भी कहते है कि प्रेम पवित्र है, दो आत्माओ का मिलन है इसलिए प्रेम में शारीरिक संबंध नही होने चाहिए । जब कि सेक्स एक शारीरिक आकर्षण ओर आवेग मात्र है । होगा सायद ये भी सच । लेकिन
कोई भी चीज उसके माध्यम की बिना पॉसिबल नही है । हर संबंध के लिए माध्यम आवश्यक है और बिना माध्यम कोई भी संबंध या भावना व्यक्त नही हो सकती है । अगर आपको गुस्सा आता है किसी पर ओर आप उसे मारना चाहते हो तो आपका हाथ एक माध्यम है । आप रोना चाहो तो आंखे । ये भावनाएं है और प्रेम भी तो उनमें से एक है तो जब किसी के प्रति आपको प्रेम हो तो वो प्रेम व्यक्त करने के लिए शरीर एक माध्यम ही तो है । बिना शरीर का प्रेम शक्य है ??? प्रेम आत्माओं का मिलन है तो उन आत्माओ को भी प्रेम जताने के लिए माध्यम की जरूरत पड़ती ही है । क्या कोई व्यक्ति ऐसे किसी आत्मा से प्रेम करता है जिसके बारे में वो कुछ जानता ही ना हो क्योंकि आत्मा ए तो हर जगह होती है । आप कहेंगे ऐसे कैसे प्रेम होगा । सही है दो प्रेमियों के बीच के रिश्ते को हमेशा से यही नजर से देखा जाता है । आलिंगन या गले मिलना मात्र प्रेम की अभिव्यक्ति ही तो है । आप को बच्चे के प्रति प्रेम आता है तो क्या करते है वही आलिंगन प्रेम की अभिव्यक्ति है बस इसी तरह प्रेमी युगल भी अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करते है और हम उसे आवेग का नाम दे देते है ।
तकिया कलम :-
बिना स्पर्श किये प्रेम करना मतलब छाता लेके बारिस में नहाने वाली बात है ।
। वीर ।
23/05/2017

गांधी - पार्ट -3 / गांधी और मोदी ।

गांधी - पार्ट -3
गांधी और मोदी ।
अब आप ये मत कहना कि गांधी नाम की पेटेंट तो कोंग्रेस ने ले रखी है तो उनका नाम मोदी के साथ क्यों ?? जी हाँ गांधी नाम की सीडी का उपयोग करके ना जाने कितने लोग ऊपर पहोच गए लेकिन वो बुड्ढा अभीतक वही का वही है । सभी राजनैतिक पार्टियो ओर नेताओ ने लगातार इस नाम का भरपूर उपयोग किया है और क्यों ना करे यही तो नाम है जिनकी आड़ में ये हरामी नेताओ को ऊपर तक पहोचने का मार्ग दिखता है । कही विरोधा भाष भी है कोई उसको सही बताकर याद करता है तो कोई उसको गाली देकर । जन्मतिथि या श्रंद्धांजलि किसी की भी हो चाहे आज़ाद या भगतसिंह या फिर नत्थूराम जैसे हत्यारे की लेकिन उसको तो याद करना ही पड़ता है मंशा चाहे कुछ भी हो । आप उसे गाली दे सकते हो फ़ेसबुक पर लेकिन जब आपको आपके हक के लिए लड़ना है तो उसी गाँधी के बताए हुए रास्ते का सहारा लेना पड़ता है । बात अब मैन की क्या है गाँधी ओर मोदी का ।
जिस कोंग्रेस का हिस्सा रहा है गांधी उस कांग्रेस ने मात्र सत्ता प्राप्ति के लिए ही उसके नाम का उपयोग किया है । जन्मतिथि या मरणतिथि पर हार चढ़ाके इनको लगता था कि उन्होंने उनका ऋण अदा कर दिया उनको श्रंद्धाजली दे दी । वैसे में हर दूसरे या तीसरे दिन लिखता हु तो उसमें कही ना कही मोदी का विरोध हो जाता है । लेकिन आज मोदी की प्रशंसा करने का मन हुआ तो गांधी को याद कर लिया । हा आज़ाद भारत का पहला प्रधानमंत्री होगा मोदी सायद जिसने गांधी को सही मायने में ना केवल श्रंद्धाजली दी बल्कि उसको जीवित किया, उनके विचारों को जीवित करने की कोशिश की, उनके स्वप्न का भारत बनाने की ओर एक रास्ता बनाया । मोदी की भारत स्वस्छ्ता अभियान सायद गांधी को सच्ची श्रंद्धाजली है ।
आओ मिलकर मोदीजी ओर गांधीजी के इस स्वप्न के भारत का निर्माण करने में अपना योगदान दे ।
। वीर ।
Dated : 24/05/2017

वैचारिक परिवर्तन

किसी भी समाज का विकास उसकी वैचारिक परिपक्वता पर आधारित होता है इसलिए अगर किसी भी समाज को बदलते समय के साथ अपने समाज को एक विकसित समाज के रूप में स्थापित करना है तक उनको पहले वैचारिक स्तर पर बदलाव लाना होगा । आपका व्यवहार, आपकी भाषा और आपके विचार आपके समाज को अन्य समाज के सामने प्रस्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है । बदलाव को इग्नोर करके अगर आप अपने जड़ विचारो के साथ आगे बढ़ेंगे तो बेसक आपको ओर आपके समाज को संघर्ष में उतारना पड़ेगा और यही संघर्ष आपको ओर आपके समाज को अन्य से दूर ही ले जाएगा ।
। वीर ।

Congress ki trustikaran niti / कांग्रेस की त्रुष्टिकरण निति

लघुमति तृस्टिकरण ही कांग्रेस की कबर खोदने वाली है । आखिर समझ मे ये नही आता कि कैसे इस पार्टी ने 60 साल तक शासन किया है । सायद लगता है कि अस्से लीडर की कमी आज कोंग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी बन गईं है । लगातार अपना अस्तित्व खो रही कोंग्रेस अंतिम श्वास ले रही है और इतनी बड़ी पार्टी के एक भी नेता की बुद्धि नही चलती है कि सिर्फ लघुमति तृस्टिकरण कभी भी सत्ता पर नही बिठा पाएगी उनको । एक तरफ विरोध पक्ष का गला घोंटने ला लगातार प्रयाश हो रहा है सरकार द्वारा ताकि वो अमर्याद सत्ता का लूप उठा शके जो कि लोकतंत्र के लिए घातक साबित होगा क्योंकि विरोध पक्ष लोकतंत्र में एक एहम कड़ी है । कमजोर विरोधपक्ष सरकार को कभी सही निर्णय लेने में मददरूप साबित नही हो सकता । ये जरूरी है कि अगर आपको सत्ता में रहना है तो सर्व हिताय की ही बात करनी पड़ेगी लेकिन कोंग्रेस की गंदी राजनीति के कारण हालात ये है कि बहुमती भारतीय का तो एक वोट उसे नही मिलेगा लेकिन वो लघुमति को भी संभाल नही पाएगी क्योंकि सिर्फ तृस्टिकरण लोगो को लंबे समय तक प्रभावित नही कर सकता है ।
मोदी सरकार की कुछ नीतिओ के कारण लोगो का रुख बदल रहा है था कि कांग्रेस ने फिर उसकी गंदी राजनीति और तृस्टिकरण को दिखा दिया । केरल की घटना के बाद आनेवाले एक भी चुनाव में अगर कांग्रेस एक भी बैठक पर जीत हासिल करती है तो बो बाद आश्रर्य होगा । एक समर्थ व्यक्ति जब दुर्बल व्यक्ति के आधारित हो जाता है तब उसके अस्तित्व पर प्रश्नार्थ लग जाता है ठीक ऐसा ही कांग्रेस ने किया है । वर्तमान राजकरण प्रजाहित की बजाय व्यक्तिगत विरोध का रूप ले चुका है । एक तरफ भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत अभियान है तो दूसरी ओर सारे पक्ष मिलकर सिर्फ और सिर्फ मोदी का विरोध करने में जुटे हुए है और इसी घमासान में प्रजा को नजर अंदाज किया जा रहा है ।
तकिया कलम :-
विरोध का आलम कुछ इस तरह है कि अगर मोदी कह दे कि जाने के बाद पानी से साफ करनी चाहिए तो ये लोग ..........
। वीर ।

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...