आज पूरा दिन फेसबुक पर वाद विवाद में ही गुजरा । एक पुरोहित जी ने कुछ पोस्ट क्या डाली की बहोत सारे लोगों ने आपत्ति जताई तो ना चाहते हूए भी हमे उस वाद विवाद में भाग लेना पड़ा क्योंकि की आखिर ये सारी पोस्ट का ओर वाद प्रतिवाद का जो केंद्र बिंदु था वो था " राजपूत "
पुरोहितजी ने दो तीन पोस्ट डाली थी राजपूतो पर इसमें जो एक थी । उनका कहना था कि श्री राम राजपूत थे । बस उन्होंने अपने विचार मात्र क्या रखे । सारे हिंदुत्व के रक्षक हिन्दू ओर देश का झण्डा लेकर कूद पड़े । उन पर आरोप लगाया कि आप जातिवाद फैला रहे है (इनके हिसाब से फेसबुक पर एक पोस्ट डालने से जातिवाद फैलता है लेकिन नेताओ के बयान ओर तुष्टिकरण वाले निर्णयों में जातिवाद नही दिखता ) । बोल रहे थे की आप समाज को तोड़ने की कोशिश कर रहे हो । किसी ने कहा कि आपके इस कथन से कुछ लोग राम को मानना बंद कर देंगे । कितनी अजीब बात है ना । किसी के सिर्फ इतना कहने से की राम राजपूत थे कुछ लोगो के मन मे राम के लिए आदर नही रहता और यही लोग राम मंदिर और हिंदुत्व की बाते भी करते है । राम एक आस्था है और जिनके मन मे राम है उनके लिए राम कोन थे इससे कोई फर्क नही पड़ता ओर ना ही उनकी आस्था कम होती है । हा लेकिन जो तकवादी हिंदुत्व के जंडे लेकर घूम रहे है उनको बहोत फर्क पड़ता है क्योंकि उनके लिए राम मात्र सत्ता प्राप्ति के लिए साधन मात्र है ।
फेसबुक एक माध्यम है व्यक्ति के विचारों के लिए ओर यहाँ हर कोई अपने विचार रखता है और यही होना चाहिए । ये जरूरी नही की हर विचार हमारी इस्सा के मुजब है । व्यक्ति की निजी सोच है और अगर आप उनके विचार से सहमत नही है उसका ये मतलब तो नही होता कि वो व्यक्ति या उसका बिचार गलत है । अगर आप उसके विचार से सहमत नही है तो नजर अंदाज कर दो ना कि उस व्यक्ति पर अपनी विचारधारा थोपने की कोशिश । हा अगर उसका विचार जन हित के लिए हानिकारक हो तब उसका बिरोध जरूर होना चाहिए लेकिन किसी व्यक्ति का विचार इसलिए कभी भी गलत नही होता कि उसने किसी जाति का समर्थन नही किया और अगर आप को किसी जाति विषयक विचार से तकक्लिफ़ हो रही हो तो समझना कि जातिवाद की जंडे आपके अन्दर ही है और वही से जातिवाद का जन्म भी हुआ है ।
कुछ लोगो का मन सिर्फ इसलिए खिन्न होता है कि उनकी या उनकी जाति की प्रशंसा क्यों नही की जा रही है । क्योंकि अगर आप सर्व जाती समानता के विचार रखते है तो कभी भी किसी एक जाति की किसी के द्वारा हो रही प्रशंसा आपके मन को खिन्न नही कर पायेगा ।
फेसबुक एक माध्यम है व्यक्ति के विचारों के लिए ओर यहाँ हर कोई अपने विचार रखता है और यही होना चाहिए । ये जरूरी नही की हर विचार हमारी इस्सा के मुजब है । व्यक्ति की निजी सोच है और अगर आप उनके विचार से सहमत नही है उसका ये मतलब तो नही होता कि वो व्यक्ति या उसका बिचार गलत है । अगर आप उसके विचार से सहमत नही है तो नजर अंदाज कर दो ना कि उस व्यक्ति पर अपनी विचारधारा थोपने की कोशिश । हा अगर उसका विचार जन हित के लिए हानिकारक हो तब उसका बिरोध जरूर होना चाहिए लेकिन किसी व्यक्ति का विचार इसलिए कभी भी गलत नही होता कि उसने किसी जाति का समर्थन नही किया और अगर आप को किसी जाति विषयक विचार से तकक्लिफ़ हो रही हो तो समझना कि जातिवाद की जंडे आपके अन्दर ही है और वही से जातिवाद का जन्म भी हुआ है ।
कुछ लोगो का मन सिर्फ इसलिए खिन्न होता है कि उनकी या उनकी जाति की प्रशंसा क्यों नही की जा रही है । क्योंकि अगर आप सर्व जाती समानता के विचार रखते है तो कभी भी किसी एक जाति की किसी के द्वारा हो रही प्रशंसा आपके मन को खिन्न नही कर पायेगा ।
। वीर ।