Wednesday, May 31, 2017

देशभक्तों की सरकार ।
माना कि अटलजी भारत के माननीय}ओर सर्व स्वीकार्य वड़ा प्रधान में से एक है लेकिन आतंकवादियो को कंदहार तक छोड़ने के लिये जानेवाली सरकार देशभक्तों की थी ।
जिन्होंने सत्ता पाने के लिए राम मंदिर को राष्ट्रव्यापी बनाया और यात्रा निकाल कर अपने आपको सबसे बड़ा हिंदुत्व वादी कहलाने वाले अडवाणीजी ने पाकिस्तान में जाकर जिन्हा की कबर पर शीश ज़ुकाया वो सरकार भी देशभक्तों की थी (याद रहे कि आगे की देश द्रोहियो की सरकार के किसी भी मंत्री ने ये नही किया है )
सेना ने कहा कि आगे की सरकार में भी सर्जिकल स्ट्राइक हुए है लेकिन क्योंकि ये सुरक्षा की ओर सेना की प्राइवेट बात है इसलिए किसी भी सरकार ने ऐसी बातों को पब्लिकली नही किया क्योंकि वो देश द्रोहियो की सरकार थी लेकिन सेना के नाम पे अपनी सत्ता को बचाने के लिए सेना द्वारा किये गए सर्जिकल स्ट्राइक का पूरा श्रेय लेके लोगो के बीच चिल्ला चिल्ला कर बताने वाली सरकार देशभक्तों की थी ।
सेना के जवानों को खाना जैसा भी मिल रहा है लेकिन आजतक किसी सेनानी ने अपना वीडियो बनाकर उसे पब्लिकली नही किया क्योंकि की उस वक़्त सरकार देशद्रोहियो की थी लेकिन देशभक्तों की सरकार का असर है कि सेना की अंदर की बाते भी जाहिर होने लगी हैं ।
हो सकता है कि आगे की सरकारों में ऐसा कुछ हुआ हो जो मुझे पता नही है तो इनफार्मेशन आवकार्य है ।
नक्सलवाद ।
कॉलेज लाइफ में पढ़ा था न्यूज़ पेपर में इनके बारे में । बहुत ही अस्सा लिखते थे रिपोर्टर ओर न्यूज़ पेपर में लिखने वाले । इनको बिछड़े हुए समाज और आदिवासियो का मसीहा बनाकर पेश करने में सायद कोई पीछे नही रहा होगा । ज्यादा जानकारी तो नही थी इसलिए न्यूज़ पेपर की इस खबरो के आधार पर हम हम भी नक्सलवाद को सही मानते थे और बड़े ही प्रशंसक रहे है उनके लेकिन क्योंकि गांव में रहने के कारणों से बहुत चीजो से अवगत नही थे इसलिए जितना भी पढ़ते थे उसमे उनको हमेशा हीरो के रूप में ही देखा गया है । फिर सोसिअल मीडिया का दौर चला और हम भी उसमे सामिल हुए और नई नई जानकारी मिलने लगी । शुरू में कुछ दोस्त जुडे जो हमारी तरह ही सोचते थे लेकिन फिर सामने आया नक्षलवाद का एक ओर चहेरा जो घिलोना ओर खौफनाक था । निर्दोष लोगों की ह्त्या करना या देश के रक्षको से लड़ना कतई देशभक्ति की सीमा में नही आता है । गरीबो ओर खेदूतो के अधिकार के लिए लड़ने वाले अगर दूसरे रास्ते से अपने ही सैनिको ओर निर्दोष लोगों का खून बहाते है तो वो खुदगर्ज ओर बाहरी ताकतों पर नाचनेवाले बंदर ही बनकर रह जाते है ।
पिछले कुछ सालों में इनकी ताकत बढ़ती दिखाई दे रही है और उनकी ताकत के साथ ही उनके घिलोने कृत्य भी बढ़ने लगे है । आएदिन सैनिको की हत्या जैसी इनकी जिंदगी का मकशद ही बन गया है । आदर्शवाद के साथ सुरु होनेवाली कोई भी लड़ाई समय के चलते दिशाहीन होकर आदर्शो को भुला देती है और वो समाज के लिए घातक साबित होती है ऐसे में सरकार की ये नैतिक जिम्मेदारी है कि ऐसे संगठन और उनको सपोर्ट करने वालो के खिलाफ बातचीत या समाधान वाली राह ना अपनाते हुए सीधी कार्यवाही करे ।
आशा रखते है कि 26 सैनिको की ये सहादत आखरी सहादत हो । आतंकवाद से प्रेरित संगठन का खात्मा ही इन शहीदों को सच्ची श्रंद्धाजली होगी ।
वर्तमान समय मे जिस प्रकार सामाजिक और राजकीय समीकरण बन रहे है और जो हालात है उसे देखने के बाद भविष्य कुछ इस तरह होगा ।
समाज दो विभाग में पूरी तरह विभाजित ही जायेगा जिसमे एक तरफ होंगे सवर्ण ज्ञाति के लोको ओर दूसरी ओर बची सारी जाती । इन दोनों के बीच बडा ओर लंबा वर्ग विग्रह होगा । जिसमें सवर्ण अपनी लायकात ओर कैपिबिलिटी को हथियार बनाकर जबकि सामने की ओर से उन्हें मिलने वाले सवैधानिक हको को अपना हथियार बनाएंगे । एक लंबे विग्रह के बाद आखिर में सवर्णो की जीत होगी और सर्व समानता के आधार पर एक नया संविधान लिखा जाएगा लेकिन जैसा कि हर सिस्टम में कोई कमी होती है ऐसे ही कुछ सवर्ण जातिया फिर से मध्यकालीन भारत का परिचय कराते हुये शुद्रों पर अत्याचार करेंगे ।
आगे चलके उन सवर्ण ज्ञाति ओ के बीच मे अपने आपको सर्व श्रेष्ठ साबित करने की होड़ लगेगी और उसमें से एक ओर वर्ग विग्रह पैदा होगा जो सवर्ण ज्ञाति ओ के अंदर ही अंदर होगा जिसमे एक तरफ राजपूत, ब्राह्मण, ओर चारण होंगे और दूसरी ओर बाकी सब सवर्ण ज्ञाति होगी । राजपूत, ब्राह्मण और चारण अपनी लायकात ओर धर्म आधारित नीति नियमो ओर प्रजा कल्याण के विचारो को हथियार बनाएगी वही दूसरी ओर बाकी की सवर्ण ज्ञातिया सत्ता और सम्पति के आधार पर अपने आपको सर्व श्रेष्ठ साबित करने की कोशिश करेगी ।
आखिर में धर्म और नीति की जीत होगी और का चारणों की मदद से ब्राह्मण क्षत्रिय का राजतिलक करके भारत की सत्ता के साथ देश और प्रजा कल्याण की जिम्मेदारी के साथ क्षत्रिय को सत्ता पर बिठाएंगे । ओर फिर से भारत विश्व के महानतम देशो में अपना आधिपत्य स्थापित करेगा ।
ये सारी घटनाये आनेवाले 100 से 150 सालो में घटेगी ओर हो सकता है कि इससे कम समय मे भी
बाबा विरम देव की जय हो ।
अगर आप भारतीय सेना और सैनिको की रेस्पेक्ट करते है तो आपको प्रमाण देना होगा फेसबुक पर किसी देश भक्त की पोस्ट या फ़ोटो को लाइक करके या कॉमेंट करके । यदि आप ऐसा नही करते तो ये मान लिया जाएगा कि आपके मन देश प्रेम नही है और नाही सेना के लिए रेस्पेक्ट ।
सोचो कोई आपके सामने कोई ऐसी चीज रखता हैं जिसका आप मन से सन्मान करते है तो आप बहुत खुश होंगे लेकिन अब वही चीज हररोज हर जगह , हर वक़्त आपके सामने रखी जाए तो आपका response क्या रहेगा । साइकोलोजिकल सोचे तो उस चीज के प्रति आपके मन मे सो सन्मान जनक भावनाएं है उसमें त्रुटि आएगी उसकी मात्रा कम होती जाएगी । और धीरे धीरे वक़्त ये आएगा कि उस चीज की कोई कीमत ही नही रह जायेगी आपके मन मे । अति सर्वत्र वर्जयते ऐसा कुछ सिंद्धांत कहा गया है वो यहाँ पर काम करेगा । और फिर आप उस चीज को देखते ही अपना मुंह फेर लेंगे । ठीक ऐसा ही कर रहे है हमारे फेसबुक पर लड़ने वाले देशभक्त युवा । भारतीय सेना के नाम पर पेज बनाके आये दिन पुरानी किसी सैनिक की मौत की या घायल सैनिक की फ़ोटो अपलोड करके लिखते है अगर आप सच्चे देश भक्त है तो लाइक करे या कॉमेंट करे । इसकी मात्रा इतनी बढ़ गई है की अब उसके देखते ही उल्टी होने लगती है । ऐसे मानसिक रोगी देश भक्तो के कारण सेना के प्रति जो सन्मानिय भावना जन मानस में है वो कम होती जा रही है ।
ठीक ऐसा ही हाल है हमारे सनातन धर्म, राम और राम मंदिर का । आप फेसबुक या वॉट्सऐप खोलेंगे ओर एक मिनिट चलाएंगे तो सायद ही ऐसी पोस्ट से बचेंगे जिसमे आपको आपके धर्म के प्रति आपके मन मे जो सन्मान ओर भावना है उसका प्रमाण देने के लिए या तो लाइक करना पड़ेगा या फिर कॉमेंट या उस पोस्ट को शेयर करना पड़ेगा । यदि आप ऐसा नही करते है या फिर उस पोस्ट पर दो शब्द उल्टे लिख देते है तो आपको तथाकथित धर्म रक्षको के द्वारा विधर्मी या पाकिस्तानी होने का प्रमाणपत्र मिल जाएगा ।
सरकार की हर कामयाबी के साथ नेताओ के गुण गाना ओर हर नाकामयाबी को छुपाने के लिए सेना और धर्म को बीच मे लेकर सवेदनशीलता के आधार पर आपकी भावनाओं से खेलना इन लोगो का धंधा बन गया है ।
ये वो लोग है जिन्हें अपने आपको सनातनी या हिन्दू या फिर सेना का हमदर्द देशभक्त साबित करने के लिए ढंढेरा पीटना पड़ता है ।
आप अगर सेना में है या फिर पुलिस फोर्स में है तो आपके पास वजह है गर्व करने की आप देश की सेवा कर रहे है । आपको सन्मान देकर हम आम आदमी भी गर्व महसूस करते है कि चलो हमारे दिल मे इन देशभक्तों के लिए सन्मान तो है अब ये चर्चा की जरूरत नही की वो सन्मान सिर्फ फेसबुक और वॉट्सऐप पर ही है क्योंकि हकीकत कभी सोसिअल मीडिया से बाहर देखे तो कुछ और भी नजर आता है । बीचमे एक फोटो वायरल हुआ था ट्रैन में सब आम लोग आराम से सीट पर बैठे थे वही एक जवान जमीन पर लेटकर सफर कर रहा था !!
चलो हम देश की सरहद पर ना जा शके उसका गम हरदम रहेगा लेकिन कुछ आम बाते जो हमे ये गर्व महसूस कराएगी की हमने देश के लिए कुछ किया है । वैसे ऐसी बाते बहुत बार शेयर हो चुकी है सोसिअल मीडिया पर क्योंकि हमारी देश भक्ति की मर्यादा वहा तक सीमित है ।
रविवार के दिन आपकी छुट्टी है आप घर पे है । आपके घर से आधा किलोमीटर दूरी पर पान के गल्ले पे आप सिगारेट पीने जाते है बाइक या गाडी लेकर । बस उस छुट्टी के दिन पैदल जाना शुरू करदो । इससे बहुत लाभ होगा देश को भी ओर आप को भी । आपका पैसा बचेगा, सेहत को लाभ होगा, गाड़ी पे घीसारा भी नही पड़ेगा वही देश का ईंधन बचेगा, पॉल्युशन कम होगा । अगर आप बाहर जानेवाले है और जरूरत नही है तो पर्सनल गाड़ी का उपयोग ना करे बल्कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करने का प्रयत्न करें ।
आप कहीं से गुजर रहे हो और आपकी नजर पानी के किसी खुले नल पर पड़ती है जिसमे से पानी का व्यय हो रहा है । आप थोड़ी तकलीफ ले के उसे बंद करे फिर चाहे वो एरिया आपके लिए अनजान ही क्यों ना हो ।
आप कुछ लिख रहे है तो ध्यान रखे कि कागज का पूरा उपयोग करे उसे कभी भी आधा लिखजर छोड़ ना दे और अगर जरूरत ना हो तब उपयोग किया हुआ पेपर ही उपयोग में ले ।
आप के घर, आफिस या पब्लिक प्लेस पे अगर जरूरत ना हो तब इलेक्ट्रिसिटी की स्विच बंद करने की तकलीफ आप उठा सकते है ।
आप का कोई सरकारी काम अगर अर्जेंट ना हो तो उसे पूरा कराने हेतु कभी भी लांच ना दे बल्कि पूरे नियमो के तहत सरकारी योजना का लाभ उठाएं ।
पब्लिक प्लेस या प्रॉपर्टी का कभी भी गलत फायदा ना उठाये । उदाहरण के तौर पे । मेरे एक दोस्त ने एक दिन बताया कि उसकी बीवी के सिर में थोड़ा सा दर्द हो रहा था तो उसने तुरंत 108 को बुलाया और वो हॉस्पिटल गए । इस तरह का गलत उपयोग ओर कई मुश्किलिया पैदा कर सकते है ओरो के लिए ।
ओर भी बहुत छोटी छोटी बातों से ओर अपनी जिम्मेदारी से देश की सेवा कर सकते है । अगर आपके ध्यान में ऐसा कुछ है तो इस पोस्ट में एडिट करके आगे बढ़ाए ।
। वीर ।
देशभक्ति -2
आप सुबह नहाके काम पर जाते है । अगर आप मजदूरी करते है और आप के साथ आपके कपड़े शाम को गंदे हो जाते है तो बेशक आपको शाम को घर आकर फिर से नहाना पड़ेगा लेकिन आप अस्सी वाली जॉब करते है और पूरा दिन AC आफिस में बैठकर काम करते है तो आपको कोई जरूरत नही है शाम को घर जाकर दुबारा नहाने की । अगर आप ये कर सकते है तो आप देश और देश की उस जनता की बड़ी ही सेवा कर सकते है जो देश के कुछ हिस्से जहा पीने का पानी भी बड़ी मुश्किल से मिलता है । आप शहर में रहते है तो आपको पूरा पानी मिलता है लेकिन हम वो नही जानते कि ये पानी हकीकत में किसी के हिस्से से छीन लिया गया है ।
इसलिए कुछ जिम्मेदारी समझकर पानी बचाये ताकि हमारे उन भाइयो को भी पानी मिले जो दूर गावो में रहते है ।
लोकशाही ।
भारत का राजतंत्र अपनी अंतिम सांसो के साथ जिंदगी से जूझ रहा है । लोकशाही की नई व्यवस्था सायद इस देश की धरती को राज नही आई । जिसकी शुरुआत ही एक दूसरे पे आरोप ओर प्रति आरोप से हुई है वो लोकशाही का मुख्य हथियार बन गया है राजकीय पक्षो के लिए । सिर्फ उनकी पगार बढ़ाने की बात को छोड़कर ये लंपट नेता कभी भी एक होकर कोई निर्णय ले नही पाते है । राजकीय दाव पेच के साथ ही समानता के आधार पर रचा गया ये जनता के शासन तंत्र में कितने ही जान लेवा रोग से ग्रहीत हो चुका है ये राजतंत्र । सिर्फ 68 साल की उम्र में ही दुनिया की सबसे बड़ी लोकशाही व्यवस्था अपने अस्तित्व को बचाने के निरंतर निष्फल प्रयाश करती नजर आ रही है । और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि जिन लोगो के हाथ मे जनता ने सत्ता रख दी वो लोगो को उसका स्वाद इतना अस्सा लगा कि अब वो चाहकर भी इससे अलग नही कर पा रहे है खुदको । कांग्रेस के गठन के वक़्त तय हुआ था कि आजादी मिलते ही इस संगठन को बिखेर दिया जाएगा लेकिन सत्ता पर बैठते ही वो अपने आदर्शों ओर वादों को भूल गई और सत्ता पर बर्षो तक चिपक गई वही दूसरी ओर देश और देश की जनता की सेवा के लिए बने RSS को लगा कि जनता और देश की सेवा करने के लिए सत्ता जरूरी है और उसने bjp का अर्जन कर दिया । लेकिन हुआ वही जो कांगेस ने किया था वो भी सत्ता पर चिपके रहने के लिए अलग अलग पैतरे बनाने लगे और कुछ हद तक लोगो की भावनाओ को जोड़कर वो सफल भी रहे । जनता का शासन अब इन दो राजकीय विचारधारा के बीच बाटने लगा । कभी उसके हाथ मे तो कभी इनके हाथ मे । आखिर जनता के पास अब ओर कोई राह भी नही थी उनके लिए तो इधर खाई उधर कुआ। ओर लोकशाही की कमजोरी थी कि बिना पढ़े लिखे ओर लंपट लोग सत्ता पर आने लगे । वही पूरा देश दो विचारधारा में बट गया । ओर इसी दो विचारधारा के बहाव में राष्ट्रहित बह गया ।
अंत मे वो दौर आया और जनता के सामने इन दो विचारधारा से बाहर निकलने वाला रास्ता दिखा अन्ना के आंदोलन में से पैदा हुए एक शिक्षित केजरीवाल के रूप और जनता ने उसे पूरे हर्षोउल्लास के साथ अपना भी लिया । लेकिन जनता का ये विश्वास और सपने ने सिर्फ 2 साल में ही दम तोड़ दिया । सत्ता की खुर्सी ने इस नई उम्मीद को अपने रंगों में रंग दिया और जनता को फिरसे वही लाकर खड़ा कर दिया जहा से निकलने के लिए पिछले कुछ सालों से छटपटा रही है जनता ।
क्रमशः
। वीर ।

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...