Wednesday, May 31, 2017

अगर आप भारतीय सेना और सैनिको की रेस्पेक्ट करते है तो आपको प्रमाण देना होगा फेसबुक पर किसी देश भक्त की पोस्ट या फ़ोटो को लाइक करके या कॉमेंट करके । यदि आप ऐसा नही करते तो ये मान लिया जाएगा कि आपके मन देश प्रेम नही है और नाही सेना के लिए रेस्पेक्ट ।
सोचो कोई आपके सामने कोई ऐसी चीज रखता हैं जिसका आप मन से सन्मान करते है तो आप बहुत खुश होंगे लेकिन अब वही चीज हररोज हर जगह , हर वक़्त आपके सामने रखी जाए तो आपका response क्या रहेगा । साइकोलोजिकल सोचे तो उस चीज के प्रति आपके मन मे सो सन्मान जनक भावनाएं है उसमें त्रुटि आएगी उसकी मात्रा कम होती जाएगी । और धीरे धीरे वक़्त ये आएगा कि उस चीज की कोई कीमत ही नही रह जायेगी आपके मन मे । अति सर्वत्र वर्जयते ऐसा कुछ सिंद्धांत कहा गया है वो यहाँ पर काम करेगा । और फिर आप उस चीज को देखते ही अपना मुंह फेर लेंगे । ठीक ऐसा ही कर रहे है हमारे फेसबुक पर लड़ने वाले देशभक्त युवा । भारतीय सेना के नाम पर पेज बनाके आये दिन पुरानी किसी सैनिक की मौत की या घायल सैनिक की फ़ोटो अपलोड करके लिखते है अगर आप सच्चे देश भक्त है तो लाइक करे या कॉमेंट करे । इसकी मात्रा इतनी बढ़ गई है की अब उसके देखते ही उल्टी होने लगती है । ऐसे मानसिक रोगी देश भक्तो के कारण सेना के प्रति जो सन्मानिय भावना जन मानस में है वो कम होती जा रही है ।
ठीक ऐसा ही हाल है हमारे सनातन धर्म, राम और राम मंदिर का । आप फेसबुक या वॉट्सऐप खोलेंगे ओर एक मिनिट चलाएंगे तो सायद ही ऐसी पोस्ट से बचेंगे जिसमे आपको आपके धर्म के प्रति आपके मन मे जो सन्मान ओर भावना है उसका प्रमाण देने के लिए या तो लाइक करना पड़ेगा या फिर कॉमेंट या उस पोस्ट को शेयर करना पड़ेगा । यदि आप ऐसा नही करते है या फिर उस पोस्ट पर दो शब्द उल्टे लिख देते है तो आपको तथाकथित धर्म रक्षको के द्वारा विधर्मी या पाकिस्तानी होने का प्रमाणपत्र मिल जाएगा ।
सरकार की हर कामयाबी के साथ नेताओ के गुण गाना ओर हर नाकामयाबी को छुपाने के लिए सेना और धर्म को बीच मे लेकर सवेदनशीलता के आधार पर आपकी भावनाओं से खेलना इन लोगो का धंधा बन गया है ।
ये वो लोग है जिन्हें अपने आपको सनातनी या हिन्दू या फिर सेना का हमदर्द देशभक्त साबित करने के लिए ढंढेरा पीटना पड़ता है ।
आप अगर सेना में है या फिर पुलिस फोर्स में है तो आपके पास वजह है गर्व करने की आप देश की सेवा कर रहे है । आपको सन्मान देकर हम आम आदमी भी गर्व महसूस करते है कि चलो हमारे दिल मे इन देशभक्तों के लिए सन्मान तो है अब ये चर्चा की जरूरत नही की वो सन्मान सिर्फ फेसबुक और वॉट्सऐप पर ही है क्योंकि हकीकत कभी सोसिअल मीडिया से बाहर देखे तो कुछ और भी नजर आता है । बीचमे एक फोटो वायरल हुआ था ट्रैन में सब आम लोग आराम से सीट पर बैठे थे वही एक जवान जमीन पर लेटकर सफर कर रहा था !!
चलो हम देश की सरहद पर ना जा शके उसका गम हरदम रहेगा लेकिन कुछ आम बाते जो हमे ये गर्व महसूस कराएगी की हमने देश के लिए कुछ किया है । वैसे ऐसी बाते बहुत बार शेयर हो चुकी है सोसिअल मीडिया पर क्योंकि हमारी देश भक्ति की मर्यादा वहा तक सीमित है ।
रविवार के दिन आपकी छुट्टी है आप घर पे है । आपके घर से आधा किलोमीटर दूरी पर पान के गल्ले पे आप सिगारेट पीने जाते है बाइक या गाडी लेकर । बस उस छुट्टी के दिन पैदल जाना शुरू करदो । इससे बहुत लाभ होगा देश को भी ओर आप को भी । आपका पैसा बचेगा, सेहत को लाभ होगा, गाड़ी पे घीसारा भी नही पड़ेगा वही देश का ईंधन बचेगा, पॉल्युशन कम होगा । अगर आप बाहर जानेवाले है और जरूरत नही है तो पर्सनल गाड़ी का उपयोग ना करे बल्कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करने का प्रयत्न करें ।
आप कहीं से गुजर रहे हो और आपकी नजर पानी के किसी खुले नल पर पड़ती है जिसमे से पानी का व्यय हो रहा है । आप थोड़ी तकलीफ ले के उसे बंद करे फिर चाहे वो एरिया आपके लिए अनजान ही क्यों ना हो ।
आप कुछ लिख रहे है तो ध्यान रखे कि कागज का पूरा उपयोग करे उसे कभी भी आधा लिखजर छोड़ ना दे और अगर जरूरत ना हो तब उपयोग किया हुआ पेपर ही उपयोग में ले ।
आप के घर, आफिस या पब्लिक प्लेस पे अगर जरूरत ना हो तब इलेक्ट्रिसिटी की स्विच बंद करने की तकलीफ आप उठा सकते है ।
आप का कोई सरकारी काम अगर अर्जेंट ना हो तो उसे पूरा कराने हेतु कभी भी लांच ना दे बल्कि पूरे नियमो के तहत सरकारी योजना का लाभ उठाएं ।
पब्लिक प्लेस या प्रॉपर्टी का कभी भी गलत फायदा ना उठाये । उदाहरण के तौर पे । मेरे एक दोस्त ने एक दिन बताया कि उसकी बीवी के सिर में थोड़ा सा दर्द हो रहा था तो उसने तुरंत 108 को बुलाया और वो हॉस्पिटल गए । इस तरह का गलत उपयोग ओर कई मुश्किलिया पैदा कर सकते है ओरो के लिए ।
ओर भी बहुत छोटी छोटी बातों से ओर अपनी जिम्मेदारी से देश की सेवा कर सकते है । अगर आपके ध्यान में ऐसा कुछ है तो इस पोस्ट में एडिट करके आगे बढ़ाए ।
। वीर ।
देशभक्ति -2
आप सुबह नहाके काम पर जाते है । अगर आप मजदूरी करते है और आप के साथ आपके कपड़े शाम को गंदे हो जाते है तो बेशक आपको शाम को घर आकर फिर से नहाना पड़ेगा लेकिन आप अस्सी वाली जॉब करते है और पूरा दिन AC आफिस में बैठकर काम करते है तो आपको कोई जरूरत नही है शाम को घर जाकर दुबारा नहाने की । अगर आप ये कर सकते है तो आप देश और देश की उस जनता की बड़ी ही सेवा कर सकते है जो देश के कुछ हिस्से जहा पीने का पानी भी बड़ी मुश्किल से मिलता है । आप शहर में रहते है तो आपको पूरा पानी मिलता है लेकिन हम वो नही जानते कि ये पानी हकीकत में किसी के हिस्से से छीन लिया गया है ।
इसलिए कुछ जिम्मेदारी समझकर पानी बचाये ताकि हमारे उन भाइयो को भी पानी मिले जो दूर गावो में रहते है ।
लोकशाही ।
भारत का राजतंत्र अपनी अंतिम सांसो के साथ जिंदगी से जूझ रहा है । लोकशाही की नई व्यवस्था सायद इस देश की धरती को राज नही आई । जिसकी शुरुआत ही एक दूसरे पे आरोप ओर प्रति आरोप से हुई है वो लोकशाही का मुख्य हथियार बन गया है राजकीय पक्षो के लिए । सिर्फ उनकी पगार बढ़ाने की बात को छोड़कर ये लंपट नेता कभी भी एक होकर कोई निर्णय ले नही पाते है । राजकीय दाव पेच के साथ ही समानता के आधार पर रचा गया ये जनता के शासन तंत्र में कितने ही जान लेवा रोग से ग्रहीत हो चुका है ये राजतंत्र । सिर्फ 68 साल की उम्र में ही दुनिया की सबसे बड़ी लोकशाही व्यवस्था अपने अस्तित्व को बचाने के निरंतर निष्फल प्रयाश करती नजर आ रही है । और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि जिन लोगो के हाथ मे जनता ने सत्ता रख दी वो लोगो को उसका स्वाद इतना अस्सा लगा कि अब वो चाहकर भी इससे अलग नही कर पा रहे है खुदको । कांग्रेस के गठन के वक़्त तय हुआ था कि आजादी मिलते ही इस संगठन को बिखेर दिया जाएगा लेकिन सत्ता पर बैठते ही वो अपने आदर्शों ओर वादों को भूल गई और सत्ता पर बर्षो तक चिपक गई वही दूसरी ओर देश और देश की जनता की सेवा के लिए बने RSS को लगा कि जनता और देश की सेवा करने के लिए सत्ता जरूरी है और उसने bjp का अर्जन कर दिया । लेकिन हुआ वही जो कांगेस ने किया था वो भी सत्ता पर चिपके रहने के लिए अलग अलग पैतरे बनाने लगे और कुछ हद तक लोगो की भावनाओ को जोड़कर वो सफल भी रहे । जनता का शासन अब इन दो राजकीय विचारधारा के बीच बाटने लगा । कभी उसके हाथ मे तो कभी इनके हाथ मे । आखिर जनता के पास अब ओर कोई राह भी नही थी उनके लिए तो इधर खाई उधर कुआ। ओर लोकशाही की कमजोरी थी कि बिना पढ़े लिखे ओर लंपट लोग सत्ता पर आने लगे । वही पूरा देश दो विचारधारा में बट गया । ओर इसी दो विचारधारा के बहाव में राष्ट्रहित बह गया ।
अंत मे वो दौर आया और जनता के सामने इन दो विचारधारा से बाहर निकलने वाला रास्ता दिखा अन्ना के आंदोलन में से पैदा हुए एक शिक्षित केजरीवाल के रूप और जनता ने उसे पूरे हर्षोउल्लास के साथ अपना भी लिया । लेकिन जनता का ये विश्वास और सपने ने सिर्फ 2 साल में ही दम तोड़ दिया । सत्ता की खुर्सी ने इस नई उम्मीद को अपने रंगों में रंग दिया और जनता को फिरसे वही लाकर खड़ा कर दिया जहा से निकलने के लिए पिछले कुछ सालों से छटपटा रही है जनता ।
क्रमशः
। वीर ।
D.J. in Marriage..
લગન ની મૌસમ પુર જોશ માં ચાલી રહી છે..ચારે બાજુ કાન ફાડી નાખે એવા DJ ના સંગતિ ના તાલે લોકો ઝૂમી રહ્યા છે..લગ્ન એ આનંદ અને ઉલ્લાસ નું વાતાવરણ લઇને દરેક જી જિંદગી માં આવનારો અનેરો પ્રસંગ ..લગભગ લગ્ન માં વરઘોડા માં DJ તો હોય જ..
સમય ની સાથે પરિવર્તન એ સમય ની માંગ પણ છે અને એમાંથી આપના રિવાજો અને એને ઉજવવાના સાધનો માં પણ પરિવર્તન આવે એ સ્વાભાવિક છે..DJ પણ એ પરિવર્તન નું એક સાધન માત્ર છે..પણ કેટલાક પરિવર્તનો ની સાથે મૂળ પ્રસંગ નું આખું રૂપ પણ બદલાય જાય છે...પેલા વરઘોડા ફક્ત દેશી ઢોલ ની સંગાથે થતા જેમાં આગળ ઢોલી હોય અને પાછળ વરરાજા ગાડી અથવા ઘોડી પર અને એની પાછળ બધા માણસો..પછી ઢોલી ની સાથે શરણાઈ વાળા આવ્યા એમા પણ આવું જ દ્રશ્ય હતું લગભગ..ત્યાર બાદ શરણાઈ નું સ્થાન બેન્ડ વાજા એ લીધું અને દ્રશ્ય માં થોડું પરિવર્તન આવ્યું...જે માણસો વરરાજા ની પાછળ હતા એમાંથી થોડા બેન્ડ ની આગળ અને થોડા બેન્ડ ની પાછળ અને એની પાછળ વરરાજા અને એની પાછળ મહિલાઓ.. આ બધું હતું ત્યાં સુધી વરઘોડો જોઈને એ ખ્યાલ આવતો કે વરરાજા કોણ અને ક્યાં છે..પછી નો દોર એટલી આજ નો સમય જ્યારે બેન્ડ ના સ્થાને DJ આવી ગયું અને મૂળ દ્રશ્ય માં પણ પરિવર્તન...આગળ DJ મોટી ગાડી અને મોટા મોટા સ્પીકર સાથે એની આગળ અને પાછળ માણસો અને સૌથી પાછળ વરરાજા..કદાચ વરરાજા સાથે એકાદ નજીકનો માણસ હોય તો હોય..પરકણતું આજ ના આ વરઘોડા માં વરરાજા કોણ અમે ક્યાં છે એ સમજ જ નથી પડતી..લોકો આવે તો છે વરઘોડા માં પણ DJ ના તાલ માં વરરાજા જ ખોવાઈ જાય છે..સમય ની સાથે પરિવર્તન જરૂરી છે પણ એ વાત નું ધ્યાન પણ જરૂરું છે કે એ પરિવર્તન થી મૂળ પણ પરિવર્તિત ના થઇ જાય...એના સિવાય DJ નો અત્યંત અવાજ કાનના પડદા ફોડી નાખે એવો જબરજસ્ત પણ હોય છે..
અંત માં ..
જે પણ હોય પરંતુ DJ માં વાગતા અમારા ઉત્તર ગુજરાત ના ગમન સાંથળ, કિંજલ દવે, જીગ્નેશ કવિરાજ કે રજની બારોટ ના ગીતો તમારા પગ ને ધ્રુજાવી જરૂર નાખશે...જો તમે નાચવા ના માંગતા હોય તો તમારે મન પર વધુ ભાર મૂકી ને રોકાવું જરૂરી બને છે કારણ કે તમારા પગ તો ક્યારનાય ઊંચા નીચા થવા માંડે છે..આવા સમય માં મન એવું ઇચ્છતું પણ હોય છે કે કોઈ મિત્ર આવીને જબરજસ્તી નાચવા માટે લઇ જાય કારણ કે
માન માં પાડવાનો અને ભાવ ખાવાનો આપણા ભારતીય નો જન્મ સિદ્ધ અધિકાર છે..
..વીર...
जय माताजी.....

एकबार एक शेर का बच्चा अपने दूसरे भाइयो से भिसड़ के अलग हो गया ओर जाके sheep के जूण्ड के साथ मिल गया ओर वो उनके साथ ही बड़ा होने लगा .....वो बड़ा हो गया उसी जुण्ड मे ओर अब वो जंगल मे भी जाने लगा उसी जुण्ड के साथ लेकिन जंगल मे जैसे ही शेर आता तो sheep का ये जुण्ड भाग जाता था ओर ये शेर भी उनके साथ ही भाग जाता था॥ये देखकर दूसरे शेर को आश्चर्य होने लगा की ये शेर है फिर भी क्यू भाग रहा है...एक दिन शांति से शेरो ने उस शेर को पकड़ लिया ओर उसे तालाब के पास ले गए ओर उसे कहा की वो शेर है॥उसने जब अपना प्रतिबिंब पनि मे देखा तो उसके अंदर के खून के संस्कार जग गए ओर वो शेरो के साथ शिकार करने लगा.......
 
आपको नहीं लगता की ये स्टोरी आज के टाइम मे हमे ही लागू होती है हम भी अपने भाइयो से बिसड़ के सब अलल्ग अलग हो गए है ओर ऐसे ही किसी न किसी sheep के जुण्ड मे जाकर अपने खुद के संस्कार ओर खुदकी पहेचान भी भूल गए है...हमे पता ही नहीं है की हम कोण है....जब भी कोई दूसरा शेर हमे अपने पैन का अहेसाश करने आता है तो हम उन्हे देखकर भाग जाते है क्यूकी हमने खुद को आईने मे देखनी की कभी कोशिश ही नहीं की......जरूरु है अपने जमीर को जागकर एकबार अपने आप को आईने मे देखने की ओर एकबार हम अपने आपको पहेचान गए तो फिर हमारे अंदर के खून के संस्कार जग जाएंगे ओर फिर दुनिया मे कुछ भी ऐसा नहीं है जो हम हासिल न कर सके....बस हमे जगाने के लिए आते हमारे भाइयो को देखकर भागना बंद करना होगा......

जय माताजी ...जय राजपूताना....

बचपन मे शिक्षा की गंभीरता " शिक्षा या सजा "

बचपन मे शिक्षा की गंभीरता " शिक्षा या सजा "
एक बात पहले लिख देता हूं कि मेरी daughter का रिजल्ट 67% है दूसरी कक्षा में ओर में उसको ध्यान में नही ले रहा हु ओर ना ही में उसकी पढ़ाई को अभी गंभीरता से ले रहा हु ओर उसकी स्कूल ने मुजे एक बेजवाबादार पररेंट्स की श्रेणी में पहले से रख दिया है पर मुजे कोई फर्क नही पड़ता ओर ना ही मेरी बेटी के प्रति मेरे प्रेम में इस चीज से कोई फर्क नही पड़ता ।
ये बात इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि कुछ दिनों से बहोत से लोको ने अपने बच्चों के रिजल्ट को फेसबुक और वॉट्सऐप पर शेयर किया है जिसमे ज्यादातर बच्चो के 90% से ऊपर है जो दूसरी या तीसरी या बाल मंदिर मे है । इसके बावजूद भी मुजे कभी ऐसा नही लग रहा है कि ये कोई चिंता करने की बात हो मेरे लिए लेकिन जो लोगो ने ये फोटो अपलोड की है उनको ओर उनके जैसे कई माता पिता के लिए कुछ ।
आपके बच्चों ने इतना अस्सा रिजल्ट लाया है इसके लिए अभिनंदन ओर आपको गर्व करने वाली बात है लेकिन क्या ये 90% रिजल्ट हमारे बच्चों की योग्यता का आकलन करने का एकमात्र मापदंड है ?? हा जैसे ही आपको पता चला कि आपके बच्चे ने दूसरी या तीसरी कक्षा में 90% से ऊपर अंक प्राप्त किये है और आप उस पर गर्व ले रहे है और उस चीज पर गंभीर है तो ये आनेवाले समय के लिए निराशा को जन्म देनेवाली बात होगी । बचपन है अभी उनका , खेलने दो उनको, जीने दो उनको उनका बचपन , जैसे ही आप इस अंको को गंभीरता से लेंगे आपकी अपेक्षाएं बढ़ती जाएंगी और आगे जा के जब आप का बच्चा इतना ऊंचा रिजल्ट नही लाएगा उस वक़्त आप की आपके बच्चे के प्रति जो अपेक्षाएं होगी उसमे त्रुटि नजर आएगी और वही से शुरू होगा संघर्ष दो जनरेशन के बीच । मत देखो आपके बच्चों का रिजल्ट अगर वो primary स्कूल में है । क्योंकि ये वक़्त उनकी जिंदगी का वो वक़्त है जो अगर इस रिजल्ट के अंकों में उलझ कर दब गया तो वो जिंदगीभर उठ नही पायेगा । आपकी अपेक्षाए आपके बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा को जन्म देगी और उनका बचपन इस आग में जलकर राख हो जाएगा ।
। वीर ।

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...