Friday, March 24, 2017

एकलव्य

एकलव्य ।
कुछ दिन पहले एक जगह बैठा था तो वहा दो लोग चर्चा कर रहे थे की एकलव्य का अंगूठा धोके से ले लिया ताकि वो आगे जाके बाण ना चला शके और अर्जुन ही विश्व का श्रेष्ठ धनुर्धारी बना रहे है । किसी भी ने मुझे पूछा था कि दलितों और निचले काष्ठ की बातों में एकलव्य के बारे में आपका क्या कहना है ।
में मानता हूं कि गुरु कभी गलत नहीं हो सकता और जब हम बात द्रोण जैसे गुरु की करते है तो कतई उनको गलत मान नहीं सकते है । गुरु हमेशा अपने शिष्य के भविष्य के बारे में सोचता है और सायद इसी वजह से कभी गुरु का वर्तमान में लिया गया कठोर निर्णय हमें विचलित कर देता है । सोचो अगर गुरु द्रोण ने एकलव्य का अंगूठा नहीं लिया होता या एकलव्य में गुरु दक्षिणा में नहीं दिया होता तो क्या आज हम एकलव्य को याद करते होते ?? वो एक भील जाती का लड़का था और आज के समय में भी हमारे देश में लाखों करोडो प्रतिभाएं है जिनको कही भी स्थान नहीं मिलता है । अगर गुरु द्रोण ने उससे अंगूठा नहीं माँगा होता तो वो जंगल के उस अँधेरे में गायब हो जाता और कभी भी उसको इतिहास के पन्नो पे जगह नहीं मिलती क्योंकि वो कितना भी बड़ा धनुर्धारी होने के बावजूद सायद महाभारत के युद्ध में भाग नहीं ले पाता और नाही वो अपने बल पर कभी सत्ता प्राप्त कर सकता । नाही वो कभी अर्जुन को हरा सकता और ना ही बो युद्ध के इतिहास का हिस्सा बन पाता और यही बात गुरु द्रोण अस्सी तरह से जानते थे इसलिए उसकी प्रतिभा और उसको हमेशा के लिए इतिहास का हिस्सा बना ने के लिए उससे गुरु दक्षिणा में उसका अंगूठा मांग लिया और आज हम अगर एकलव्य को याद करते है तो सिर्फ यही वजह है कि उसने गुरु के कहने पर गुरु दक्षिणा में अपना अंगूठा दे दिया । वरना उस वक़्त और आज के समय में हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है लेकिन वो किसी गली के अंधेरो में से दुनिया के सामने आ ही नहीं पाते क्योंकि उनके पास गुरु द्रोण जैसा गुरु नहीं होता । एकलव्य और द्रोण के किस्से में द्रोण की दूरंदेशी पूजने योग है और हर हालत में वो सही है इसलिए आज के दौर में एकलव्य को दलित समझकर ही उसके साथ ये व्यव्हार किया ऐसी सोच रखना संपूर्ण गलत होगा ।
लेखन :- वीर   dated :- 26/02/2017

जूता फेंक

जूता फेंक ।
एक फैशन बन गयी है आजकल हमारे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले देश में । हम अपना गुस्सा निकालने के लिए आये दिन नेताओ पर जूते मारते है या स्याही डालकर अपना गुस्सा निकाल रहे है । मुझे ये पता नहीं चलता की आखिर हम करना क्या चाहते है । किसी को जूता मारने से या स्याही फेंकने से क्या उपलब्ध होने वाला है । देश का कोई भी नेता हो चाहे वो किसी भी पक्ष का हो मेरे विचार से इस तरह की हरकत करने वालो के खिलाफ सख्त क़ानूनी कार्यवाही हो ये बहुत ही जरूरी और आज के समय की जरुरत है । जूता फेंकने वाला व्यक्ति जिस नेता पर जूता फेकता है वो भूल रहा है कि उस नेता को उस जगह पर बहुमती जनता ने ही बिठाया है इसलिए हकीकत में आप जब किसी नेता पर जूता फेकते हो या स्याही फेकते हो तब वो नेता तो सिर्फ मोहरा है हकीकत में वो जूता आप देश की बहुमत जनता के मुंह पर मारकर ये साबित करते हो की हमारी लोकतांत्रिक सिस्टम सही नहीं है आपको लगता है कि आपके विचार से देश की बहुमत जनता मुर्ख है ।
कोई भी आदमी याने नेता या सिस्टम 100% परफेक्ट नहीं हो सकते हो सकता है कि बहुत से नेता देश को लूंट रहे हों और भ्रष्टाचार से लिपटे हुए है जिनके खिलाफ किसी भी युवा के दिल में गुस्सा आना स्वाभाविक है लेकिन इसका मतलब ये नहीं की आप सबके सामने उस पर जूता या स्याही फेंके या किसी भी सूरत में सही नहीं माना जा सकता । हमारे संविधान ने आपको ना केवल अधिकार बल्कि हथियार भी दिया है । अगर कोई नेता आपको पसंद नहीं है या वो गलत है तो उसके खिलाफ अपने वाही लोकतांत्रिक हथियार का उपयोग करके उसे घर बिठा दे । अपना गुस्सा निकालने के लिए किसी का अपमान करना कमजोरी की निशानी है ।
इस तरह की हरकत आदमी तब करता है जब उसे लगता है को उसके विचार श्रेष्ठ है और सिस्टम गलत राह पर चल रही है लेकिन में यही कहूंगा कि अगर आपका विचार श्रेष्ठ है तो भी आपको ये अधिकार नहीं है और दूसरी बात की आप कमजोर हो हर सूरत में । आप के साथ बहुमत जनता नहीं है इसके 2 ही कारण हो सकते है एक या तो आपके विचार सही नहीं है या फिर आप अपने विचार जनता तक पहुचाने में उसको समजाने में असफल रहे हों पर दोनों सूरत में आप ही कमजोर साबित हो रहे हो और हम हमारी इसी कमजोरी को छुपाने के लिए इस तरह की हरकतें करते रहते है ।लेखन :-
लेखन :- वीर..... Dated:- 04/03/2017

Bharatiy Sena / भारतीय सेना


आज किसी ने वीडियो भेजा था पता नहीं पुराना था या नया पर मैंने पहली बार देखा । वीडियो में एक भारतीय सैनिक अपनी तकलीफों के बारे में बता रहा है और इसके लिए वो खुद सेना को ही जिम्मेदार बता रहा है । इससे पहले भी ये चीज हो चुकी है और हमारी कर्तव्यनिष्ट मीडिया ने उसे अस्सी तरह का कवरेज भी दिया था क्योंकि आज देश में देश भक्ति का ठेका दो समूहों ने लिया हुआ है एक है मीडिया और दूसरे भक्तजन ।
अब बात सेना के उस जवान की वीडियो की । में जानता हूं भारतीय सेना की कोई भी बात देश 130 करोडो लोगो के दिल से जुडी हुई है और इसलिए सायद कुछ लोग अपनी हर नाकामयाबी छुपाने के लिए सेना का नाम उपयोग कर रहे है ऐसे हालात में सेना या किसी सैनिक के विरोध में लिखना देश द्रोह माना जायेगा । अब उस जवान की बात जो मुस्किलो को वीडियो यु कहिये की सोसिअल मीडिया का इससे गलत इस्तेमाल आज तक नहीं हुआ होगा। तो वो सैनिक इसका इस्तेमाल करके सेना की अंदर की बात पूरी दुनिया के समक्ष रखता है ।
भारतीय सेना या किसी भी देश की सेना है क्या । a group of well trained people अब ये ट्रेनिंग क्या है , हथियार चलाना या फिर दुश्मनो को मार गिराना या फिर सैनिक मतलब एक ताकतवर इंसान । मेरे विचार से ये सारी चीजें आम आदमी में भी मौजूद होती है तो फिर क्यों सैनिक आम जनता से अलग है , देश की हर आंख उसके लिए क्यों रोती है, क्यों हर दुआ उसके लिए होती है , उसको सन्मान क्यों दिया जाता है । ये सब इसलिए है क्योंकि उनके हाथ में देश की रक्षा की जिम्मेदारी है और जिम्मेदारी निभाने वाला इंसान डिसिप्लिन का पक्का होना चाहिए , ये डिसिप्लिन ही है जो एक सैनिक को आम आदमी से अलग करता है । किसी भी हालत में एक सैनिक अपना डिसिप्लिन नहीं तोड़ता और उससे अपेक्षा रखी जाती है कि वो पूरी ईमानदारी से अपनी फर्ज अदा करे । बेसक कुछ खाने की तकलीफ होगी लेकिन ये तो पूरी दुनिया में है और आम जनता में भी । अगर एक सैनिक भी आम जनता की तरह इस तरह की गैर जिम्मेदाराना हरकत करता है तो फिर उसमें और एक आम आदमी में फर्क ही क्या है । जो सैनिक सिर्फ खाने की या छोटी मोटी तकलीफ के लिए इस तरह की हरकत करता है वो कल देश की और सेना की पर्सनल बाते दुश्मनो को नहीं बतायेगा इस की गारंटी क्या ?
अनुशासन सेना की सबसे बड़ी ताकत होती है और छोटी मोटी तकलीफों के लिए जो भी सैनिक अनुशासन से बहार। की कोई भी हरकत करता है उस पर सेना के हिसाब से कड़ी कार्यवाही हो ये आवकार्य है । इस तरह के वीडियो या किसी और माध्यम से लोगो की सहानुभूति प्राप्त करके कुछ लोगो हीरो बन रहे है और हम भी चु.....की तरह उनको और बढ़ावा देते है और सैन्य के अफसरों को गालिया देने लगते है लेकिन इस तरह की किसी भी हरकत का सपोर्ट करने का मतलब भविष्य में सेना में विद्रोह को जन्म देने के काम करेगा इसलिए ऐसे वीडियो को फैलाके सेना की कमर तोड़ने का काम ना करे ।
अगर कोई इसे पढ़कर हमें देशद्रोही कह दे तो बुरा नहीं लगेगा ।
लेखन :- वीर .... Dated:-  09/03/2017

Manavata / मानवता...



जड़ मतलब चेतना विहीन, आत्मा और लागनी विहीन, मृत...और भाई कई सर्वनाम दे सकते है हम इनको । मानवता मर चुकी है, दयाभाव ख़तम हो चूका है, मनुष्य यत्रो से भी ज्यादा जड़ बन चूका है । टेक्नोलॉजी का इतना गलत इस्तेमाल सायद अणु धड़ाको से होनेवाले नुकशान से कम नहीं है । करुणा ही नहीं रही है हम इंसानो में ।
आप सोच रहे होंगे ये सब क्या है । कोनसी फिलोसोफी की किताब से कॉपी किया है । नहीं भाई ये कोई फिलोसोफी की किताब से कॉपी नहीं किया गया है लेकिन थोड़ी देर पहले वॉट्स अप में आये हुए कुछ msg और photoes ने झंझोडकर रख दिया है । एक्सीडेंट में एक नो जवान लड़के की मौत हो गयी है और वो भी बहुत ही भयानक और हम वहा खड़े होकर उस मृत शरीर की फोटो खींचकर शेयर कर रहे है । ऐसे दिल को दहेलादेने वाली करुण घटना की जगह भी अगर हमारे दिल और दिमाग में करुणा की जगह फोटो खींचने की विचार आते है तो बेशक हम आज के यंत्रो से भी ज्यादा जड़ बन चुके है । लगभग ये चीज हर रोज की हो गई है । हर रोज ग्रुप में एक्सीडेंट की, एक्सीडेंट में मरने की कोई ना कोई फोटो आती ही रहती है । आखिर हम कहा जा रहे है । विकास की कोनसी दिशा में आगे बढ़ रहे है । टेक्नोलॉजी जीवन को बहेतर बनाने के लिए है बदतर बनाने के लिए नहीं ।
इससे पहले की देर हो जाये, हम मशीन की जगह और मशीन हमारी जगह ले ले चलो थोड़ा संभल जाते है ।
आखिर में सबसे विनंती है कि महेरबानी करके ऐसी जगह फोटो मत खींचे और उसे शेयर भी मत करे अरे ऐसी जगह फ़ोन पर हाथ ही मत डालिये । अपने अंदर के इंसान को ऐसे किसी समय पे जिन्दा रखेंगे तो सायद गंगा में डुबकी नहीं लगानी पड़ेगी वरना आपके पाप धोते धोते गंगा खुद पापी बन जायेगी ।
लेखन :- वीर..    Dated -16/03/2017

Gandhi / गाँधी....






गांधी .......
ये नाम आते ही कुछ लोगो के नाक चढ़ जाते है । उन्हें लगता है कि वो और उनके विचार और वो जिन्हें मानते है उनके विचार सर्वदा श्रेष्ठ है और वो गांधी नाम के आदमी को गालिया देना शुरू कर देते है ।
गांधी कोई आदमी नहीं लेकिन एक विचार है , एक युग है और इस गांधी विचार की उपयोगिता की साबित उनको नफ़रत करने वाले लोग ही देते है आज के समय में । कोई भी कर्मचारी या धंधादारी या आम इंसान जो गांधी से बेहद नफ़रत करता है वो अपनी पगार बढाने या ऐसी ही अपनी कुछ मांगे पूरी करने के लिए अपने बॉस, कंपनी या प्रशासन के सामने जो लड़ाई का सहारा लेता है वो है गांधी विचार ।।।।।।
गांधी से नफ़रत करने वाले और गोडसे को भगवान मानने वाले में से कोई ऐसा है जो अपनी पगार बढाने या अपनी मांगे पूरी करवाने के लिए बन्दुक लेकर निकालता है सायद जवाब होगा नहीं ।
कुछ लोग हमेशा गांधी और भगतसिंह के बीच समानता करते रहते है अब उनको इतनी भी समझ नहीं है कि जिनकी मंजिल एक होती है उनके रस्ते भले ही अलग हो पर वो दोनों रास्तो पे चलनेवाले अपने आप में महान होते है उन दोनों के बीच कभी भी comparision नहीं कर सकते है । और जहाँ बात भगतसिंह और गांधी की है तो वो दोनों अपनी जगह पर सही थे और सबसे बड़ी बात की भगतसिंह की विचारधारा गांधी विचार से ही जन्म लेती है ।
क्रमश ....
। वीर । । 16/02/2017

गांधी - पार्ट -2
गांधी और भगतसिंह ।
"क्रांति की तलवार विचारो की धार से तेज होती है "
बहेरे लोगो के कानों तक आवाज पहोचाने के लिए धमाके की जरूर पड़ती है ।
भगतसिंह के ये दो वाक्य प्रतिस्पर्धी है । वैचारिक क्रांति के साथ सडी हुयी सिस्टम को उखाड़ फेंकने वाले बात अगर कोई कह सकता है तो वो भगतसिंह है । भगतसिंह के साथ आज के दिन श्री सुखदेव और श्री राजगुरु को भी फांसी दी गई थी । उन तीनों महान क्रान्तिकारियो को दिल से वंदन ।
आज बहोत लोगो ने उनको शाब्दिक और प्रासंगिक श्रद्धांजलि दी । और उस श्रधांजलि में बहोत से लोगोने जहर भी उगला गांधी के खिलाफ । जब भी मौका मिलता है कुछ सड़क छाप लेखक कही से भी कुछ भी उठाकर wall पे पोस्ट कर देते है ऐसे लोगो से निवेदन है कि कृपया आप जबकि किसी ऐतिहासिक व्यक्ति के बारे में कुछ भी लिखो पहले उनके लिए किसी के द्वारा लिखी गई कोई पुस्तक पढ़ो और बादमे ही लिखो ।
बहोत से लोग बारबार पोस्ट करते है कि इन तीन क्रान्तिकारियो को फांसी दिलाने में गांधी का हाथ था उन सभी से निवेदन है कि उस वाकया के नीचे किसी पुस्तक का reference भी दे ताकि हम जैसे गवार लोग पढ़ शके ।
जहाँतक और जितना मैंने पढ़ा है । गांधीजी की असहकार आंदोलन की लड़ाई ने ही भगतसिंह जैसे क्रान्तिकारियो को जन्म दिया था । जब देश गांधी ने असहकार आंदोलन चलाया तब उनसे प्रेरीत होके भगतसिंह और उनके जैसे कई नोजवानो ने अपनी पढाई बिच में छोड़कर गांधीजी के इस आंदोलन में जुड़ गए । लेकिन बाद में चौरीचौरा हत्याकांड की वजह से गांधीजी ने ये आंदोलन बंद कर दिया और वही से भगतसिंह और उनके जैसे युवानो ने सोचा की संपूर्ण अहिंसा से आज़ादी नहीं मिलेगी और उन्होंने क्रांति का मार्ग अपनाया ।
नाम याद नहीं है लेकिन किसी की लिखी महान क्रांतिकारी सुखदेव पुस्तक के हिसाब जिस समय भगतसिंह और उनके साथियो को फांसी की सजा सुनाई उसके बाद गांधीजी और कांग्रेस के कुछ लोगो ने उनके पास एक वकील को भेजा था जो भगतसिंह का दोस्त भी था । उसके मुताबिक गांधीजी चाहते थे की भगतसिंह और उनके साथी गवर्नर को एक अर्जी लिखे जैसे आजकल फांसी की सजा पानेवाला व्यक्ति राष्ट्रपति को लिख सकता है । भगतसिंह के वो दोस्त ने गांधीजी और दूसरों के साथ मिलके एक अर्जी तैयार की थी जिसमे ये ध्यान में रखा गया था कि उस अर्जी से क्रान्तिकारियो के स्वमान को कोई ठेस ना पहोचे । लेकिन भगतसिंह चाहते थे की देश के युवा जागे इसलिए वो अपने विचार लोगो तक पहोचाना चाहते थे और उनके हिसाब से उनकी सहादत ही ये काम कर सकती थी इसलिए वो फांसी पर लटककर देश को जगाना चाहते थे ।
अंत में अगर भगतसिंह और उनके साथी चाहते तो असेम्बली में बोम्ब ब्लास्ट करके भाग सकते थे और बच भी सकते थे लेकिन वो ये नहीं चाहते थे ।
मरकर भी ना निकलेगी वतन की उल्फत ।
मेरी मिटटी से भी खुश्बू ए वतन आएगी ।
लेखन :- वीर Dated : 23rd March, 2017

Sunday, June 28, 2015

Bachapn Ki Barish / बचपन की बारिश


बारिश मे भीगते हुए उस बारिश की कुछ यादे ताजा हो गई.....
बचपन की वो बारिश, ना चड्डी , ना कोई ख़्वाहिश,
वो कागज़ की कस्ती ओर दोस्तो से मस्ती,
गाव की भीनी मिट्टी की खुशबू ठंडी हवा के साथ,
रात का अंधेरा ओर मिट्टी का घर, हर कड़ाके मे दर, माँ का पलाव अपने सर,
वो बुजुर्गो का चिल्लाना.......तकलीफ सब की बाँट कर जगते हुए रात बिताना,

पत्थरो के इस जंगल मे ना ही वो मिट्टी की खुशबू है, ना ही वो दोस्तो की मस्ती,
ना ही यहा राते अंधेरी है ओर नहीं कोई डर,

Sunday, February 22, 2015

MAA BHAVANI / माँ भवानी...



સદાય ભેળી રે જે ભવાની લાજ રાખવા રાજપૂત ની...
તું જ આધાર અને તું જ છે આરાધ અમારો.......
સમય બદલાયો છે...શસ્ત્ર બદલાયા છે.....
તોય આશરો ભવાની તું જ તણો......
નથી રહ્યા રણ હવે , નથી રહ્યા રણસંગ્રામ.....
તોય શાન રાખવા ક્ષત્રિય તણી તું જ છો તારિણિ....
બહુ નવરાવી રક્ત થી દુશ્મન ના માવડી.....
હવે ના વહાવ રક્ત ભાઈઓ તણું ભવાની.....
ભલે વધ કરવા રે તી હાથ તું વેરી તણો....
ભેળા રાખજે ભાઈઓ માં વિનતી સુણી " વિર " તણી......
જય માતાજી.....જય રાજપૂતાના.......

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...