जड़ मतलब चेतना विहीन, आत्मा और लागनी विहीन, मृत...और भाई कई सर्वनाम दे सकते है हम इनको । मानवता मर चुकी है, दयाभाव ख़तम हो चूका है, मनुष्य यत्रो से भी ज्यादा जड़ बन चूका है । टेक्नोलॉजी का इतना गलत इस्तेमाल सायद अणु धड़ाको से होनेवाले नुकशान से कम नहीं है । करुणा ही नहीं रही है हम इंसानो में ।
आप सोच रहे होंगे ये सब क्या है । कोनसी फिलोसोफी की किताब से कॉपी किया है । नहीं भाई ये कोई फिलोसोफी की किताब से कॉपी नहीं किया गया है लेकिन थोड़ी देर पहले वॉट्स अप में आये हुए कुछ msg और photoes ने झंझोडकर रख दिया है । एक्सीडेंट में एक नो जवान लड़के की मौत हो गयी है और वो भी बहुत ही भयानक और हम वहा खड़े होकर उस मृत शरीर की फोटो खींचकर शेयर कर रहे है । ऐसे दिल को दहेलादेने वाली करुण घटना की जगह भी अगर हमारे दिल और दिमाग में करुणा की जगह फोटो खींचने की विचार आते है तो बेशक हम आज के यंत्रो से भी ज्यादा जड़ बन चुके है । लगभग ये चीज हर रोज की हो गई है । हर रोज ग्रुप में एक्सीडेंट की, एक्सीडेंट में मरने की कोई ना कोई फोटो आती ही रहती है । आखिर हम कहा जा रहे है । विकास की कोनसी दिशा में आगे बढ़ रहे है । टेक्नोलॉजी जीवन को बहेतर बनाने के लिए है बदतर बनाने के लिए नहीं ।
इससे पहले की देर हो जाये, हम मशीन की जगह और मशीन हमारी जगह ले ले चलो थोड़ा संभल जाते है ।
आखिर में सबसे विनंती है कि महेरबानी करके ऐसी जगह फोटो मत खींचे और उसे शेयर भी मत करे अरे ऐसी जगह फ़ोन पर हाथ ही मत डालिये । अपने अंदर के इंसान को ऐसे किसी समय पे जिन्दा रखेंगे तो सायद गंगा में डुबकी नहीं लगानी पड़ेगी वरना आपके पाप धोते धोते गंगा खुद पापी बन जायेगी ।
लेखन :- वीर.. Dated -16/03/2017
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