Friday, March 24, 2017

Manavata / मानवता...



जड़ मतलब चेतना विहीन, आत्मा और लागनी विहीन, मृत...और भाई कई सर्वनाम दे सकते है हम इनको । मानवता मर चुकी है, दयाभाव ख़तम हो चूका है, मनुष्य यत्रो से भी ज्यादा जड़ बन चूका है । टेक्नोलॉजी का इतना गलत इस्तेमाल सायद अणु धड़ाको से होनेवाले नुकशान से कम नहीं है । करुणा ही नहीं रही है हम इंसानो में ।
आप सोच रहे होंगे ये सब क्या है । कोनसी फिलोसोफी की किताब से कॉपी किया है । नहीं भाई ये कोई फिलोसोफी की किताब से कॉपी नहीं किया गया है लेकिन थोड़ी देर पहले वॉट्स अप में आये हुए कुछ msg और photoes ने झंझोडकर रख दिया है । एक्सीडेंट में एक नो जवान लड़के की मौत हो गयी है और वो भी बहुत ही भयानक और हम वहा खड़े होकर उस मृत शरीर की फोटो खींचकर शेयर कर रहे है । ऐसे दिल को दहेलादेने वाली करुण घटना की जगह भी अगर हमारे दिल और दिमाग में करुणा की जगह फोटो खींचने की विचार आते है तो बेशक हम आज के यंत्रो से भी ज्यादा जड़ बन चुके है । लगभग ये चीज हर रोज की हो गई है । हर रोज ग्रुप में एक्सीडेंट की, एक्सीडेंट में मरने की कोई ना कोई फोटो आती ही रहती है । आखिर हम कहा जा रहे है । विकास की कोनसी दिशा में आगे बढ़ रहे है । टेक्नोलॉजी जीवन को बहेतर बनाने के लिए है बदतर बनाने के लिए नहीं ।
इससे पहले की देर हो जाये, हम मशीन की जगह और मशीन हमारी जगह ले ले चलो थोड़ा संभल जाते है ।
आखिर में सबसे विनंती है कि महेरबानी करके ऐसी जगह फोटो मत खींचे और उसे शेयर भी मत करे अरे ऐसी जगह फ़ोन पर हाथ ही मत डालिये । अपने अंदर के इंसान को ऐसे किसी समय पे जिन्दा रखेंगे तो सायद गंगा में डुबकी नहीं लगानी पड़ेगी वरना आपके पाप धोते धोते गंगा खुद पापी बन जायेगी ।
लेखन :- वीर..    Dated -16/03/2017

Gandhi / गाँधी....






गांधी .......
ये नाम आते ही कुछ लोगो के नाक चढ़ जाते है । उन्हें लगता है कि वो और उनके विचार और वो जिन्हें मानते है उनके विचार सर्वदा श्रेष्ठ है और वो गांधी नाम के आदमी को गालिया देना शुरू कर देते है ।
गांधी कोई आदमी नहीं लेकिन एक विचार है , एक युग है और इस गांधी विचार की उपयोगिता की साबित उनको नफ़रत करने वाले लोग ही देते है आज के समय में । कोई भी कर्मचारी या धंधादारी या आम इंसान जो गांधी से बेहद नफ़रत करता है वो अपनी पगार बढाने या ऐसी ही अपनी कुछ मांगे पूरी करने के लिए अपने बॉस, कंपनी या प्रशासन के सामने जो लड़ाई का सहारा लेता है वो है गांधी विचार ।।।।।।
गांधी से नफ़रत करने वाले और गोडसे को भगवान मानने वाले में से कोई ऐसा है जो अपनी पगार बढाने या अपनी मांगे पूरी करवाने के लिए बन्दुक लेकर निकालता है सायद जवाब होगा नहीं ।
कुछ लोग हमेशा गांधी और भगतसिंह के बीच समानता करते रहते है अब उनको इतनी भी समझ नहीं है कि जिनकी मंजिल एक होती है उनके रस्ते भले ही अलग हो पर वो दोनों रास्तो पे चलनेवाले अपने आप में महान होते है उन दोनों के बीच कभी भी comparision नहीं कर सकते है । और जहाँ बात भगतसिंह और गांधी की है तो वो दोनों अपनी जगह पर सही थे और सबसे बड़ी बात की भगतसिंह की विचारधारा गांधी विचार से ही जन्म लेती है ।
क्रमश ....
। वीर । । 16/02/2017

गांधी - पार्ट -2
गांधी और भगतसिंह ।
"क्रांति की तलवार विचारो की धार से तेज होती है "
बहेरे लोगो के कानों तक आवाज पहोचाने के लिए धमाके की जरूर पड़ती है ।
भगतसिंह के ये दो वाक्य प्रतिस्पर्धी है । वैचारिक क्रांति के साथ सडी हुयी सिस्टम को उखाड़ फेंकने वाले बात अगर कोई कह सकता है तो वो भगतसिंह है । भगतसिंह के साथ आज के दिन श्री सुखदेव और श्री राजगुरु को भी फांसी दी गई थी । उन तीनों महान क्रान्तिकारियो को दिल से वंदन ।
आज बहोत लोगो ने उनको शाब्दिक और प्रासंगिक श्रद्धांजलि दी । और उस श्रधांजलि में बहोत से लोगोने जहर भी उगला गांधी के खिलाफ । जब भी मौका मिलता है कुछ सड़क छाप लेखक कही से भी कुछ भी उठाकर wall पे पोस्ट कर देते है ऐसे लोगो से निवेदन है कि कृपया आप जबकि किसी ऐतिहासिक व्यक्ति के बारे में कुछ भी लिखो पहले उनके लिए किसी के द्वारा लिखी गई कोई पुस्तक पढ़ो और बादमे ही लिखो ।
बहोत से लोग बारबार पोस्ट करते है कि इन तीन क्रान्तिकारियो को फांसी दिलाने में गांधी का हाथ था उन सभी से निवेदन है कि उस वाकया के नीचे किसी पुस्तक का reference भी दे ताकि हम जैसे गवार लोग पढ़ शके ।
जहाँतक और जितना मैंने पढ़ा है । गांधीजी की असहकार आंदोलन की लड़ाई ने ही भगतसिंह जैसे क्रान्तिकारियो को जन्म दिया था । जब देश गांधी ने असहकार आंदोलन चलाया तब उनसे प्रेरीत होके भगतसिंह और उनके जैसे कई नोजवानो ने अपनी पढाई बिच में छोड़कर गांधीजी के इस आंदोलन में जुड़ गए । लेकिन बाद में चौरीचौरा हत्याकांड की वजह से गांधीजी ने ये आंदोलन बंद कर दिया और वही से भगतसिंह और उनके जैसे युवानो ने सोचा की संपूर्ण अहिंसा से आज़ादी नहीं मिलेगी और उन्होंने क्रांति का मार्ग अपनाया ।
नाम याद नहीं है लेकिन किसी की लिखी महान क्रांतिकारी सुखदेव पुस्तक के हिसाब जिस समय भगतसिंह और उनके साथियो को फांसी की सजा सुनाई उसके बाद गांधीजी और कांग्रेस के कुछ लोगो ने उनके पास एक वकील को भेजा था जो भगतसिंह का दोस्त भी था । उसके मुताबिक गांधीजी चाहते थे की भगतसिंह और उनके साथी गवर्नर को एक अर्जी लिखे जैसे आजकल फांसी की सजा पानेवाला व्यक्ति राष्ट्रपति को लिख सकता है । भगतसिंह के वो दोस्त ने गांधीजी और दूसरों के साथ मिलके एक अर्जी तैयार की थी जिसमे ये ध्यान में रखा गया था कि उस अर्जी से क्रान्तिकारियो के स्वमान को कोई ठेस ना पहोचे । लेकिन भगतसिंह चाहते थे की देश के युवा जागे इसलिए वो अपने विचार लोगो तक पहोचाना चाहते थे और उनके हिसाब से उनकी सहादत ही ये काम कर सकती थी इसलिए वो फांसी पर लटककर देश को जगाना चाहते थे ।
अंत में अगर भगतसिंह और उनके साथी चाहते तो असेम्बली में बोम्ब ब्लास्ट करके भाग सकते थे और बच भी सकते थे लेकिन वो ये नहीं चाहते थे ।
मरकर भी ना निकलेगी वतन की उल्फत ।
मेरी मिटटी से भी खुश्बू ए वतन आएगी ।
लेखन :- वीर Dated : 23rd March, 2017

Sunday, June 28, 2015

Bachapn Ki Barish / बचपन की बारिश


बारिश मे भीगते हुए उस बारिश की कुछ यादे ताजा हो गई.....
बचपन की वो बारिश, ना चड्डी , ना कोई ख़्वाहिश,
वो कागज़ की कस्ती ओर दोस्तो से मस्ती,
गाव की भीनी मिट्टी की खुशबू ठंडी हवा के साथ,
रात का अंधेरा ओर मिट्टी का घर, हर कड़ाके मे दर, माँ का पलाव अपने सर,
वो बुजुर्गो का चिल्लाना.......तकलीफ सब की बाँट कर जगते हुए रात बिताना,

पत्थरो के इस जंगल मे ना ही वो मिट्टी की खुशबू है, ना ही वो दोस्तो की मस्ती,
ना ही यहा राते अंधेरी है ओर नहीं कोई डर,

Sunday, February 22, 2015

MAA BHAVANI / माँ भवानी...



સદાય ભેળી રે જે ભવાની લાજ રાખવા રાજપૂત ની...
તું જ આધાર અને તું જ છે આરાધ અમારો.......
સમય બદલાયો છે...શસ્ત્ર બદલાયા છે.....
તોય આશરો ભવાની તું જ તણો......
નથી રહ્યા રણ હવે , નથી રહ્યા રણસંગ્રામ.....
તોય શાન રાખવા ક્ષત્રિય તણી તું જ છો તારિણિ....
બહુ નવરાવી રક્ત થી દુશ્મન ના માવડી.....
હવે ના વહાવ રક્ત ભાઈઓ તણું ભવાની.....
ભલે વધ કરવા રે તી હાથ તું વેરી તણો....
ભેળા રાખજે ભાઈઓ માં વિનતી સુણી " વિર " તણી......
જય માતાજી.....જય રાજપૂતાના.......

Saturday, December 20, 2014

फर्ज / Duty


 


दो पहर की ये गरमी जब हमारे लिए अपने घरो मे पंखे के नीचे भी रहेना मुश्किल होता है ऐसी गरमी मे अपनी ज़िम्मेदारी ओर फर्ज पूरी निष्ठा से निभाता हुआ ये पोलिसमेन !!!! जो इस गरमी की परवाह किए बिना चौराहे पर आनेजानेवाले वाहनो को सही रास्ता दिखाता है ताकि घर से निकला किसी माँ का लाल, किसी पत्नी का सुहाग , किसी बहन का भाई ओर किसी बेटे या बेटी का पिता सहीसलामत घर पहोच शके......येही पोलिसभाई जब हमारी जल्दी की वजह से हम नियम तोड़ते है ओर निकाल ने की जल्दी मे इस भाई को 100-200 रुपैया दे देते है ओर फिर दोस्तो के साथ discuss करते है की हमारी पोलिस currupt है...लेकिन मेरा सवाल सब को ये है की क्या ये करप्शन है....??????????????? गलती हमारी ओर आरोप इन कर्तव्यनिष्ठ पोलिसभाई पर क्यू॥????????????? दूसरी बात की इनकी पगार इतनी कम होती है की बड़े शहर मे उस पगार से family को चलाना कितना मुश्किल है ये हम सब जानते है तो फिर इनके पास कोई ऑप्शन ही नहीं रहते है....... नियम हम तोड़े ओर currupt हम पोलिस फोर्स को कहे क्यू...??????????///
आपको अगर मेरी बाते सही लगती है तो इस post को इतना शेर करो की वो उन लोगो तक पहोचे जो ac रूम मे बेठकर भ्रस्ताचर करते है ओर उन सरकार तक पहोचे जो इन पोलिस फोर्स को कुछ फायदा हो ऐसे कानून बनाए........
जय हिन्द....वंदे मातरम......

भारत का भविष्य / Bharat Ka bhavishya












भारत के भविष्य को आज भीख मांगते हुए देखा,
उनकी लाचारी मे देश के आनेवाले कल को देखा,
शिक्षण के वो काबिल नहीं या काबिल शिक्षण से दूर हे वो,
सिस्टेम के इस हवन मे उन के बचपन को जलते हुए देखा,
सर्व शिक्षा अभियान जैसे चल रहे हे बहोत तमासे यहा,
उस तमसो मे लोगो का मनोरंजन बनते हुए देखा,
भारत के भविष्य को आज भीख मांगते हुए देखा,

हर बचपन पढ़ेगा ये बात सुनते है नेताओ से,
बड़ी स्कूल मे बड़े के बच्चो को प्रोस्तहित करते हुए नेताओ,
रास्ते मे उनकी गाड़ियो के आगे ठोकर खाते हुए देखा,
भारत के भविष्य को भीख मांगते हुए देखा,

बाल  मजदूरी के केश  करके  निकलते हुए अधिकारियो को,
होटल मे उस बचपन का मज़ाक उड़ते हुए देखा,
भारत के भविष्य को आज भीख मांगते हुए देखा,

जब भी देखते हे उनके चहर मे भविष्य इस देश का,
भारत के वीर को हारते हुए देखा ,
भारत के भविष्य को आज भीख मांगते हुए देखा,
उनके लाचार चहेरे माँ मैंने देश के कल को देखा.

Friday, December 19, 2014

Bachapn / बचपन






जब भी मे कई पे बड़े बड़े होर्डिंग देखता हु जो सरकारी कामियाबी को उजागर करते है तब तब मौजे बस स्टॉप ओर रेल्वे स्टेशन जैसी जगह पर भीख मांगते ये बच्चे जरूर याद आते है....सिर्फ औध्योगिक विकास की बात है तो ठीक है लेकिन क्या उस विकास से इन बच्चो का कल्याण होनेवाला है......स्कूल मे जाकर बड़े बड़े नेता बच्चो के साथ फोटो खिंचवाके विकास का नारा लगाते है...पर क्या वो कभी इन बच्चो के साथ फोटो खिंचवाके ये कहेंगे की हा अभी हमे आगे बढ़ाना है...इनको स्कूल तक पहोचना है...?????????????
मेरी राय :-
सरकार अगर चाहे तो ये रोक सकती है र देश मे सभी बच्चो को सिक्षा मिल सकती है...एक टीम बनाए जो आइससी जगह पर घूमके जहा बच्चे भीख मंगस्टे है उनको पकड़ ले ओर सरकारी श्चूल मे भर्ती कराये ओर सरकारी hostel मे रहने का इंतजाम करे तो हो सकता है की 5-10 साल के बाद हिंदुस्तान के किसी कोने मे कोई बच्चा भीख मांगता नहीं दिखेगा.......
Public से request है की please कभी भी कोई बच्चा आपके पास भीख मांगने आए तो इन्हे कुछ मत दो ओर ऊपर से डांट कर भगाओ ताकि वो महेनत करना सीखे....भीख देकर उनको बेसहाय मत बनाओ आपका 1 रूपिया उसकी जिंदगी को अंधेरे मे फेंक देंगी सो please कुछ मत दो...........जय हिन्द.......

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...