रंग देंगे तुजे कुरबानियों के लहू से ए भारती,ठनकार बात ये दिल मे निकले है हम शान से,न अनशन,न आंदोलन,अब जो होगा,वो होगा तलवार की धार से,काटेंगे सर दुश्मनो के,बहेगी नदिया खून की दो धार से,रंग देंगे तुजे कुरबानियों के लहू से ए भारती,हो दुश्मन कोई भी चाहे,निकले है शिना तन के,अब न जुल्म सहेना है,न अब जुकाकर जीना है,सर चढ़ने टूज पर ए माँ ,निकले है हम आन से,जला देंगे संसद ओर सिस्टम जो तेरे दमन पे दाग लगाए,सींचकर लहू अपना धो देंगे तेरे दमन को,लाएँगे फिर से बाहर हम जी जन से,रंग देंगे तुजे क्रबानियों के लहू से ए भारती,ठनकार बात ये दिल मे निकले है हम शान से,
(वीर)