Tuesday, December 10, 2013

राजपूत का सर्जन भगवान ने धर्म की रक्षा के लिए किया था,अपनी प्रजा की रक्षा ओर उसके प्रति समर्पित रहेना ही एक राजपूत  के जन्म का उदेश्य होता है....राजपूत के जन्म होते है वो देश,धर्म ओर प्रजा का हो जाता है उसकी ज़िंदगी ऑरो के नाम हो जाती है...उसके जीवन लक्ष्य ओर उदेश अपनी धरती , अपने राज्य की प्रजा ओर अपने धर्म की इफाजत करना होता है....इसके बदलेमे वो कभी भी किसी चीज की अपेक्षा नहीं रखता.....इन सब के लिए वो अपना सुख ,संपति ओर जीवन भी कुर्बान करने से कभी पीछे नहीं हटता.....राज धर्म के सामने वो अपना कुटुंब धर्म , पति धर्म,पिता धर्म,पुत्र धर्म की भी कुर्बानी देने से नहीं हिचकिचाता....क्यूकी की इन सभी रिश्तेदारों से ज्यादा उसकी ज़िम्मेदारी अपनी प्रजा ओर देश के प्रति होती है ओर इसीलिए हिंदुस्तान का इतिहास राजपूतो की कुर्बानियों से भरा हुआ है अगर हिंदुस्तान के इतिहास मे से राजपूतो को निकाल दिया जाए तो कुछ नहीं बचाता......राजपूत ही हिंदुस्तान का इतिहास है..........जय माताजी......जय राजपूतना.....

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