Tuesday, December 10, 2013

राजपूत का सर्जन भगवान ने धर्म की रक्षा के लिए किया था,अपनी प्रजा की रक्षा ओर उसके प्रति समर्पित रहेना ही एक राजपूत  के जन्म का उदेश्य होता है....राजपूत के जन्म होते है वो देश,धर्म ओर प्रजा का हो जाता है उसकी ज़िंदगी ऑरो के नाम हो जाती है...उसके जीवन लक्ष्य ओर उदेश अपनी धरती , अपने राज्य की प्रजा ओर अपने धर्म की इफाजत करना होता है....इसके बदलेमे वो कभी भी किसी चीज की अपेक्षा नहीं रखता.....इन सब के लिए वो अपना सुख ,संपति ओर जीवन भी कुर्बान करने से कभी पीछे नहीं हटता.....राज धर्म के सामने वो अपना कुटुंब धर्म , पति धर्म,पिता धर्म,पुत्र धर्म की भी कुर्बानी देने से नहीं हिचकिचाता....क्यूकी की इन सभी रिश्तेदारों से ज्यादा उसकी ज़िम्मेदारी अपनी प्रजा ओर देश के प्रति होती है ओर इसीलिए हिंदुस्तान का इतिहास राजपूतो की कुर्बानियों से भरा हुआ है अगर हिंदुस्तान के इतिहास मे से राजपूतो को निकाल दिया जाए तो कुछ नहीं बचाता......राजपूत ही हिंदुस्तान का इतिहास है..........जय माताजी......जय राजपूतना.....

Monday, December 2, 2013

બગીચા માં બેઠેલા એક પ્રેમીજોડા ને જોઈને મારા એક મિત્ર એ મને કહું કે જિંદગી મે યુવાની માં એકવાર તો કોઈને પ્રેમ કરવો જરૂરી સે જોકે મજાની વાત એ હતી કે અમારા બંને માઠી કોઈ ક્યારેય કોઈ છોકરીના પ્રેમ માં પડ્યું નથી પણ મારા મન માં એમના સવાલ થી બીજા ઘણા સવાલ ઊભા થઈ ગયા..

.સુ એક છોકરી ને પ્રેમ કરવો એમાં જ યુવાની સે સુ યવનિ માં છોકરીને પ્રેમ કરવો જરૂરી એ સુ પ્રેમ નું એક આજ સ્વરૂપ સે...સુ પ્રેમ ની પરિભાષા છોકરી સાથેના પ્રેમ પૂરતી સીમિત સે....મને ભી લાગે સે કે યુવાની માં પ્રેમ થવો ખૂબ જ જરૂરી સે કર્ણ કે એ પ્રેમ જ તમને જીવવાની પ્રેરણા આપે ચ્હે પણ હ હું ક્યારેય નહીં કહું કે 3એ પ્રેમ છોકરી સાથે જ હોવો જોઈએ...દેશ પ્રેમ, કે દોસ્ત નો પ્રેમ સુ જિંદગી માં જનૂન નથી પૂરો પાડતું ...કદાચ છોકરી સાથે નો પ્રેમ ક્ષણિક હશે પણ માતૃભૂમિ પ્રેત્યે નો પ્રેમ જિંદગી ના આખરી સાંસ સુધી તમારું જુનુન બની રહે છે.
आजकल एक प्रथा हो गयी है जहा काही भी राजनेता सभा को संबोधित करने जाते है वह पे पहेले उनका पघड़ी पहेनाकर ओर हाथ मे तलवार देकर स्वागत किया जाता है ओर वो राजनेता खुल्ली तलवार हवा मे दिखाकर फोटो भी खिंचवाता है.....जब भी मै ऐसे फोटो देखता हु तो मन मे बहोत सवाल खड़े होते है क्या corruption से लिपटे हुए आज के नेता तलवार ओर पघड़ी की कीमत उसका मतलब समजते है...क्या उन्हे पता भी है की तलवार म्यान से कब ओर क्यू निकली जाती है...क्या वो सब नेता इस के हकदार है...धर्म,देश ओर संस्कृति ओर देश की जनता की इफाजत के लिए म्यान से निकाल ने वाली तलवार आज कल इन नेता ओ के हाथ मे अपने आपको अपमानित महेसूस करती है॥अंदर ही अंदर घुटती रहेती है माँ भवानी....तलवार ओर पघड़ी के लिए सिर्फ ओर सिर्फ देश,धर्म ओर जनता के लिए क़ुरबानी ददेनेवाले राजपूतो ,सीखो ओर मराठा के सिवा कोई हकदार नहीं है...........जय माताजी....जय राजपूतना......

Sunday, November 24, 2013

आज तारक मेहता का उल्टा चस्मा के पुराने एपिसोड देख रहा था जिसमे गोकुलधम सोसाइटी मे कलर कम आधा छोड़कर  आदमी चले जाते है ओर दूसरा कोई भी ये कम करने के लिए रेडी नहीं होता...तब चंपकचाचा कलर करना सुरू करते है ओर बाद मे सब उनके साथ मिलके ये काम  पूरा करते है.......

हम हमेशा दूसरे के आधार पर बहोत से काम अधूरा या पूरा छोड़ देते है ये कहकर की ये काम करने के लिए कोई नहीं मिला लेकिन हम कभी ये नहीं सोचते की ये काम दूसरा नहीं तो मे खुद करुगा....बाहर की ताकत के सहारे जीने की आदत  इतनी हो गयी है की हम खुदके लिए लड़ने की भी कोशिश नहीं करते ओर न ही प्रयत्न करते है....गांधीजी ने ग्राम स्वराज की बात की थी लेकिन हमे तो व्यक्ति स्वराज लाना होगा ओर एक बार अगर एज़से काम की हम सुरुआत  करते है तो लोग अपने आप खुद जुड़ जाते है....जरूर है हमे हमारी सोच  बदलने की ओर इसकी शुरुआत  भी हमसे ही करनी होगी ना की बाहर के आदमी के शुरुआत  करने का इंतजार करेंगे.......

किसी शायर ने कहा है की.....

""मे तो अकेला ही चला था ,लोग जुडते गए, कारवे बनते गए।""

Saturday, October 26, 2013

Rajputo ki unity hi is desh ko aaj ke dangal se bach sakti hai....desh aaj jin paristhitio se gujar raha hai use dekhte hue ye tay hai ki ab vo vaqt aa gaya hai jab rajputo ko apni talvare fir se uthani hogi......jay mataji .....jay rajputana.....






हिमालय की चोटी पर लहेरते हुए तिरंगे का गुरूर है भगवों....
ओर उसमे जलक रही बलिदानो की पहेचान है भगवों....
भारतीय संस्कृति का प्रतीक है भगवों....
धर्म धरा नि पहेचान से भगवों......
रण मेदाने राजपूतो की ललकार है भगवों.....
करे केशरिया धर्म-धरा काजे ,तब राजपूतो का कफन है भगवों.....
लाज रखने  शान  की,क्षत्रियानी का जौहर है भगवों....
.........................वीर...........................
राजपूत की जिंदगी देश ओर समाज ओर जनता के लिए होती है अगर ये उनके लिए कम नहीं आयी तो एक राजपूत का इस धरती पर जन्म लेना व्यर्थ है...सिर्फ खुदके लिए जीना राजपूती धर्म के खिलाफ है इसलिए जब जहा जरूर पड़े अपनी इस जिंदगी को समाज की एकता ओर विकास के काम मे खर्च करना ही हमारी जिंदगी की सबसे बड़ी सफलता ओर सार्थकता है......जय माताजी....जय राजपूतना........

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...