कल्पना करो की आपका हाथ आग की लपेट में आ जाये या शरीर का कोई भी अंग आग की लपेट में आ जाये । सिर्फ कल्पना मात्र से ही उस दर्द को महसूस करना कितना पीड़ादायक होता है ये बात सभी जानते है जिसको कभी ये अनुभव हुआ है ।
अब सोचो उनके बारे में जिन्होंने विदेशी इस्लामिक लुटेरों से अपनी आन, सन्मान, देश की संस्कृति और संस्कार को बचाने के लिए एक नहीं पर एक साथ 16000 राजपुतानियो में आग में ज़ोककर अपने अस्तित्व को मिटा दिया होगा । उस पल की कल्पना मात्र से रुवे खड़े हो जाते है हमारे । और ये पहली बार नहीं था । चितोड़ में 3 बार, जैसलमेर में 2 बार और देश के दूसरे हिस्सों में कईबार ये पल आया है जिस दिन हमारे देश की आर्य नारिओने इस देश की गरिमा को बचाने के लिए अपने आपको विदेशो लुटेरों के हवाले करने की बजाय जौहर करके आग के हवाले कर दिया था । इतिहास में हजारों लाखों ने बलिदान दिए है । राजपूतो ने अपने खून की नदियां बहाकर ईद देश के धर्म और संस्कृति की रक्षा की है और उस बलिदान के लिए उन्हें जो शक्ति मिलती थी वो इसी नारियो के बलिदान का फल था । ये सब हुआ उसके पीछे अपने गलत इरादों के साथ भारत आये विदेशी इस्लामिक लुटेरे ही जवाबदार है ।
कला की अभिब्यक्ति के स्वतंत्र के नाम पर आज उनकी कुछ नाजायज़ औलादे उन लुटेरों को हीरो बनाकर अपनी संस्कृति को खत्म करने के लगातार प्रयाश कर रहे है ।
रानी पद्मिनी सिर्फ राजपूतो के लिए नहीं बल्कि पूरे भारतीय समाज के लिए एक आदर्श है । बो प्रतिक है त्याग और बलिदान का, सन्मान है देश की नारियो के लिए , विचार है नारी स्वाधीनता का ।
बहुत खुश है कि आज देश के हर कोने से हर समाज से रानी पद्मिनी के गौरवगाथा के इतिहास को बचाने के लिए आवाज उठ रही है । आज पूरा समाज जाती वाद को भूलकर देश की गरिमा को बचाने के लिए एक हो रहा है ये आनेवाले समय में संजय जैसे हरामिओ से लड़ने के लिए उम्मीद की नयी किरण है ।
। जय माताजी । । जय रानी पद्मिनी ।
लेखन :- वीर dated :- 29/01/2017
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