Sunday, June 28, 2015

Bachapn Ki Barish / बचपन की बारिश


बारिश मे भीगते हुए उस बारिश की कुछ यादे ताजा हो गई.....
बचपन की वो बारिश, ना चड्डी , ना कोई ख़्वाहिश,
वो कागज़ की कस्ती ओर दोस्तो से मस्ती,
गाव की भीनी मिट्टी की खुशबू ठंडी हवा के साथ,
रात का अंधेरा ओर मिट्टी का घर, हर कड़ाके मे दर, माँ का पलाव अपने सर,
वो बुजुर्गो का चिल्लाना.......तकलीफ सब की बाँट कर जगते हुए रात बिताना,

पत्थरो के इस जंगल मे ना ही वो मिट्टी की खुशबू है, ना ही वो दोस्तो की मस्ती,
ना ही यहा राते अंधेरी है ओर नहीं कोई डर,

Sunday, February 22, 2015

MAA BHAVANI / माँ भवानी...



સદાય ભેળી રે જે ભવાની લાજ રાખવા રાજપૂત ની...
તું જ આધાર અને તું જ છે આરાધ અમારો.......
સમય બદલાયો છે...શસ્ત્ર બદલાયા છે.....
તોય આશરો ભવાની તું જ તણો......
નથી રહ્યા રણ હવે , નથી રહ્યા રણસંગ્રામ.....
તોય શાન રાખવા ક્ષત્રિય તણી તું જ છો તારિણિ....
બહુ નવરાવી રક્ત થી દુશ્મન ના માવડી.....
હવે ના વહાવ રક્ત ભાઈઓ તણું ભવાની.....
ભલે વધ કરવા રે તી હાથ તું વેરી તણો....
ભેળા રાખજે ભાઈઓ માં વિનતી સુણી " વિર " તણી......
જય માતાજી.....જય રાજપૂતાના.......

Saturday, December 20, 2014

फर्ज / Duty


 


दो पहर की ये गरमी जब हमारे लिए अपने घरो मे पंखे के नीचे भी रहेना मुश्किल होता है ऐसी गरमी मे अपनी ज़िम्मेदारी ओर फर्ज पूरी निष्ठा से निभाता हुआ ये पोलिसमेन !!!! जो इस गरमी की परवाह किए बिना चौराहे पर आनेजानेवाले वाहनो को सही रास्ता दिखाता है ताकि घर से निकला किसी माँ का लाल, किसी पत्नी का सुहाग , किसी बहन का भाई ओर किसी बेटे या बेटी का पिता सहीसलामत घर पहोच शके......येही पोलिसभाई जब हमारी जल्दी की वजह से हम नियम तोड़ते है ओर निकाल ने की जल्दी मे इस भाई को 100-200 रुपैया दे देते है ओर फिर दोस्तो के साथ discuss करते है की हमारी पोलिस currupt है...लेकिन मेरा सवाल सब को ये है की क्या ये करप्शन है....??????????????? गलती हमारी ओर आरोप इन कर्तव्यनिष्ठ पोलिसभाई पर क्यू॥????????????? दूसरी बात की इनकी पगार इतनी कम होती है की बड़े शहर मे उस पगार से family को चलाना कितना मुश्किल है ये हम सब जानते है तो फिर इनके पास कोई ऑप्शन ही नहीं रहते है....... नियम हम तोड़े ओर currupt हम पोलिस फोर्स को कहे क्यू...??????????///
आपको अगर मेरी बाते सही लगती है तो इस post को इतना शेर करो की वो उन लोगो तक पहोचे जो ac रूम मे बेठकर भ्रस्ताचर करते है ओर उन सरकार तक पहोचे जो इन पोलिस फोर्स को कुछ फायदा हो ऐसे कानून बनाए........
जय हिन्द....वंदे मातरम......

भारत का भविष्य / Bharat Ka bhavishya












भारत के भविष्य को आज भीख मांगते हुए देखा,
उनकी लाचारी मे देश के आनेवाले कल को देखा,
शिक्षण के वो काबिल नहीं या काबिल शिक्षण से दूर हे वो,
सिस्टेम के इस हवन मे उन के बचपन को जलते हुए देखा,
सर्व शिक्षा अभियान जैसे चल रहे हे बहोत तमासे यहा,
उस तमसो मे लोगो का मनोरंजन बनते हुए देखा,
भारत के भविष्य को आज भीख मांगते हुए देखा,

हर बचपन पढ़ेगा ये बात सुनते है नेताओ से,
बड़ी स्कूल मे बड़े के बच्चो को प्रोस्तहित करते हुए नेताओ,
रास्ते मे उनकी गाड़ियो के आगे ठोकर खाते हुए देखा,
भारत के भविष्य को भीख मांगते हुए देखा,

बाल  मजदूरी के केश  करके  निकलते हुए अधिकारियो को,
होटल मे उस बचपन का मज़ाक उड़ते हुए देखा,
भारत के भविष्य को आज भीख मांगते हुए देखा,

जब भी देखते हे उनके चहर मे भविष्य इस देश का,
भारत के वीर को हारते हुए देखा ,
भारत के भविष्य को आज भीख मांगते हुए देखा,
उनके लाचार चहेरे माँ मैंने देश के कल को देखा.

Friday, December 19, 2014

Bachapn / बचपन






जब भी मे कई पे बड़े बड़े होर्डिंग देखता हु जो सरकारी कामियाबी को उजागर करते है तब तब मौजे बस स्टॉप ओर रेल्वे स्टेशन जैसी जगह पर भीख मांगते ये बच्चे जरूर याद आते है....सिर्फ औध्योगिक विकास की बात है तो ठीक है लेकिन क्या उस विकास से इन बच्चो का कल्याण होनेवाला है......स्कूल मे जाकर बड़े बड़े नेता बच्चो के साथ फोटो खिंचवाके विकास का नारा लगाते है...पर क्या वो कभी इन बच्चो के साथ फोटो खिंचवाके ये कहेंगे की हा अभी हमे आगे बढ़ाना है...इनको स्कूल तक पहोचना है...?????????????
मेरी राय :-
सरकार अगर चाहे तो ये रोक सकती है र देश मे सभी बच्चो को सिक्षा मिल सकती है...एक टीम बनाए जो आइससी जगह पर घूमके जहा बच्चे भीख मंगस्टे है उनको पकड़ ले ओर सरकारी श्चूल मे भर्ती कराये ओर सरकारी hostel मे रहने का इंतजाम करे तो हो सकता है की 5-10 साल के बाद हिंदुस्तान के किसी कोने मे कोई बच्चा भीख मांगता नहीं दिखेगा.......
Public से request है की please कभी भी कोई बच्चा आपके पास भीख मांगने आए तो इन्हे कुछ मत दो ओर ऊपर से डांट कर भगाओ ताकि वो महेनत करना सीखे....भीख देकर उनको बेसहाय मत बनाओ आपका 1 रूपिया उसकी जिंदगी को अंधेरे मे फेंक देंगी सो please कुछ मत दो...........जय हिन्द.......

Dosti / दोस्ती

आज किसका जन्मदिन है...श्री कृष्ण या सुदामा का....??????????????????/
अगर इसमे से किसी का जन्मदिन नहीं है तो फिर ये friendship day किस की याद मै मनाया जाता है.......क्या हम भारतीयो को अपने दोस्त को दोस्त कहने या उसके प्रति अपने दिल मै जो जगह है ये बताने के लिए किसी special day की जरूरत है....यहा दोस्ती ज़िदगी के साथ सुरू होती है लेकिन अंत सायद कभी नहीं आता.....दोस्ती स्नेह ओर विस्वास के धागो से बंधती है फिर ये प्लास्टिक की रिंग की क्या जरूरत है जो नास्वत है..........फिर भी अगर आपको ऐसा कोई दाय मनाना है तो या तो वो कृष्ण के जन्मदिन पे या फिर सुदामा के जन्मदिन पर मनाओ जिनकी दोस्ती को पूरा भारत याद करता है.......पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण हमे हमारी संस्कृति से दूर ले जा रहा है..........

Saturday, December 6, 2014

राजशाही vs लोकशाही....

....राजशाही vs लोकशाही..........
-> मंत्रीमंडल :-
राजशाही मे राजा के दरवार मे जो सहायक मात्रिमंडल रखा जाता था लो उनकी काबिलियत ओर निपुणता के आधार पर रखा जाता था जैसे की खेती का वाहीवट पटेल को, हिसाब का वाहीवट बनिए को, सरक्षण का वाहीवट राजपूत को.....जिससे उनका तंत्र सही चलता थे ओर प्रजा के सुखाकरी के लिए राज्य सही तरह से चलता था.....जो की आज की इस लोकशाही मे देखने को नहीं मिलता बिना किसी लायकात ओर काबिलियत किसी को भी किसी भी क्षेत्र का मंत्री बना दिया जाता है.......
-> न्यायव्यवस्था :-
पूरी तरह से पारदर्शी न्यायव्यवस्था से चलते थे राज्य की न्यायपरनाली राजशाही मे ओर तत्काल निर्णय उसकी सब से बड़ी positive side है.....न्याय बिना किसी रिसतेदारी या पावर के सही होता था....आज की लोकशाही की न्यायपरनाली के बारे मे कुछ लिखने की जरूरत है क्या...???????????????
-> सताधीश ;-
राजा जो की सता मे होता था वो प्रजा को अपने बच्चो के समान मानता था ओर प्रजा के मनमे राजा के प्रति माता पिता जितना सन्मान था....प्रजा के दुख मे दुखी ओर उनकी सुखाकरी के लिए अपने सुखो का त्याग ही राजा की जिंदगी थी....अपनी प्रजा के बीच जाने के लिए उन्हे कोई सरक्षकों की जरूरत नहीं रहती थी उ कहिए की उनको अपनी प्रजा पे इतना भरोषा था ओर प्रजा भी उस वक्त राजा को भगवान का रूप मानती थी......आज के मंत्री ओर सताधीशों को हर वक्त सुरक्षा कर्मीओ की जरूरत पड़ती है ओर नहीं उन्हे प्रजा की फिकर होती है इसलिए आज प्रजा अपने सताधीशों का स्वागत गली ओर जूतो से करते है........
-> प्रजा :-
राजशाही की सही व्यवस्था ओर लोगो के प्रति राजा के व्यवहार के कारण प्रजा राजा का सन्मान करती थी ओर राज्य के प्रति पूरी वफादारी बरकती थी......जरूरत पड़ने पर अपने राज्य के लिए कोई भी त्याग करने मे प्रजा पिसे नहीं हटती थी जो की आज प्रजा को अपने स्वार्थ के आगे देश ओर राज्य दिखाता ही नहीं है......
लास्ट मे जो सबसे महत्व की बात है.........
लाखो साल के राजपूतो के राज मे (राजशाही ) के इतिहास मे कोई पन्ना ऐसा नहीं है जिन पर लिखा हो की लाखोप सालो मे कभी भी किसी राज्य मे प्रजा ने राज्य के खिलाफ कोई हड़ताल, आंदोलन, भूख हड़ताल की हो....हा कभी कोई राजा प्रजा पर जुल्म करता तो तुरंत दूसरा राजा उस राजा को हटकर प्रजा पर होते जुल्मो को खतम करता था लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ था की प्रजका ने कभी विरोध किया क्यूकी प्रजा को कभी इसकी जरूरत नहीं पड़ी थी उन्हे राजपूतो के साशन पे भरोसा था......आज की लोकशाही के 70 साल मे न जाने कितना आंदोलन, भूख हड़ताल, हादतले, हिंसा, कोमी दंगे....लाखो की जनहानि ओर अबजो की संपाती का नुकशान ....!!!!!!!!
..................................विर..................................
जय माताजी...जय राजपूताना.......

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...