Tuesday, December 10, 2013

Yuddh E J Kalyan /युद्ध ए ज कल्याण ....

पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
                                हवे तो युद्ध एज कल्याण........
कश्मीर जा रहा है हाथो से निकल,
चीन जा रह है अरुणाचल को निगल,
चारो और से हड़प रहे है अंग भारतमात का,,
बचाना है अगर भरतखंड को टूटने से,
धरती कर रही है पुकार के.......,
पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
                                 हवे तो युद्ध एज कल्याण.........
राज कर रहे है जो राजधानी से ,
मोज कर रहे है वो अपनी मनमानी से,
छोड़कर कम राज का लगे है सब खींचातानी मै
कौन समजाये उनको बरसो लगे है आज़ादी पाने मई,
फिर से जक्कड़ न ले जंजीरे गुलामी की ,
आज़ाद रखना है वतन को अगर....,
पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
                                 हवे तो युद्धा एज कल्याण..........
मचा रखा है आतंक चारो और आतंकियो ने,
शोर मचा रहे है तोड़ने भारतको उग्रवादियो ने,
कही पर नक्सली, कही पर खड़े है माओ,
भारती कर रही है पुकार मुझे बचाओ,
अगर बचानी है लाज आज लुन्ताने से......,
पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
                                 हवे तो युद्ध एज कल्याण.............
ब्लास्ट और गोलियों की बरसात है,
खौफ से डरा हुआ आज प्र हिंदुस्तान है,
चाहते हो अगर बेख़ौफ़ भविष्य इस देश का,
मिटटी कर रही है पुकार..............,
पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
                                 हवे तो युद्ध एज कल्याण...........

Kurbaniya..
















रंग देंगे तुजे कुरबानियों के लहू से ए भारती,ठनकार बात ये दिल मे निकले है हम शान से,न अनशन,न आंदोलन,अब जो होगा,वो होगा तलवार की धार से,काटेंगे सर दुश्मनो के,बहेगी नदिया खून की दो धार से,रंग देंगे तुजे कुरबानियों के लहू से ए भारती,हो दुश्मन कोई भी चाहे,निकले है शिना तन के,अब न जुल्म सहेना है,न अब जुकाकर जीना है,सर चढ़ने टूज पर ए माँ ,निकले है हम आन से,जला देंगे संसद ओर सिस्टम जो तेरे दमन पे दाग लगाए,सींचकर लहू अपना धो देंगे तेरे दमन को,लाएँगे फिर से बाहर हम जी जन से,रंग देंगे तुजे क्रबानियों के लहू से ए भारती,ठनकार बात ये दिल मे निकले है हम शान से,
(वीर)






LAGE APNE DIL PE UN JAKHMO KO KAISE BHAREGI VO,
ANCHAL ME PALNE VALO NE HO AAJ FADA HE ANCHAL MAKA,

VAQT AA CHUKA HE AB AAN BACHANE USKI,
JAN CHAHE LENI PADE,RAKT BAHAKAR DAG DHONE PADE,

SAR KI HO MALA USKO ARPAN AB,
CHAHE APNE HO YA DUSMANO KO KATNE PADE,

BAE BAHOT HO CHUKI OR BAHOT SE JULUS NIKAL CHUKE,
RAN SANGRAM ME SHANKHNAD AB KARNE HOGE,

LAJ BACHANE MAAT KI FIR KURUKSHETRA ME,
APNO KE HI SAR KUCHANE HOGE.....


NA KOI KRISHNA AYEGA IS BAR...NA KOI GEETA HOGI AB....
KHUD KO JAGAKAR JUNG KA ELAN KARNA HOGA...LAAJ BACHANE BHARTI KI DOSTO,
HAME AB KUCH KARNA HOGA......JAY HIND ....JAY KRANTI........
जीत तब तक अधूरी है जब तक दुशमन को हुए नुकसान से दूसरों को सबक नहीं मिलता......

संजयलीला भंशाली ने समय का सही उपयोग किया है जिस दिन दीपिका गुजरात अनेवाली थी उसी दिन उसने लेखित मे दिया....????

सिर्फ जाती वाचक शब्द हटाने से लोगो के मींड़ कैसे चेंज होगे....लोगो फिल्म देखते होगे तब उनके मन मे तो एक ही विचार आयेगा की फिल्म की हीरोइन जो है वो एक राजपूत है ओर हीरो रबारी जो बैडमे हटा लिया है..........

उसमे हीरो हीरोइन ने पहने हुए कपड़े साफ बता ते है की वो कोनसी जाती का है...सब जानते है की आज से कुछ साल पहेले सिर्फ लोगो के पहेरवेश से उसकी जाती का पता लग जाता था जो की इस फिल्म मे है.........

गुजरात मे कच्छ का प्रदेश दिखाया है जिसे भी जो भी गलत है.......

फिल्म मे बहोत सी छीजे है ओर होती है जो बहोत कुछ कह जाती है सिर्फ दो शब्द हटेने से उसकी स्टोरी बदल नहीं जाती है.........

इससे तो ऊपर से फिल्म को ही फायदा मिलेगा ओर कल ओर भी लोग यही रास्ते पर चलेंगे पहेले हमारी मज़ाक उदयेणे फिर माफी मांग लेंगे.........

हमारा एक ही मक्षद होना चाहिए किसी भी हाल मै ये फिल्म गुजरात मै रिलीज़ नहीं होनी चाहिए......
राजपूत का सर्जन भगवान ने धर्म की रक्षा के लिए किया था,अपनी प्रजा की रक्षा ओर उसके प्रति समर्पित रहेना ही एक राजपूत  के जन्म का उदेश्य होता है....राजपूत के जन्म होते है वो देश,धर्म ओर प्रजा का हो जाता है उसकी ज़िंदगी ऑरो के नाम हो जाती है...उसके जीवन लक्ष्य ओर उदेश अपनी धरती , अपने राज्य की प्रजा ओर अपने धर्म की इफाजत करना होता है....इसके बदलेमे वो कभी भी किसी चीज की अपेक्षा नहीं रखता.....इन सब के लिए वो अपना सुख ,संपति ओर जीवन भी कुर्बान करने से कभी पीछे नहीं हटता.....राज धर्म के सामने वो अपना कुटुंब धर्म , पति धर्म,पिता धर्म,पुत्र धर्म की भी कुर्बानी देने से नहीं हिचकिचाता....क्यूकी की इन सभी रिश्तेदारों से ज्यादा उसकी ज़िम्मेदारी अपनी प्रजा ओर देश के प्रति होती है ओर इसीलिए हिंदुस्तान का इतिहास राजपूतो की कुर्बानियों से भरा हुआ है अगर हिंदुस्तान के इतिहास मे से राजपूतो को निकाल दिया जाए तो कुछ नहीं बचाता......राजपूत ही हिंदुस्तान का इतिहास है..........जय माताजी......जय राजपूतना.....

Monday, December 2, 2013

બગીચા માં બેઠેલા એક પ્રેમીજોડા ને જોઈને મારા એક મિત્ર એ મને કહું કે જિંદગી મે યુવાની માં એકવાર તો કોઈને પ્રેમ કરવો જરૂરી સે જોકે મજાની વાત એ હતી કે અમારા બંને માઠી કોઈ ક્યારેય કોઈ છોકરીના પ્રેમ માં પડ્યું નથી પણ મારા મન માં એમના સવાલ થી બીજા ઘણા સવાલ ઊભા થઈ ગયા..

.સુ એક છોકરી ને પ્રેમ કરવો એમાં જ યુવાની સે સુ યવનિ માં છોકરીને પ્રેમ કરવો જરૂરી એ સુ પ્રેમ નું એક આજ સ્વરૂપ સે...સુ પ્રેમ ની પરિભાષા છોકરી સાથેના પ્રેમ પૂરતી સીમિત સે....મને ભી લાગે સે કે યુવાની માં પ્રેમ થવો ખૂબ જ જરૂરી સે કર્ણ કે એ પ્રેમ જ તમને જીવવાની પ્રેરણા આપે ચ્હે પણ હ હું ક્યારેય નહીં કહું કે 3એ પ્રેમ છોકરી સાથે જ હોવો જોઈએ...દેશ પ્રેમ, કે દોસ્ત નો પ્રેમ સુ જિંદગી માં જનૂન નથી પૂરો પાડતું ...કદાચ છોકરી સાથે નો પ્રેમ ક્ષણિક હશે પણ માતૃભૂમિ પ્રેત્યે નો પ્રેમ જિંદગી ના આખરી સાંસ સુધી તમારું જુનુન બની રહે છે.
आजकल एक प्रथा हो गयी है जहा काही भी राजनेता सभा को संबोधित करने जाते है वह पे पहेले उनका पघड़ी पहेनाकर ओर हाथ मे तलवार देकर स्वागत किया जाता है ओर वो राजनेता खुल्ली तलवार हवा मे दिखाकर फोटो भी खिंचवाता है.....जब भी मै ऐसे फोटो देखता हु तो मन मे बहोत सवाल खड़े होते है क्या corruption से लिपटे हुए आज के नेता तलवार ओर पघड़ी की कीमत उसका मतलब समजते है...क्या उन्हे पता भी है की तलवार म्यान से कब ओर क्यू निकली जाती है...क्या वो सब नेता इस के हकदार है...धर्म,देश ओर संस्कृति ओर देश की जनता की इफाजत के लिए म्यान से निकाल ने वाली तलवार आज कल इन नेता ओ के हाथ मे अपने आपको अपमानित महेसूस करती है॥अंदर ही अंदर घुटती रहेती है माँ भवानी....तलवार ओर पघड़ी के लिए सिर्फ ओर सिर्फ देश,धर्म ओर जनता के लिए क़ुरबानी ददेनेवाले राजपूतो ,सीखो ओर मराठा के सिवा कोई हकदार नहीं है...........जय माताजी....जय राजपूतना......

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...