Wednesday, May 31, 2017

उन सभी दोस्तों को समर्पित जो गांव से, अपनो से दूर बसते है ।
दो दिन शादी के माहौल में गुजारते ही गांव की याद आ गई । कल नोकरी जाने के विचार मात्र से मन उदाश हो गया । गांव से दूर रहना, गांव के माहौल से दूर रहना बहोत ही कष्टदायक होता है । जिंदगी ना जाने कहा से कहा ले के आ गई । अब जीना है तो काम भी करना पड़ेगा ये हकीकत को चाहते हुए भी ठुकरा नही शकते है । आज ना जाने क्यों मन अजीब सी बेचैनी महसूस कर रहा है । कभी तो मन करता है कि छोड़कर सबकुछ चले जाय गांव परंतु मन के भावों से जिंदगी जीना भी पॉसिबल नही होता है । वास्तविकता कितनी भी नापसंद हो , कितनी भी कठिन हो पर आपको उसका स्वीकार करना ही पड़ता है ।
अक्षर लोग कहते है कि लड़का गांव से बाहर गया तो सुखी हुआ अब उनको ये कौन समाजये की बहार रहना कितना कष्टदायक होता है । हर पल मन के भावों को मौत देनी पड़ती है ।
। वीर ।

महाराणा प्रतापजयंति - 3

आधे घंटे से लगे है फेसबुक को जंज़ोडकर रख दिया , हर एंगल से देखा हमने फेसबुक को लेकिन
1) जातिवाद के विरोध में लगातार चीखने वाले ओर लिखने वाले किसी भी राष्ट्रवादी की wall पर महाराणा प्रताप जयंती की कोई पोस्ट नही दिखी ।
2) हिंदुत्व ओर सनातन का झण्डा लेकर कूदने वाले राष्ट्रभक्तो की wall का भी ऐसा ही कुछ नजारा है ।
3) रोज सेना के नाम की दुहाई देने वाले देशभक्तो की wall पर भी यही हाल है ।
4)हिंदुत्व की दिन में 50 पोस्ट करके उसे शेयर करने के लिए सौगंध देनेवाले ओर मर्दानगी की बाते करने वालो की पोस्ट पर कायराना पोस्ट के अलावा कुछ नही दिखा ।
5)थोड़े दिन पहले ही महान लोगो को किसी जातिवाद में ना बांधने की सलाह देनेवाले भी आज चूक गए ।
ये सारे लोग कल हमारे पास आकर कहेंगे कि हिंदुत्व की रक्षा के लिए हमे एक होना है । कहेंगे वो महाराणा प्रताप ओर शिवजी की विचारधारा पर चलने वाले सच्चे धर्म रक्षक है । कुछ लोग हमें सलाह देने भी आएंगे की आप जातिवाद को बढ़ावा दे रहे हो ।
हकीकत में ऐसे लोगो का सिर्फ सत्ता प्राप्ति के लिए ही होता है और उनके अनुयायी वही राह अपनाते है । ये लोगो समय देखकर हमारी भावनाओ के साथ खेलते है । आज जिनकी जयंती पर बधाई ना देनेवाले इलेक्शन के समय राजस्थान में जाकर महाराणा के आशीर्वाद लेंगे ।
आप सभी को आपका स्वार्थी राष्ट्रवाद और आपका धर्म मुबारक हो । हमें नही चलना है आपके इस राष्ट्रवादी रास्ते पर ओर नाही हमे लड़ना है उस धर्म के लिए जो सिर्फ वोट बटोरने का साधन मात्र है ।
। वीर ।
कुछ दिनों से एक नई मुहिम चालू की है राष्ट्रभक्तो ने । सेना और सेना के जवानों के नाम से एक msg घुमाया जा रहा है कि आप कश्मीर ना जाओ, अमरनाथ की यात्रा पे ना जाओ, ताकि आतंकवादियो की कमर टूट जाये (ठीक ऐसे जैसा भक्तजन नॉट बंधी के समय मे बोल रहे थे ) । इनका कहना है कि आप कश्मीर या अमरनाथ जाते हो तो कश्मीरी लोगो को आमदनी होती है और इसके कारण आतंकवाद इतना मजबूत हो रहा है । अगर ऐसा है तो मेरे ख्याल से सबको दिल्ही जाना चाहिए ताकि हमारे इस पैसों से सरकार मजबूत बने । ये कहते है कि आप 2-3 साल कश्मीर या अमरनाथ नही जाओगे तो आतंकवादी भूखे मरेंगे ओर फिर या तो आत्म समर्पण कर देंगे या खुदकुशी करके मर जायेंगे ।
सही में मेरे ख्याल से इन राष्ट्रभक्तो की जगह फेसबुक और वॉट्सऐप नही पर दिल्ही में होनी चाहिए ।

सलामती

बहोत ही साहस के साथ कुछ लोग एक हाथ मे फ़ोन लेकर बात करते करते बाइक या गाड़ी चला लेते है । उनकी स्किल को धन्यवाद देते है और कभी कभी उनका ये साहस दुसरो के लिए हानिकारक साबित होता है इस बात की भनक भी नही होती ऐसे साहसवीरो को । में अबतक ये नही समझ पाया कि क्या फ़ोन की रिंग का महत्व हमारे ओर दुसरो के जीवन से वधु मूल्यवान है । सोचे तो हम कोई मुकेश या अनिल अंबानी तो है नही की 20 सेकंड late फ़ोन उठाएंगे तो हमारा करोड़ो का नुकशान हो जाएगा और अगर होता भी है तो वो जिंदगी से ज्यादा मूल्यवान तो कभी नही हो सकता । 10 सेकंड लगेंगे आपको आपकी गाड़ी साइड करके फ़ोन उठाने में फिर भी न4 जाने क्यों हम हमारी ओर दुसरो को जिंदगी खतरे में डालते है इस तरह की हरकत से ।
ऐसी की कुछ हालत बिना हेलमेट के बाइक चलाने वालों की है ।
Drive safe, Live Safe...
। वीर ।

पुलिस और प्रशासन

कल फेसबुक पर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के 3 वीडियो देखें जिसमे कुछ बिछड़े, कुचले,शोषित,पीड़ित लोग पुलिसवालों को दौड़ा दौडाकर मार रहे थे । ऐसे ही कुछ वीडियो कश्मीर के भी देखे थे जिसमें सेना के जवानों को गरीब, लाचार, लघुमति के लाभ लेनेवाले लोग मार रहे थे । बेशक ये वीडियो मेरी तरह हजारो, लाखो लोगो ने देखे होंगे और सायद नेताओ ने भी देखे होंगे लेकिन सब सायद चुप है क्योंकि अंबेडकर नाम की जो वोट बैंक है उसका सभी तरह से ध्यान रखना हमारी सरकार की पहली जवाबदारी है चाहे इसके लिए कितने भी पुलिसवाले या सैनिक मरे कोई फर्क नही पड़ता ।
सेना और पुलिस हमारी दो फ़ोर्स है जो देश को बाहरी ओर अंदरूनी दुश्मनो से देश , देश की जनता और देश की संपत्ति की रक्षा करते है अगर आज ये लोग ही सुरक्षित नही है तो जनता ओर देश की सुरक्षा किसके हाथों में ??
मुजे कोई फर्क नही पड़ता कि मोदीजी ने 15 लाख क्यों जमा नही करवाये , भाई हमे नही चाहिए ये, ओर नाही हमे आपकी ब्लैक मनी वाली बातों में रस है अगर वो मनी वापस नही ला सकते कोई बात नही , हम नही जानते कि आपका एजेंडा क्या है देश और समाज के लिए । कुछ भी हो । आपको कोई काम नही करना है मत करो हम 2019 में ये सब भूल जाएंगे और आपको एक मौका देंगे लेकिन हमारी सेना और पुलिस के साथ आपकी सरकार का यही रवैया रहा तो माफ करना लेकिन 2019 में जनता का रवैया कुछ अलग ही होगा और सिर्फ 2019 नही पर आनेवाले कई सालो तक जनता आपको माफ भी नहीं कर पायेगी ।
अफसोस है कि जिस दबंगाई से आपने सरकार बनाई वो अब कही दिख नही रही है और खास करके सेना और पुलिस के साथ हो रहे ऐसे हादसो ने कानून व्यवस्था को मजाक बना दिया है और ये सब 2014 के बाद ही हुआ है । इसके लिए किसी के पास हिसाब मत मागियेगा ।
अंत मे सलाम है आनंदीबेन पटेल को जिसने गुजरात मे पुलिस को सत्ता देकर आंदोलन को बेरहमी से कुचला ताकि भविष्य में वो गुजरात के लिए मुश्किली पैदा ना करे ।

द्वितीय विश्वयुद्ध ओर महाराजा दिग्विजयसिंह ।

1942 के आसपास जब भारत आज़ाद नही हुआ था । एक तरफ देश मे आज़ादी कि लड़ाई अपने अंतिम चरण में थी और यही वक़्त था जब पूरा विश्व द्वितीय विश्व युद्ध की लपेटो में घिर चुका था । पोलेंड भी उनमें से एक देश था जो इस तबाही से बच नही पाया था और आनेवाली तबाही से बचने के लिए पोलेंड से एक जहाज में 1000 के आसपास औरते ओर बच्चो को समुद्र मार्ग से रवाना कर दिया था जहाँ भी उनको हेल्प मिले । ये जहाज दुनिया के बहोत देशो में गया लेकिन कही से भी कोई मदद नही मिली और वो जहाज भारत मे मुम्बई के समुद्र तक पहोचा लेकिन उस वक़्त भारत मे अंग्रेजो का शासन था और उन्होंने भी उनको हेल्प करने से मना कर दिया ।
इतिहास साक्षी है राजपूतो के आश्रय धर्म का । उसी वक़्त नावानगर (हाल जामनगर ) के महाराजा दिग्विजयसिंह को ये बात पता चली और बिना कुछ सोचे वो उन सभी पोलेंड के बच्चों और औरतों को जामनगर ले आये । उस वक़्त अंग्रेज सरकार ने जब खर्चा देने से मना कर दिया तब अपने पर्सनल पैसों से खर्च करके महाराजा ने उन सभी के लिए वही पर घर बनाया जो बालाछड़ी के नाम से आज भी हयात है । पूरे 4 साल तक महाराजा ने उनको अपने बच्चे समज के उनका ख्याल रखा । जब उनको भारतीय खाने से तकक्लिफ़ होने लगी तो महाराजा ने उनके लिए खाना बनाने के लिए स्पेशलिस्ट लडकिया गोआ से बुलाई ।
अपना सबकुछ न्योछावर करने वाले राजपूतो को भारतीय सरकार और भारत की प्रजा याद रखे ना रखे पर पोलेंड ये नही भूल5ओर पोलेंड में एक स्कूल और एक चौराहे का नाम दिग्विजयसिंह के नाम रख दिया ।
। जय माताजी । । जय राजपुताना ।

हिंदूवादी संगठन V/S सनातन

गूगल गुरु में कुछ ढूंढ रहा था तभी मन मे आया कि चलो हिंदुत्व के बारे में कुछ जानकारी हासिल करते है । जब 4 -5 अलग अलग वेबसाइट देखी तो सबमे एक बात सामान्य थी कि हिन्दू शब्द का पहला उपयोग विदेश से भारत मे आये पर्शियन या सायद फ्रांसिस लोगो ने 6 थी या 7 वी सदी में उपयोग किया था । उसका अर्थ होता था सिंधु नदी के आसपास सिंधु संस्कृति के लोग । उनके उच्चारण में s में तकलीफ होन की वजह से सिंधु से हिन्दू शब्द का प्रयोग होने लगा । मुजे एक RRS के कार्यकर्ता ने भी कहा था कि हिन्दू एक समुदाय का नाम है । अब समझ नही आता कि आखिर आज के जो सत्ता लालची संगठन हिन्दू धर्म के नाम पर बने है और उसके रक्षक होने का दावा करते है वो हिन्दू धर्म कहा से पैदा हो गया । हकीकत में हिन्दू शब्द विदेशो की पैदाइश है और हमारे संगठन उसको ही सर्व श्रेष्ठ बनाने पर लगे हुए है ।
हा ये बात है कि हिन्दू कोई धर्म नही है हमारा क्योंकि इसका जिक्र सायद आपको वेद,पुराण, रामायण,महाभारत या गीता में कही भी नही मिलेगा । इस देश मे 2 ही धर्मो की बात की गई है और उनमें से एक है हमारा सनातन धर्म । प्राचीन काल मे ब्राह्मण और बाकी प्रजा इस धर्म के हिसाब से जीवन जीते होंगे । इस धर्म के प्रचार का कार्य ऋषि मुनिओ के हाथ मे था और हमारे लाखो ग्रंथ इस बात के साक्षी है कि उन्होंने अपना कर्तव्य अस्से से निभाया है । हमारे कर्मकांड, यज्ञ, हवन वगेरे सनातन धर्म मे बताए मार्ग पर ही होते थे और आज भी होते है । दुनिया की पुरानी संस्कृति और धर्म है उन में सनातन धर्म सबसे पुराना है और बाकी सब धर्मों का जन्मदाता भी । लेकिन अगर हम इन संगठनों की मान के हिन्दू को अपना धर्म समझ ले तो ये ज्यादा पुराना नही है यानी कि कुछ लोगों के द्वारा सनातन के स्थान पर हिंदुत्व को धर्म बनाने की मुहिम चल रही है । बेशक हिन्दू एक समुदाय है और वो हमारी पहचान विदेशो के लिये है लेकिन उस पहचान के चलते है अपना मूल धर्म भूल ना जाये ये हमारी जिम्मेदारी भी है ।
क्रमश :
। वीर ।

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...