Wednesday, May 31, 2017

कुछ दिनों से एक नई मुहिम चालू की है राष्ट्रभक्तो ने । सेना और सेना के जवानों के नाम से एक msg घुमाया जा रहा है कि आप कश्मीर ना जाओ, अमरनाथ की यात्रा पे ना जाओ, ताकि आतंकवादियो की कमर टूट जाये (ठीक ऐसे जैसा भक्तजन नॉट बंधी के समय मे बोल रहे थे ) । इनका कहना है कि आप कश्मीर या अमरनाथ जाते हो तो कश्मीरी लोगो को आमदनी होती है और इसके कारण आतंकवाद इतना मजबूत हो रहा है । अगर ऐसा है तो मेरे ख्याल से सबको दिल्ही जाना चाहिए ताकि हमारे इस पैसों से सरकार मजबूत बने । ये कहते है कि आप 2-3 साल कश्मीर या अमरनाथ नही जाओगे तो आतंकवादी भूखे मरेंगे ओर फिर या तो आत्म समर्पण कर देंगे या खुदकुशी करके मर जायेंगे ।
सही में मेरे ख्याल से इन राष्ट्रभक्तो की जगह फेसबुक और वॉट्सऐप नही पर दिल्ही में होनी चाहिए ।

सलामती

बहोत ही साहस के साथ कुछ लोग एक हाथ मे फ़ोन लेकर बात करते करते बाइक या गाड़ी चला लेते है । उनकी स्किल को धन्यवाद देते है और कभी कभी उनका ये साहस दुसरो के लिए हानिकारक साबित होता है इस बात की भनक भी नही होती ऐसे साहसवीरो को । में अबतक ये नही समझ पाया कि क्या फ़ोन की रिंग का महत्व हमारे ओर दुसरो के जीवन से वधु मूल्यवान है । सोचे तो हम कोई मुकेश या अनिल अंबानी तो है नही की 20 सेकंड late फ़ोन उठाएंगे तो हमारा करोड़ो का नुकशान हो जाएगा और अगर होता भी है तो वो जिंदगी से ज्यादा मूल्यवान तो कभी नही हो सकता । 10 सेकंड लगेंगे आपको आपकी गाड़ी साइड करके फ़ोन उठाने में फिर भी न4 जाने क्यों हम हमारी ओर दुसरो को जिंदगी खतरे में डालते है इस तरह की हरकत से ।
ऐसी की कुछ हालत बिना हेलमेट के बाइक चलाने वालों की है ।
Drive safe, Live Safe...
। वीर ।

पुलिस और प्रशासन

कल फेसबुक पर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के 3 वीडियो देखें जिसमे कुछ बिछड़े, कुचले,शोषित,पीड़ित लोग पुलिसवालों को दौड़ा दौडाकर मार रहे थे । ऐसे ही कुछ वीडियो कश्मीर के भी देखे थे जिसमें सेना के जवानों को गरीब, लाचार, लघुमति के लाभ लेनेवाले लोग मार रहे थे । बेशक ये वीडियो मेरी तरह हजारो, लाखो लोगो ने देखे होंगे और सायद नेताओ ने भी देखे होंगे लेकिन सब सायद चुप है क्योंकि अंबेडकर नाम की जो वोट बैंक है उसका सभी तरह से ध्यान रखना हमारी सरकार की पहली जवाबदारी है चाहे इसके लिए कितने भी पुलिसवाले या सैनिक मरे कोई फर्क नही पड़ता ।
सेना और पुलिस हमारी दो फ़ोर्स है जो देश को बाहरी ओर अंदरूनी दुश्मनो से देश , देश की जनता और देश की संपत्ति की रक्षा करते है अगर आज ये लोग ही सुरक्षित नही है तो जनता ओर देश की सुरक्षा किसके हाथों में ??
मुजे कोई फर्क नही पड़ता कि मोदीजी ने 15 लाख क्यों जमा नही करवाये , भाई हमे नही चाहिए ये, ओर नाही हमे आपकी ब्लैक मनी वाली बातों में रस है अगर वो मनी वापस नही ला सकते कोई बात नही , हम नही जानते कि आपका एजेंडा क्या है देश और समाज के लिए । कुछ भी हो । आपको कोई काम नही करना है मत करो हम 2019 में ये सब भूल जाएंगे और आपको एक मौका देंगे लेकिन हमारी सेना और पुलिस के साथ आपकी सरकार का यही रवैया रहा तो माफ करना लेकिन 2019 में जनता का रवैया कुछ अलग ही होगा और सिर्फ 2019 नही पर आनेवाले कई सालो तक जनता आपको माफ भी नहीं कर पायेगी ।
अफसोस है कि जिस दबंगाई से आपने सरकार बनाई वो अब कही दिख नही रही है और खास करके सेना और पुलिस के साथ हो रहे ऐसे हादसो ने कानून व्यवस्था को मजाक बना दिया है और ये सब 2014 के बाद ही हुआ है । इसके लिए किसी के पास हिसाब मत मागियेगा ।
अंत मे सलाम है आनंदीबेन पटेल को जिसने गुजरात मे पुलिस को सत्ता देकर आंदोलन को बेरहमी से कुचला ताकि भविष्य में वो गुजरात के लिए मुश्किली पैदा ना करे ।

द्वितीय विश्वयुद्ध ओर महाराजा दिग्विजयसिंह ।

1942 के आसपास जब भारत आज़ाद नही हुआ था । एक तरफ देश मे आज़ादी कि लड़ाई अपने अंतिम चरण में थी और यही वक़्त था जब पूरा विश्व द्वितीय विश्व युद्ध की लपेटो में घिर चुका था । पोलेंड भी उनमें से एक देश था जो इस तबाही से बच नही पाया था और आनेवाली तबाही से बचने के लिए पोलेंड से एक जहाज में 1000 के आसपास औरते ओर बच्चो को समुद्र मार्ग से रवाना कर दिया था जहाँ भी उनको हेल्प मिले । ये जहाज दुनिया के बहोत देशो में गया लेकिन कही से भी कोई मदद नही मिली और वो जहाज भारत मे मुम्बई के समुद्र तक पहोचा लेकिन उस वक़्त भारत मे अंग्रेजो का शासन था और उन्होंने भी उनको हेल्प करने से मना कर दिया ।
इतिहास साक्षी है राजपूतो के आश्रय धर्म का । उसी वक़्त नावानगर (हाल जामनगर ) के महाराजा दिग्विजयसिंह को ये बात पता चली और बिना कुछ सोचे वो उन सभी पोलेंड के बच्चों और औरतों को जामनगर ले आये । उस वक़्त अंग्रेज सरकार ने जब खर्चा देने से मना कर दिया तब अपने पर्सनल पैसों से खर्च करके महाराजा ने उन सभी के लिए वही पर घर बनाया जो बालाछड़ी के नाम से आज भी हयात है । पूरे 4 साल तक महाराजा ने उनको अपने बच्चे समज के उनका ख्याल रखा । जब उनको भारतीय खाने से तकक्लिफ़ होने लगी तो महाराजा ने उनके लिए खाना बनाने के लिए स्पेशलिस्ट लडकिया गोआ से बुलाई ।
अपना सबकुछ न्योछावर करने वाले राजपूतो को भारतीय सरकार और भारत की प्रजा याद रखे ना रखे पर पोलेंड ये नही भूल5ओर पोलेंड में एक स्कूल और एक चौराहे का नाम दिग्विजयसिंह के नाम रख दिया ।
। जय माताजी । । जय राजपुताना ।

हिंदूवादी संगठन V/S सनातन

गूगल गुरु में कुछ ढूंढ रहा था तभी मन मे आया कि चलो हिंदुत्व के बारे में कुछ जानकारी हासिल करते है । जब 4 -5 अलग अलग वेबसाइट देखी तो सबमे एक बात सामान्य थी कि हिन्दू शब्द का पहला उपयोग विदेश से भारत मे आये पर्शियन या सायद फ्रांसिस लोगो ने 6 थी या 7 वी सदी में उपयोग किया था । उसका अर्थ होता था सिंधु नदी के आसपास सिंधु संस्कृति के लोग । उनके उच्चारण में s में तकलीफ होन की वजह से सिंधु से हिन्दू शब्द का प्रयोग होने लगा । मुजे एक RRS के कार्यकर्ता ने भी कहा था कि हिन्दू एक समुदाय का नाम है । अब समझ नही आता कि आखिर आज के जो सत्ता लालची संगठन हिन्दू धर्म के नाम पर बने है और उसके रक्षक होने का दावा करते है वो हिन्दू धर्म कहा से पैदा हो गया । हकीकत में हिन्दू शब्द विदेशो की पैदाइश है और हमारे संगठन उसको ही सर्व श्रेष्ठ बनाने पर लगे हुए है ।
हा ये बात है कि हिन्दू कोई धर्म नही है हमारा क्योंकि इसका जिक्र सायद आपको वेद,पुराण, रामायण,महाभारत या गीता में कही भी नही मिलेगा । इस देश मे 2 ही धर्मो की बात की गई है और उनमें से एक है हमारा सनातन धर्म । प्राचीन काल मे ब्राह्मण और बाकी प्रजा इस धर्म के हिसाब से जीवन जीते होंगे । इस धर्म के प्रचार का कार्य ऋषि मुनिओ के हाथ मे था और हमारे लाखो ग्रंथ इस बात के साक्षी है कि उन्होंने अपना कर्तव्य अस्से से निभाया है । हमारे कर्मकांड, यज्ञ, हवन वगेरे सनातन धर्म मे बताए मार्ग पर ही होते थे और आज भी होते है । दुनिया की पुरानी संस्कृति और धर्म है उन में सनातन धर्म सबसे पुराना है और बाकी सब धर्मों का जन्मदाता भी । लेकिन अगर हम इन संगठनों की मान के हिन्दू को अपना धर्म समझ ले तो ये ज्यादा पुराना नही है यानी कि कुछ लोगों के द्वारा सनातन के स्थान पर हिंदुत्व को धर्म बनाने की मुहिम चल रही है । बेशक हिन्दू एक समुदाय है और वो हमारी पहचान विदेशो के लिये है लेकिन उस पहचान के चलते है अपना मूल धर्म भूल ना जाये ये हमारी जिम्मेदारी भी है ।
क्रमश :
। वीर ।

Law .

Law ...
पता नही लॉ में क्या पढ़ते ओर पढ़ाते है लेकिन वकील का मतलब सिर्फ और सिर्फ केस जितना ही है चाहे वो गलत हो या सही तो ऐसे वकीलों से कभी भी किसी को न्याय की अपेक्षा नही रखनी चाहिए । जितने के लिए वकीलों की फालतू दलील असरकारक साबित हो और उससे असत्य की जीत हो वैसा कानून देश की जनता के लिए प्राण घातक हो सकता है ।
कपिल सिब्बल की राम जन्म की दलील तीन तलाक के सामने रखना ही इस बात को साबित करती है कि उनके लिए केस जितने से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नही है फिर यहाँ पे न्याय कहा आया ??? राम अयोध्या में जन्मे है इस बात से किसी भी इंसान के जीवन मे कोई बदलाव नही लाएगा लेकिन तीन तलाक को सही बताना मतलब उस लाखो मुस्लिम औरतो के साथ अन्याय करना होगा और ऐसी प्रथा को साथ देना उस लाखो महिलाओं के जीवन को तहस नहस कर देगा ।
अजीब बात तो ये है कि सरकार को ऐसे मामलों के लिए न्यायतंत्र का सहारा लेना पड़ रहा है वो भी लोकशाही वाले अपने ही देश मे । ओर जहाँतक तीन तलाक जैसी कु प्रथा की बात है तो खुद मुस्लिमो को ही सामाजिक जवाबदारी समझकर इसके खिलाफ लड़त चलानी चाहिए यू कहिये की ये बदलाव उनको अपने अंदर लाना पड़ेगा । औरतो की सुरक्षा बुरखे में नही बल्कि उनके स्वाभिमान की रक्षा करने में है ये बात मुस्लिमो को जितना जल्दी हो स्वीकार कर लेनी चाहिए ।
आशा करते है कि बदलते समय के साथ मुस्लिम अपने कुरिवाजो को तिलांजलि देकर दुनिया के साथ कदम ससे कदम मिलाकर चलने की शुरुआत करेगा ।
। वीर ।

महाराणा प्रतापजयंति - 2

आदरणीय Nagindas Sanghviji..Nd Divya bhaskar news ।
आपका कल के दिव्य भास्कर में छपा लेख पढ़ा । आपका कहना है कि अकबर ओर महाराणा प्रताप की comperision नही हो सकती है । आपकी इस बात के साथ मे पूरी तरह सहमत हूं । आपने अपने क्षत्रियो के प्रति जो पूर्वग्रह है उसका प्रदर्शन किया लेकिन ये बात सही लिख दी क्योंकि एक लुटेरे, घातकी , हत्यारे विदेशी मोगल अकबर की तुलना महान शूरवीर ओर देशभक्त जिन्होंने अपना सर्वस्व देश और प्रजा के लिए बलिदान कर दिया ऐसे महावीर हिन्दू सूर्यवीर महाराणा प्रताप के साथ कभी नही हो सकती है । अरे सर महाराणा तो दूर की बात है लेकिन अकबर ओर किसी भी मोगल की तुलना हमारे किसी हिंदुस्तानी मांस भक्षी कुत्तो से भी नही हो सकती क्योंकि की वफादारी नाम की चीज भी होती है उस जानवर में ।
आपने ओर लिखा है कि अकबर बडी सल्तनत का बादशाह था और महाराणा प्रताप के पास खाली चितोड़ था लेकिन फिर भी वो अकबर उस छोटे से चितोड़ को कभी जीत नही पाया । महाराणा की एक हार आखरी फैसला कभी नही बना । वो लड़े , लगातार लड़े अपनी प्रजा के लिए, अपनी मातृभूमि ओर अपनी संस्कृति के लिए आखरी सांस तक लड़े ओर उनकी इस लड़त की चरम सीमा हल्दीघाटी से अकबर को वापिस भेजने के लिए काफी थी । लिखने से पहले आपने थोड़ा भी सोचा नही की कैसे अकबर की 1 लाख की तोपों से सज्ज सेना से सिर्फ तलवारों ओर अपने अदम्य साहस के साथ 20000 राजपूत लड़े होंगे । उनके बारे में कुछ लिखने से पहले आपजो जोहर कुंड के दर्शन कर लेने थे । कैसे अपनी नाजुक काया को आग के हवाले किया होगा उन क्षत्राणियो ने । आपने लिखा कि आप नही मानते आदर्श महाराणा प्रताप को इसमें कोई नई बात नही है क्योंकि गिधडॉ का आदर्श कभी शेर नही हो सकते है क्योंकि उनमें इतनी हिमत ही नही होती कि वो ऐसे शूरवीरों के रास्ते को पसंद करें ।
अंत मे .....
कोई हैरानी नही हुई आपका लेख पढ़के , बुरा लगा लेकिन फिर सोचा कि आप जैसे लोगो से ओर क्या अपेक्षा रख सकते है क्योंकि मैंने एक लेखक के हिसाब से आपका नाम पहेली बार सुना और सायद किसी गुजराती के लिए ये पहेली बार होगा इसलिए आप जैसे लोगो अपनी ख्याति बढ़ाने के लिए स्वतंत्र अभिव्यक्ति के नाम पर बार बार महापुरुषों पर कीचड़ उछालने की कोशिश करते है और इसके पीछे आपकी मंछा सिर्फ ख्याति प्राप्त करने के अलावा कुछ नही होती ।
जय महाराणा ।
। वीर ।

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...