Saturday, December 6, 2014

राजशाही vs लोकशाही....

....राजशाही vs लोकशाही..........
-> मंत्रीमंडल :-
राजशाही मे राजा के दरवार मे जो सहायक मात्रिमंडल रखा जाता था लो उनकी काबिलियत ओर निपुणता के आधार पर रखा जाता था जैसे की खेती का वाहीवट पटेल को, हिसाब का वाहीवट बनिए को, सरक्षण का वाहीवट राजपूत को.....जिससे उनका तंत्र सही चलता थे ओर प्रजा के सुखाकरी के लिए राज्य सही तरह से चलता था.....जो की आज की इस लोकशाही मे देखने को नहीं मिलता बिना किसी लायकात ओर काबिलियत किसी को भी किसी भी क्षेत्र का मंत्री बना दिया जाता है.......
-> न्यायव्यवस्था :-
पूरी तरह से पारदर्शी न्यायव्यवस्था से चलते थे राज्य की न्यायपरनाली राजशाही मे ओर तत्काल निर्णय उसकी सब से बड़ी positive side है.....न्याय बिना किसी रिसतेदारी या पावर के सही होता था....आज की लोकशाही की न्यायपरनाली के बारे मे कुछ लिखने की जरूरत है क्या...???????????????
-> सताधीश ;-
राजा जो की सता मे होता था वो प्रजा को अपने बच्चो के समान मानता था ओर प्रजा के मनमे राजा के प्रति माता पिता जितना सन्मान था....प्रजा के दुख मे दुखी ओर उनकी सुखाकरी के लिए अपने सुखो का त्याग ही राजा की जिंदगी थी....अपनी प्रजा के बीच जाने के लिए उन्हे कोई सरक्षकों की जरूरत नहीं रहती थी उ कहिए की उनको अपनी प्रजा पे इतना भरोषा था ओर प्रजा भी उस वक्त राजा को भगवान का रूप मानती थी......आज के मंत्री ओर सताधीशों को हर वक्त सुरक्षा कर्मीओ की जरूरत पड़ती है ओर नहीं उन्हे प्रजा की फिकर होती है इसलिए आज प्रजा अपने सताधीशों का स्वागत गली ओर जूतो से करते है........
-> प्रजा :-
राजशाही की सही व्यवस्था ओर लोगो के प्रति राजा के व्यवहार के कारण प्रजा राजा का सन्मान करती थी ओर राज्य के प्रति पूरी वफादारी बरकती थी......जरूरत पड़ने पर अपने राज्य के लिए कोई भी त्याग करने मे प्रजा पिसे नहीं हटती थी जो की आज प्रजा को अपने स्वार्थ के आगे देश ओर राज्य दिखाता ही नहीं है......
लास्ट मे जो सबसे महत्व की बात है.........
लाखो साल के राजपूतो के राज मे (राजशाही ) के इतिहास मे कोई पन्ना ऐसा नहीं है जिन पर लिखा हो की लाखोप सालो मे कभी भी किसी राज्य मे प्रजा ने राज्य के खिलाफ कोई हड़ताल, आंदोलन, भूख हड़ताल की हो....हा कभी कोई राजा प्रजा पर जुल्म करता तो तुरंत दूसरा राजा उस राजा को हटकर प्रजा पर होते जुल्मो को खतम करता था लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ था की प्रजका ने कभी विरोध किया क्यूकी प्रजा को कभी इसकी जरूरत नहीं पड़ी थी उन्हे राजपूतो के साशन पे भरोसा था......आज की लोकशाही के 70 साल मे न जाने कितना आंदोलन, भूख हड़ताल, हादतले, हिंसा, कोमी दंगे....लाखो की जनहानि ओर अबजो की संपाती का नुकशान ....!!!!!!!!
..................................विर..................................
जय माताजी...जय राजपूताना.......

राजशाही vs लोकशाही....

....राजशाही vs लोकशाही..........
-> मंत्रीमंडल :-
राजशाही मे राजा के दरवार मे जो सहायक मात्रिमंडल रखा जाता था लो उनकी काबिलियत ओर निपुणता के आधार पर रखा जाता था जैसे की खेती का वाहीवट पटेल को, हिसाब का वाहीवट बनिए को, सरक्षण का वाहीवट राजपूत को.....जिससे उनका तंत्र सही चलता थे ओर प्रजा के सुखाकरी के लिए राज्य सही तरह से चलता था.....जो की आज की इस लोकशाही मे देखने को नहीं मिलता बिना किसी लायकात ओर काबिलियत किसी को भी किसी भी क्षेत्र का मंत्री बना दिया जाता है.......
-> न्यायव्यवस्था :-
पूरी तरह से पारदर्शी न्यायव्यवस्था से चलते थे राज्य की न्यायपरनाली राजशाही मे ओर तत्काल निर्णय उसकी सब से बड़ी positive side है.....न्याय बिना किसी रिसतेदारी या पावर के सही होता था....आज की लोकशाही की न्यायपरनाली के बारे मे कुछ लिखने की जरूरत है क्या...???????????????
-> सताधीश ;-
राजा जो की सता मे होता था वो प्रजा को अपने बच्चो के समान मानता था ओर प्रजा के मनमे राजा के प्रति माता पिता जितना सन्मान था....प्रजा के दुख मे दुखी ओर उनकी सुखाकरी के लिए अपने सुखो का त्याग ही राजा की जिंदगी थी....अपनी प्रजा के बीच जाने के लिए उन्हे कोई सरक्षकों की जरूरत नहीं रहती थी उ कहिए की उनको अपनी प्रजा पे इतना भरोषा था ओर प्रजा भी उस वक्त राजा को भगवान का रूप मानती थी......आज के मंत्री ओर सताधीशों को हर वक्त सुरक्षा कर्मीओ की जरूरत पड़ती है ओर नहीं उन्हे प्रजा की फिकर होती है इसलिए आज प्रजा अपने सताधीशों का स्वागत गली ओर जूतो से करते है........
-> प्रजा :-
राजशाही की सही व्यवस्था ओर लोगो के प्रति राजा के व्यवहार के कारण प्रजा राजा का सन्मान करती थी ओर राज्य के प्रति पूरी वफादारी बरकती थी......जरूरत पड़ने पर अपने राज्य के लिए कोई भी त्याग करने मे प्रजा पिसे नहीं हटती थी जो की आज प्रजा को अपने स्वार्थ के आगे देश ओर राज्य दिखाता ही नहीं है......
लास्ट मे जो सबसे महत्व की बात है.........
लाखो साल के राजपूतो के राज मे (राजशाही ) के इतिहास मे कोई पन्ना ऐसा नहीं है जिन पर लिखा हो की लाखोप सालो मे कभी भी किसी राज्य मे प्रजा ने राज्य के खिलाफ कोई हड़ताल, आंदोलन, भूख हड़ताल की हो....हा कभी कोई राजा प्रजा पर जुल्म करता तो तुरंत दूसरा राजा उस राजा को हटकर प्रजा पर होते जुल्मो को खतम करता था लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ था की प्रजका ने कभी विरोध किया क्यूकी प्रजा को कभी इसकी जरूरत नहीं पड़ी थी उन्हे राजपूतो के साशन पे भरोसा था......आज की लोकशाही के 70 साल मे न जाने कितना आंदोलन, भूख हड़ताल, हादतले, हिंसा, कोमी दंगे....लाखो की जनहानि ओर अबजो की संपाती का नुकशान ....!!!!!!!!
..................................विर..................................
जय माताजी...जय राजपूताना.......

Saturday, October 25, 2014

राजपूतो की शक्ति / Rajputo Ki Shakti......माँ / MAA...


...



जय माताजी....जय राजपूताना........
इतिहास ओर राजपूतो की बहदुरी की कहानिया सुनते समय बहोत बार यही विचार आता है की आखिर हमारे इन महान पूर्वजो के पास इतनी शक्ति कैसे थी.....बिना शिर का धड़ सायद पूरी दुनिया मे सिर्फ राजपूत का ही लड़ सकता है या जलती चीता मे सिर्फ राजपुतानी ही सती हो सकती है.....फिर जब उनके जीवन को नजदीक से पढ़ा तब पता चला की उनकी इस शक्ति का राज खुद शक्ति ही थी...हा जगत जननी जगदंबा माँ कुलदेवी हमेश राजपूतो के साथ रहेती थी ओर राजपूत कभी भी शक्ति की आज्ञा के बिना कुछ नहीं करते थे...राजपूत शक्ति के उपासक है इसलिए सायद हजारो लाखो सालो से इंका अस्तित्व लाखो मुसीबतों के बावजूद भी कायम है.......वो ही शक्ति है जिन्हों ने 21 बार पृथ्वी को नक्षत्री करनेवाले परशुराम से न केवल क्षत्रियो का रक्षण किया था बल की जनकपुरी मे उनको जुकाया भी था......आज हमारी जो भी हालत है सायद उसके पिसे काही न काही एक कारण ये भी है की हम शक्ति की उपासना की जगह उपेक्षा करने लगे है....आधुनिकरण ओर दूसरी संस्कृति के अनुकरण की वजह से हम अपनी संस्कृति ओर परमपरा भूलने लगे है .......हमे हमारे वजूद को कायम रखने के लिए फिर से उसी शक्ति की शरण मे जाना होगा तभी सायद इस देश को हम रामराज्य तक ले जा सकेंगे.........हमारे घर मे बड़ी होती हमारी बेटी....साथ खेलती बहन,....साथ देने वाली भगिनी ओर जिंका पूरी श्रुष्टि पे उपकार है वो जन्म देनेवाली हमारी जननी इसी शक्ति का रूप है...उनका सन्मान शक्ति की उपासना से कम नहीं है....आओ इस नवरात्रि मे फिर से उस शक्ति की शरण मे जाके उसे प्रार्थना करे ओर हमारे भव्य भूतकाल को फिर से सजीवन करने के वरदान पाये..........
...................वीर...............

Saturday, July 26, 2014

YUDDH / युद्ध.

23/07/2014.

जय माताजी.....

युद्ध......एक ऐसा शब्द जिसका नाम सुनते ही हमारी आंखो के सामने एक picture clear आ जाता है अगर हम पुराने जमाने के युद्ध के बारे मे सोचे तो तलवारे,भाला,हाथी ओर घोडा ........ओर अगर आज के जमाने के युद्ध के बारेमे सोचे तो बंदूक,बॉम्ब,मिसाइल......लेकिन परिणाम एक ही...पतन...!!!!!!! चाहे हो जीतने वाले का हो या हारने वाले का हो लेकिन पतन होता है इंसानियत का...यही सोच हमारे मन मे होती है ओर सायद बहोत से लेखको ने यही लिखा है की युद्ध से पतन होता है...तो फिर ये युद्ध होता है क्यू...????? क्या जरूरत है युद्ध की...!!! 
क्या सही मै युद्ध से पतन होता है....???या फिर युद्ध ही वो रास्ता है आगे जाने के जहा आके दुनिया खड़ी हो जाती है ओर कोई रास्ता नहीं सूजता....जहा पे इंसानियत अंधी हो जाती है ओर सत्ताधिस बहेरे.....जहा पे सिस्टम,व्यवस्था आदमी के विकास को रोक देती है....जहा आंखो से सामने अंधेरा ही अंधेरा होता है तब उजाले की ओर ले जानेवाला रास्ता सायद युद्ध ही तो है.....विकास ओर जरूरतों की अंधी दौड़ के कारण आदमी उस मंजर पर पहोच जाता है जहा से आगे निकालने का रास्ता ही नहीं मिलता.....ऐसा लगता है जैसे समय रुक गया हो....तब जरूरत पड़ती है युद्ध की.....इंसानियत वो humun development के लिए युद्ध अनिवार्य है.....

to be continue.....

Sunday, June 29, 2014

अब जाग जा तू राजपूत


एकबार (1948) जंगल मे शेर ने हंस से दोस्ती करली...लेकिन हंस ने दोस्ती मे शर्त रखी की अगर शेर शिकार करना ओर मांस खाना छोड़े तो वो उसका दोस्त बन सकता है....शेर ने हंस (देश की जनता) की दोस्ती की खातिर ये शर्त मंजूर राखी ओर मांस खाना ओर शिकार करना छोड़ दिया ओर हंस से कहा की मे तुम्हारी दोस्ती के लिए जिंदगी भर भूखा रह सकता हु क्यूकी की शेर कभी घास नहीं खाता ओर जिंदगी की आखरी सांस तक दोस्ती निभा ऊंगा बस तुम मेरी आन को बनाए रखना....एक दिन एक आदमी जंगल मे आया तो हंस के साथ किए वादे के कारण शेर ने उसे भी दोस्त बना दिया ओर अपने पास पड़े कुछ जवेरात उस आदमी को दे दिये अब वो आदमी भी उनका दोस्त बन गया...एकदिन उस आदमी की लड़की की सदी थी तो उसने अपने दोनों दोस्त हंस ओर शेर को न्योता दिया ओर दूसरे दिन हंस ओर शेर जंगल से उसके घर गए लेकिन उसके घर बैठे लोग दर कर भागनेवाले थे तभी उस आदमी ने कहा की भागो मत ये कुछ नहीं करेगा ॥ये तो कुत्ते जैसा है....ये सुनते ही शेर का खून गरम हो गया लेकिन क्यूकी की वह शेर है अपनी मर्यादा के कारण वह से चला ज्ञ ओर जंगल मे जाकर उसने हंस से कहा की माफ करना दोस्त मैंने तुम्हारी दोस्ती के कारण मांस खाना छोड़ दिया ओर सीकर करना भी हम आज भी तेरे जैसे दोस्त के कारण जिंदगी भर भूखे राहेकर अपनी जन दे सकते है लेकिन कोई हमारी आन पर ,हमारी इज्जत पर,हमरे स्वमान पर उंगली उठाएगा तो हम चुप नहीं रहेंगे इसलिए आज से हमारी दोस्ती खतम ओर दूसरे दिन जैसे वो आदमी जंगल मे आया शेर ने उसे मर डाला.........

ये स्टोरी इस देश के राजपूतो की है देश ओर देश की जनता की भलाई के लिए राजपूतो ने अपनी जमीन , सत्ता, संपती,अपना मान सब कुछ छोड़ दिया ओर खुद भूखे मानरे लगे लेकिन हमरारी इस खामोशी ओर क़ुरबानी को कुछ लोग हमारी कमजोरी माने लगे है ॥अब उन्हे कहेना है की हमने हंस की दोस्ती खतम करदी है ओर हम पहेले जैसे खूंखार हो गए है इसलिए सावधान रहे हमारी इस खामोशी को हमारी कमजोरी समाजने की भूल न करे ............


.जय माताजी....जय राजपूताना...जय क्षात्र धर्म.....

षड्यंत्र ......



 पूरे देश मे राजपूतो के गौरवशाली इतिहास को खतम करने का एक बड़ा ओर छुपा षड्यंत्र चल रहा है....फिल्म...बुक्स...ओर जाहेर मंच पर से कुछ लोग राजपूतो के इतिहास को भूलकर देश के लोगो के समक्ष नया ही इतिहास रचने की कोशिश कर रहे है....इनका इरादा एक ही है कुछ भी कर के राजपूतो ओर राजपूतो के इतिहास को खतम किया जाए ओर ये षड्यंत्र इस तरह से चल रहा है की किसी को पता भी न चले....थोड़े थोड़े समय का अनतर रखके ये लोग किसी भी माध्यम के द्वारा जहा मौका मिले वहा राजपूतो की अवगणना करना नहीं छोडते है.........हम राजपूत ज़्यादातर ऐसी छोटी छोटी बाटो पर ध्यान नहीं दे रहे है लेकिन हम ये भूल रहे है की इनकी ये चल से हाम्रा वजूद जोखम मे पद रहा है आनेवाली पेढ़ी जो इतिहास जानेगी वो इस मधे से ही जानेगी ओर ये लोग उनके मन मे नया ही इतिहास रचने की कोशिश कर रघे है जिससे ये तय है की अनेवाली पेढ़ी को पता भी नहीं चलेगा की राजपूत कोण थे क्यूकी इनके सामने एक नया ओर जूठा इतिहास होगा.....जिस तरह से आज के नेता ओर फिल्म मेकर नए नए इतिहास को जन्म दे रहे है इससे हमारा वजूद खतरे मे है अगर हम आज जागे नहीं ओर इन छोत छोटी बाटो पर ध्यान नहीं देंगे तो वो दिन दूर नहीं है जब हम ओर हमारा इतिहास एक गुमनामी मे गुम हो जाएगा...सायद एक काल्पनिक कथा बनकर रह जाएंगे हम.......इसलिए छोटी छोटी इस बाटो पर ध्या दे ओर जहा जरूर पड़े लड़े...ताकि हम अपने पूर्वजो को इज्जत दे शके......

.जय माताजी....जय राजपूतना.......
य माताजी.....जय राजपूताना......जय क्षात्र धर्म.........


जामनगर राजपूत युवा event मे जो बाते हुई....

->सब कुछ भूल जाओ ओर अपने अंदर सोये हुए क्षात्र धर्म को जागृत करो क्यूकी यही आपकी जिंदगी ओर जिंदगी का मकसद है......
->हमारी आज की हालत का कारण यही है की हम अपना क्षात्र धर्म भूल चुके है...
->जब एक राजपूत को क्या करना है इस बात का अंदाजा नहीं रहेता वो confuse होता है तब उसका भाई उससे सही रास्ता दिखाता है जो श्रीमद भगवत गीता के रूप मे बाहर आता है....गीताजी है क्या एक क्षत्रिय ने दूसरे क्षत्रिय को कन्फ़्युशन से निकाल ने के लिए दिया हुआ ग्यान है.....
->ग्यान एक ही चीज है जो आज के समय मे सब से ज्यादा powerful है इस लिए ग्यान का अध्ययन करो ओर अपने ग्यान को असीमित बनाओ क्यूकी इसी के आधार पर हमे आज के समय मे लड़ना है....
->education जो आज के समय मे आपको सत्ता ओर ग्यान के लिए जरूरी है इसलिए खुद पढ़ो ,अपने बेटे ओर बेटी को पढ़ाओ साथ मे ध्यान रखो की आपकी बेटी क्षत्रियानी धर्म ना चुके...उसे आज के पुस्तकों के ग्यान के साथ रामायण ओर शास्त्रो का ग्यान भी दे ताकि अनेवाली पेढ़ी समाज ओर संस्कृति की रक्षा कर सके.....
-> व्यसन मुक्ति तो हर राजपूत event मे discuss होता मैं point है.....
->अपना कुछ समय निकाल के समाज की एकता के लिए होते ऐसे यग्न मे अपने हिस्से की आहुति जरूर दे.....
वदिलों नो कुछ सलाह अससिया दी तो काही अपना गुस्सा भी दिखाया क्यूकी हमारी कुछ हरकते जो की हमारे समाज को represent करता है जिससे हमारी संस्कृति को कलंक लग सकता है इसलिए काही पे भी इस चीज को ध्यान रखे की आप अपने समाज को रिप्रेसेंट करते है इसलिए आपके किसी भी कार्य ओर वर्तनुक से समाज को लांछन ना लगे......
आज जब एकबार election जीत ने के बाद नेता दिखाई नहीं देते वह समाज के एक MLA बापू ने अपनी राजनैतिक मर्यादा होते हुए भी कहा की जब कभी भी समाज को जरूरत पड़ेगी उनके लिए बो पहेली पसंद होगी ओर वो दुयड के आएंगे.....


जय माताजी ....जय राजपूताना .......

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...