Sunday, June 29, 2014

अब जाग जा तू राजपूत


एकबार (1948) जंगल मे शेर ने हंस से दोस्ती करली...लेकिन हंस ने दोस्ती मे शर्त रखी की अगर शेर शिकार करना ओर मांस खाना छोड़े तो वो उसका दोस्त बन सकता है....शेर ने हंस (देश की जनता) की दोस्ती की खातिर ये शर्त मंजूर राखी ओर मांस खाना ओर शिकार करना छोड़ दिया ओर हंस से कहा की मे तुम्हारी दोस्ती के लिए जिंदगी भर भूखा रह सकता हु क्यूकी की शेर कभी घास नहीं खाता ओर जिंदगी की आखरी सांस तक दोस्ती निभा ऊंगा बस तुम मेरी आन को बनाए रखना....एक दिन एक आदमी जंगल मे आया तो हंस के साथ किए वादे के कारण शेर ने उसे भी दोस्त बना दिया ओर अपने पास पड़े कुछ जवेरात उस आदमी को दे दिये अब वो आदमी भी उनका दोस्त बन गया...एकदिन उस आदमी की लड़की की सदी थी तो उसने अपने दोनों दोस्त हंस ओर शेर को न्योता दिया ओर दूसरे दिन हंस ओर शेर जंगल से उसके घर गए लेकिन उसके घर बैठे लोग दर कर भागनेवाले थे तभी उस आदमी ने कहा की भागो मत ये कुछ नहीं करेगा ॥ये तो कुत्ते जैसा है....ये सुनते ही शेर का खून गरम हो गया लेकिन क्यूकी की वह शेर है अपनी मर्यादा के कारण वह से चला ज्ञ ओर जंगल मे जाकर उसने हंस से कहा की माफ करना दोस्त मैंने तुम्हारी दोस्ती के कारण मांस खाना छोड़ दिया ओर सीकर करना भी हम आज भी तेरे जैसे दोस्त के कारण जिंदगी भर भूखे राहेकर अपनी जन दे सकते है लेकिन कोई हमारी आन पर ,हमारी इज्जत पर,हमरे स्वमान पर उंगली उठाएगा तो हम चुप नहीं रहेंगे इसलिए आज से हमारी दोस्ती खतम ओर दूसरे दिन जैसे वो आदमी जंगल मे आया शेर ने उसे मर डाला.........

ये स्टोरी इस देश के राजपूतो की है देश ओर देश की जनता की भलाई के लिए राजपूतो ने अपनी जमीन , सत्ता, संपती,अपना मान सब कुछ छोड़ दिया ओर खुद भूखे मानरे लगे लेकिन हमरारी इस खामोशी ओर क़ुरबानी को कुछ लोग हमारी कमजोरी माने लगे है ॥अब उन्हे कहेना है की हमने हंस की दोस्ती खतम करदी है ओर हम पहेले जैसे खूंखार हो गए है इसलिए सावधान रहे हमारी इस खामोशी को हमारी कमजोरी समाजने की भूल न करे ............


.जय माताजी....जय राजपूताना...जय क्षात्र धर्म.....

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