Saturday, July 26, 2014

YUDDH / युद्ध.

23/07/2014.

जय माताजी.....

युद्ध......एक ऐसा शब्द जिसका नाम सुनते ही हमारी आंखो के सामने एक picture clear आ जाता है अगर हम पुराने जमाने के युद्ध के बारे मे सोचे तो तलवारे,भाला,हाथी ओर घोडा ........ओर अगर आज के जमाने के युद्ध के बारेमे सोचे तो बंदूक,बॉम्ब,मिसाइल......लेकिन परिणाम एक ही...पतन...!!!!!!! चाहे हो जीतने वाले का हो या हारने वाले का हो लेकिन पतन होता है इंसानियत का...यही सोच हमारे मन मे होती है ओर सायद बहोत से लेखको ने यही लिखा है की युद्ध से पतन होता है...तो फिर ये युद्ध होता है क्यू...????? क्या जरूरत है युद्ध की...!!! 
क्या सही मै युद्ध से पतन होता है....???या फिर युद्ध ही वो रास्ता है आगे जाने के जहा आके दुनिया खड़ी हो जाती है ओर कोई रास्ता नहीं सूजता....जहा पे इंसानियत अंधी हो जाती है ओर सत्ताधिस बहेरे.....जहा पे सिस्टम,व्यवस्था आदमी के विकास को रोक देती है....जहा आंखो से सामने अंधेरा ही अंधेरा होता है तब उजाले की ओर ले जानेवाला रास्ता सायद युद्ध ही तो है.....विकास ओर जरूरतों की अंधी दौड़ के कारण आदमी उस मंजर पर पहोच जाता है जहा से आगे निकालने का रास्ता ही नहीं मिलता.....ऐसा लगता है जैसे समय रुक गया हो....तब जरूरत पड़ती है युद्ध की.....इंसानियत वो humun development के लिए युद्ध अनिवार्य है.....

to be continue.....

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