Sunday, June 29, 2014

हमारी रियासत .../ Hamari Riyasat...

"" LET'S GO BACK AHMEDABAD TO KARNAVATI ""




हमारी हर बुक्स मे पढ़ाया जाता है॥"जब कुत्ते पे सस्सा आया तब बादशाह ने शहर बशाया।" ओर फिर उनके नाम से उस शहर का नाम भी रख दिया...ये इतिहास पढ़कर हम सही इतिहास भूलने लगे है ओर सायद बहोत लोगो को पता भी नहीं होगा की अहमदाबाद का मूल नाम कर्णावती था ओर उसकी स्थापना पाटन के सोलंकी राजा भीमदेव सोलंकी ने की थी....अहमदाबाद की रचना पाटन की copy है इसलिए हम ये कह सकते है की पाटन अहेमदाबाद की जनेता है...लेकिन हिन्दू ओर राजपूतो के महान इतिहास को मिटाने के लिए एक बड़े षड्यंत्र के तहत हमे कुछ ओर ही पढ़ाया जाता है.....बॉम्बे का मुंबई हो गया....बेंगलोरे का बेंगालुरु हो गया तो फिर अहमदाबाद का कर्णावती क्यू नहीं...??????????????????????????///

History
Main article: History of Ahmedabad
The area around Ahmedabad has been inhabited since the 11th century, when it was known as Ashaval (or Ashapalli).[9] At that time, Karandev I, the Solanki ruler of Anhilwara (modern Patan), waged a successful war against the Bhil king of Ashaval,[10] and established a city called Karnavati on the banks of the Sabarmati. Solanki rule lasted until the 13th century, when Gujarat came under the control of the Vaghela dynasty of Dholka. Gujarat subsequently came under the control of the Delhi Sultanate in the 14th century. However, by the earlier 15th century, the local governor Zafar Khan Muzaffar established his independence from the Delhi Sultanate and crowned himself Sultan of Gujarat as Muzaffar Shah I, thereby founding the Muzaffarid dynasty. Karnavati finally came under the control of his grandson Sultan Ahmed Shah in 1411 A.D. who renamed the city as Ahmedabad after himself.[11]

The town also has a place called Bhadra. Other borrowed names from Patan are Ratanpol, Doshiwada ni Pol, Nagarwado, Hathi ni Pol, Khatri Pol, Teen Darwaza, Ram Sheri, Pada Pol, Zaveribazaar, , Panchal ni Pol, , Soniwado, Sankhdi Sheri, Dhal ni Pol, and even Bhadrakali temple.

जय माताजी ....जय राजपूतना........

Khudko Pahchan e Rajput / खुदकों पहेचान ए राजपूत....

जय माताजी.....
 
 

एकबार एक शेर का बच्चा अपने दूसरे भाइयो से भिसड़ के अलग हो गया ओर जाके sheep के जूण्ड के साथ मिल गया ओर वो उनके साथ ही बड़ा होने लगा .....वो बड़ा हो गया उसी जुण्ड मे ओर अब वो जंगल मे भी जाने लगा उसी जुण्ड के साथ लेकिन जंगल मे जैसे ही शेर आता तो sheep का ये जुण्ड भाग जाता था ओर ये शेर भी उनके साथ ही भाग जाता था॥ये देखकर दूसरे शेर को आश्चर्य होने लगा की ये शेर है फिर भी क्यू भाग रहा है...एक दिन शांति से शेरो ने उस शेर को पकड़ लिया ओर उसे तालाब के पास ले गए ओर उसे कहा की वो शेर है॥उसने जब अपना प्रतिबिंब पनि मे देखा तो उसके अंदर के खून के संस्कार जग गए ओर वो शेरो के साथ शिकार करने लगा.......
 
आपको नहीं लगता की ये स्टोरी आज के टाइम मे हमे ही लागू होती है हम भी अपने भाइयो से बिसड़ के सब अलल्ग अलग हो गए है ओर ऐसे ही किसी न किसी sheep के जुण्ड मे जाकर अपने खुद के संस्कार ओर खुदकी पहेचान भी भूल गए है...हमे पता ही नहीं है की हम कोण है....जब भी कोई दूसरा शेर हमे अपने पैन का अहेसाश करने आता है तो हम उन्हे देखकर भाग जाते है क्यूकी हमने खुद को आईने मे देखनी की कभी कोशिश ही नहीं की......जरूरु है अपने जमीर को जागकर एकबार अपने आप को आईने मे देखने की ओर एकबार हम अपने आपको पहेचान गए तो फिर हमारे अंदर के खून के संस्कार जग जाएंगे ओर फिर दुनिया मे कुछ भी ऐसा नहीं है जो हम हासिल न कर सके....बस हमे जगाने के लिए आते हमारे भाइयो को देखकर भागना बंद करना होगा......

जय माताजी ...जय राजपूताना....

Tuesday, December 10, 2013

Yuddh E J Kalyan /युद्ध ए ज कल्याण ....

पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
                                हवे तो युद्ध एज कल्याण........
कश्मीर जा रहा है हाथो से निकल,
चीन जा रह है अरुणाचल को निगल,
चारो और से हड़प रहे है अंग भारतमात का,,
बचाना है अगर भरतखंड को टूटने से,
धरती कर रही है पुकार के.......,
पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
                                 हवे तो युद्ध एज कल्याण.........
राज कर रहे है जो राजधानी से ,
मोज कर रहे है वो अपनी मनमानी से,
छोड़कर कम राज का लगे है सब खींचातानी मै
कौन समजाये उनको बरसो लगे है आज़ादी पाने मई,
फिर से जक्कड़ न ले जंजीरे गुलामी की ,
आज़ाद रखना है वतन को अगर....,
पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
                                 हवे तो युद्धा एज कल्याण..........
मचा रखा है आतंक चारो और आतंकियो ने,
शोर मचा रहे है तोड़ने भारतको उग्रवादियो ने,
कही पर नक्सली, कही पर खड़े है माओ,
भारती कर रही है पुकार मुझे बचाओ,
अगर बचानी है लाज आज लुन्ताने से......,
पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
                                 हवे तो युद्ध एज कल्याण.............
ब्लास्ट और गोलियों की बरसात है,
खौफ से डरा हुआ आज प्र हिंदुस्तान है,
चाहते हो अगर बेख़ौफ़ भविष्य इस देश का,
मिटटी कर रही है पुकार..............,
पार्थ ने कहो चढ़ावे बाण,
                                 हवे तो युद्ध एज कल्याण...........

Kurbaniya..
















रंग देंगे तुजे कुरबानियों के लहू से ए भारती,ठनकार बात ये दिल मे निकले है हम शान से,न अनशन,न आंदोलन,अब जो होगा,वो होगा तलवार की धार से,काटेंगे सर दुश्मनो के,बहेगी नदिया खून की दो धार से,रंग देंगे तुजे कुरबानियों के लहू से ए भारती,हो दुश्मन कोई भी चाहे,निकले है शिना तन के,अब न जुल्म सहेना है,न अब जुकाकर जीना है,सर चढ़ने टूज पर ए माँ ,निकले है हम आन से,जला देंगे संसद ओर सिस्टम जो तेरे दमन पे दाग लगाए,सींचकर लहू अपना धो देंगे तेरे दमन को,लाएँगे फिर से बाहर हम जी जन से,रंग देंगे तुजे क्रबानियों के लहू से ए भारती,ठनकार बात ये दिल मे निकले है हम शान से,
(वीर)






LAGE APNE DIL PE UN JAKHMO KO KAISE BHAREGI VO,
ANCHAL ME PALNE VALO NE HO AAJ FADA HE ANCHAL MAKA,

VAQT AA CHUKA HE AB AAN BACHANE USKI,
JAN CHAHE LENI PADE,RAKT BAHAKAR DAG DHONE PADE,

SAR KI HO MALA USKO ARPAN AB,
CHAHE APNE HO YA DUSMANO KO KATNE PADE,

BAE BAHOT HO CHUKI OR BAHOT SE JULUS NIKAL CHUKE,
RAN SANGRAM ME SHANKHNAD AB KARNE HOGE,

LAJ BACHANE MAAT KI FIR KURUKSHETRA ME,
APNO KE HI SAR KUCHANE HOGE.....


NA KOI KRISHNA AYEGA IS BAR...NA KOI GEETA HOGI AB....
KHUD KO JAGAKAR JUNG KA ELAN KARNA HOGA...LAAJ BACHANE BHARTI KI DOSTO,
HAME AB KUCH KARNA HOGA......JAY HIND ....JAY KRANTI........
जीत तब तक अधूरी है जब तक दुशमन को हुए नुकसान से दूसरों को सबक नहीं मिलता......

संजयलीला भंशाली ने समय का सही उपयोग किया है जिस दिन दीपिका गुजरात अनेवाली थी उसी दिन उसने लेखित मे दिया....????

सिर्फ जाती वाचक शब्द हटाने से लोगो के मींड़ कैसे चेंज होगे....लोगो फिल्म देखते होगे तब उनके मन मे तो एक ही विचार आयेगा की फिल्म की हीरोइन जो है वो एक राजपूत है ओर हीरो रबारी जो बैडमे हटा लिया है..........

उसमे हीरो हीरोइन ने पहने हुए कपड़े साफ बता ते है की वो कोनसी जाती का है...सब जानते है की आज से कुछ साल पहेले सिर्फ लोगो के पहेरवेश से उसकी जाती का पता लग जाता था जो की इस फिल्म मे है.........

गुजरात मे कच्छ का प्रदेश दिखाया है जिसे भी जो भी गलत है.......

फिल्म मे बहोत सी छीजे है ओर होती है जो बहोत कुछ कह जाती है सिर्फ दो शब्द हटेने से उसकी स्टोरी बदल नहीं जाती है.........

इससे तो ऊपर से फिल्म को ही फायदा मिलेगा ओर कल ओर भी लोग यही रास्ते पर चलेंगे पहेले हमारी मज़ाक उदयेणे फिर माफी मांग लेंगे.........

हमारा एक ही मक्षद होना चाहिए किसी भी हाल मै ये फिल्म गुजरात मै रिलीज़ नहीं होनी चाहिए......
राजपूत का सर्जन भगवान ने धर्म की रक्षा के लिए किया था,अपनी प्रजा की रक्षा ओर उसके प्रति समर्पित रहेना ही एक राजपूत  के जन्म का उदेश्य होता है....राजपूत के जन्म होते है वो देश,धर्म ओर प्रजा का हो जाता है उसकी ज़िंदगी ऑरो के नाम हो जाती है...उसके जीवन लक्ष्य ओर उदेश अपनी धरती , अपने राज्य की प्रजा ओर अपने धर्म की इफाजत करना होता है....इसके बदलेमे वो कभी भी किसी चीज की अपेक्षा नहीं रखता.....इन सब के लिए वो अपना सुख ,संपति ओर जीवन भी कुर्बान करने से कभी पीछे नहीं हटता.....राज धर्म के सामने वो अपना कुटुंब धर्म , पति धर्म,पिता धर्म,पुत्र धर्म की भी कुर्बानी देने से नहीं हिचकिचाता....क्यूकी की इन सभी रिश्तेदारों से ज्यादा उसकी ज़िम्मेदारी अपनी प्रजा ओर देश के प्रति होती है ओर इसीलिए हिंदुस्तान का इतिहास राजपूतो की कुर्बानियों से भरा हुआ है अगर हिंदुस्तान के इतिहास मे से राजपूतो को निकाल दिया जाए तो कुछ नहीं बचाता......राजपूत ही हिंदुस्तान का इतिहास है..........जय माताजी......जय राजपूतना.....

મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..

હમણાં રથયાત્રા નિમિતે બંધોબસ્ત માં આવેલા આર્મી ના જવાનો નું અભૂતપૂર્વ સ્વાગત કરવામાં આવ્યું.. મારી જાણ મુજબ કદાચ લોકો માં પહેલા સૈન્ય પ્રત...