मै जानता हु आज के टाइम मै
किसी के पास टाइम नहीं है,सब अपनी करिएर बनाने मै,तो कुछ अपनी फ़ैमिली की
जवाबदारी मै बंधे हुए है ऐसे टाइम मै समाज ओर देश के लिए टाइम निकालना
मुश्किल है ओर दूसरी समस्या है आर्थिक सबके पास इतना पैसा तो नहीं है की वो
समाज के लिए कुछ भी कर सके...लेकिन क्या सिर्फ इस दो नो कारण से हमारी
समाज ओर देश के प्रति जो जवाबदारी है वो खतम हो जाती है....जिसे समाज ने
हमे हाम्रा विकास के लिए हर वक़्त सहारा दिया ओर जिस देश की धरती मै हम पैदा
हुए है उंसके प्रति हमराई जवाबदारी हम कब निभाएंगे.....?????
Saturday, October 26, 2013
Unity is strength......
सब यही कहेते है की एकता मै ताकत है लेकिन एकता बनती कैसे है ये कोई नहीं कहेता है...बहुत कुछ क़ुरबान करना पड़ता है किसी के साथ एक होने के लिए ओर सबसे बड़ी चीज है वो है हमारा मिथ्याभिमान , इगो जो हमे कभी एक नहीं होने देता जब तक हम इनका त्याग नहीं करेंगे तब तक एक नहीं हो पाएंगे ...ओर आज के समय की सबसे बड़ी मांग है वो है एकता...अगर आप ओर आपका समाज संगठित नहीं है तो आप ओरो के सामने तिक नहीं पाओगे...न तो आपका विकास होगा नहीं ही आपके समाज का.....न ही आपकी इज्जत बचेगी नहीं समाज की...आप अपने स्वाभिमान के लिए कभी लड़ नहीं पाओगे...कोई भी एरा गेरा आदमी आपकी इज्जत आपके स्वमान ,आपके समाज आसानी से कीचड़ उसाल सकेगा...जैसे आज के समय मै हो रहा है...कोई भी आपके भव्य ओर गौरवातींत इतिहास को किसी भी रूप मे समाज के सामने रख सकता है....
ये सब इसीलिए हो रहा है क्यूकी हजारो सालो के बाद भी हम एक नहीं हो प रहे है...हमारा मिथ्याभिमान ओर इगो हमे एक नहीं होने देते....हमारा समाज सिक्षित हुआ है लेकिन उसका लाभ समाज को नहीं मिला क्यूकी की आज की यंग जनरेसन ही समाज ओर देश के प्रति अपने कर्तव्य के विमुक्त हो जा रही है....इतिहास बनाना तो दूर की बात है जो है हम उसे बचाने मै भी नाकामियाब साबित हो रहे है......
हमारी इसी कमजोरी की वजह से राजकारण से लगभग राजपूतो को अलग ही कर दिया है सिर्फ गुजरात की बात करे तो पशेले जीतने राजपूतो को विधानसभ की टिकिट मिति थी इनमे से बहोत कम हो गए है ओर दिन प्रति दिन इस संख्या मै कमी होती जा रही है ओर ऐसा इसीलिए हो रहा है क्यूकी सब जानते है की हम क्कभी के होकर लड़ नहीं सकेंगे.....
अगर हमे अपना स्वमान बचाए रखना है ओर समाज को किसी मुकाम पे ले जाना है तो हमे एक होना पड़ेगा हमारे इगो को सोडकर सके साथ चलना होगा ॥व्यक्ति विकास नहीं पर समाज के विकास की चिंता करनी पड़ेगी ओर उसके लिए अपनी जिंदगी का कीमती समय देना होगा...हर गीले सिकवे को भूलकर सबके सत्यह चलना होगस अगर आज हम एक नहीं हुए तो वो दिन दूर नहीं जब राजपूत सिर्फ इतिहास मै ही रहे जाएंगे....हमारा वजूद खतम हो जाएगा ...........
जय माताजी..................जय राजपूतना...................... .............
............................वीर ............................ ............................
सब यही कहेते है की एकता मै ताकत है लेकिन एकता बनती कैसे है ये कोई नहीं कहेता है...बहुत कुछ क़ुरबान करना पड़ता है किसी के साथ एक होने के लिए ओर सबसे बड़ी चीज है वो है हमारा मिथ्याभिमान , इगो जो हमे कभी एक नहीं होने देता जब तक हम इनका त्याग नहीं करेंगे तब तक एक नहीं हो पाएंगे ...ओर आज के समय की सबसे बड़ी मांग है वो है एकता...अगर आप ओर आपका समाज संगठित नहीं है तो आप ओरो के सामने तिक नहीं पाओगे...न तो आपका विकास होगा नहीं ही आपके समाज का.....न ही आपकी इज्जत बचेगी नहीं समाज की...आप अपने स्वाभिमान के लिए कभी लड़ नहीं पाओगे...कोई भी एरा गेरा आदमी आपकी इज्जत आपके स्वमान ,आपके समाज आसानी से कीचड़ उसाल सकेगा...जैसे आज के समय मै हो रहा है...कोई भी आपके भव्य ओर गौरवातींत इतिहास को किसी भी रूप मे समाज के सामने रख सकता है....
ये सब इसीलिए हो रहा है क्यूकी हजारो सालो के बाद भी हम एक नहीं हो प रहे है...हमारा मिथ्याभिमान ओर इगो हमे एक नहीं होने देते....हमारा समाज सिक्षित हुआ है लेकिन उसका लाभ समाज को नहीं मिला क्यूकी की आज की यंग जनरेसन ही समाज ओर देश के प्रति अपने कर्तव्य के विमुक्त हो जा रही है....इतिहास बनाना तो दूर की बात है जो है हम उसे बचाने मै भी नाकामियाब साबित हो रहे है......
हमारी इसी कमजोरी की वजह से राजकारण से लगभग राजपूतो को अलग ही कर दिया है सिर्फ गुजरात की बात करे तो पशेले जीतने राजपूतो को विधानसभ की टिकिट मिति थी इनमे से बहोत कम हो गए है ओर दिन प्रति दिन इस संख्या मै कमी होती जा रही है ओर ऐसा इसीलिए हो रहा है क्यूकी सब जानते है की हम क्कभी के होकर लड़ नहीं सकेंगे.....
अगर हमे अपना स्वमान बचाए रखना है ओर समाज को किसी मुकाम पे ले जाना है तो हमे एक होना पड़ेगा हमारे इगो को सोडकर सके साथ चलना होगा ॥व्यक्ति विकास नहीं पर समाज के विकास की चिंता करनी पड़ेगी ओर उसके लिए अपनी जिंदगी का कीमती समय देना होगा...हर गीले सिकवे को भूलकर सबके सत्यह चलना होगस अगर आज हम एक नहीं हुए तो वो दिन दूर नहीं जब राजपूत सिर्फ इतिहास मै ही रहे जाएंगे....हमारा वजूद खतम हो जाएगा ...........
जय माताजी..................जय राजपूतना......................
............................वीर ............................
Jay rajputana….
Bich ran me laherata hua ye rajputi shan ka dhwaj aaj pukar ke keh raha hai ki is desh ko fir se aaj rajputo ki jarurat padi hai….desh ki mitti pyasi hui hai or unki pyas bujane ke liye pani nahi par khoon ki jarurar hai or vo sirf rajput hi buja sakte hai..hamne desh or janta ki bhalai ke liye jo satta in gaddar netao ke hath me de di thi aaj fir se use apne hath me leni ki jarurat padi hai….itihas sakshi hai ki parsuram ne 21 bar kshatriyo se satta sinkar brahmano ko dedi thi or har bar is desh ki raksha ke liye rajputo ki utpati ki jarurat padi hai…aaj fir se vahi samay aa gaya hai…jinhe assa samajkar hamne satta or sampati sop di unhone desh ki janta ko lutne ke siva kuch nahi kiya…..aaj janta ki pukar hai……..
->Dekho ye laherata hua dhwaj……use jung ki ek pukar ki jarurat hai……
->Desh ke katalkhano me katati hue gau mata ki pukar suno…..
->Lutati,marti or pisati hui janta ki aavaj ……….
->Lutati hui laaj bachane ke liye desh ki beti o ki dardnak aavaj se hamara khoon kyo garam nahi ho raha hai….
->Rajniti ke bich me marta hua dharma pukar raha hai…..
...........Jay mataji...............Jay Rajputana................
Bich ran me laherata hua ye rajputi shan ka dhwaj aaj pukar ke keh raha hai ki is desh ko fir se aaj rajputo ki jarurat padi hai….desh ki mitti pyasi hui hai or unki pyas bujane ke liye pani nahi par khoon ki jarurar hai or vo sirf rajput hi buja sakte hai..hamne desh or janta ki bhalai ke liye jo satta in gaddar netao ke hath me de di thi aaj fir se use apne hath me leni ki jarurat padi hai….itihas sakshi hai ki parsuram ne 21 bar kshatriyo se satta sinkar brahmano ko dedi thi or har bar is desh ki raksha ke liye rajputo ki utpati ki jarurat padi hai…aaj fir se vahi samay aa gaya hai…jinhe assa samajkar hamne satta or sampati sop di unhone desh ki janta ko lutne ke siva kuch nahi kiya…..aaj janta ki pukar hai……..
->Dekho ye laherata hua dhwaj……use jung ki ek pukar ki jarurat hai……
->Desh ke katalkhano me katati hue gau mata ki pukar suno…..
->Lutati,marti or pisati hui janta ki aavaj ……….
->Lutati hui laaj bachane ke liye desh ki beti o ki dardnak aavaj se hamara khoon kyo garam nahi ho raha hai….
->Rajniti ke bich me marta hua dharma pukar raha hai…..
...........Jay mataji...............Jay Rajputana................
जीत तब तक अधूरी है जब तक दुशमन को हुए नुकसान से दूसरों को सबक नहीं मिलता......
संजयलीला भंशाली ने समय का सही उपयोग किया है जिस दिन दीपिका गुजरात अनेवाली थी उसी दिन उसने लेखित मे दिया....????
सिर्फ जाती वाचक शब्द हटाने से लोगो के मींड़ कैसे चेंज होगे....लोगो फिल्म देखते होगे तब उनके मन मे तो एक ही विचार आयेगा की फिल्म की हीरोइन जो है वो एक राजपूत है ओर हीरो रबारी जो बैडमे हटा लिया है..........
उसमे हीरो हीरोइन ने पहने हुए कपड़े साफ बता ते है की वो कोनसी जाती का है...सब जानते है की आज से कुछ साल पहेले सिर्फ लोगो के पहेरवेश से उसकी जाती का पता लग जाता था जो की इस फिल्म मे है.........
गुजरात मे कच्छ का प्रदेश दिखाया है जिसे भी जो भी गलत है.......
फिल्म मे बहोत सी छीजे है ओर होती है जो बहोत कुछ कह जाती है सिर्फ दो शब्द हटेने से उसकी स्टोरी बदल नहीं जाती है.........
इससे तो ऊपर से फिल्म को ही फायदा मिलेगा ओर कल ओर भी लोग यही रास्ते पर चलेंगे पहेले हमारी मज़ाक उदयेणे फिर माफी मांग लेंगे.........
हमारा एक ही मक्षद होना चाहिए किसी भी हाल मै ये फिल्म गुजरात मै रिलीज़ नहीं होनी चाहिए......
कल गुजरात हाइ कोर्ट मे रामलीला पर पाबंदी लगाने की अराजी पर सुनवाई है ओर अगर मे गलत नहीं हु तो फैसला राजपूतो के खिलाफ ही होगा अब बात ये है की हमे क्या करना....मे ऐसे कानून जो सही फाइसल न ले सके ओर खामोश रहेनेवाली सरकार ओर ऐसी लोकशाही पर भरोसा नहीं करतहु ओर न ही करना चाहिए अब आमे अपनी आन के लिए लड़ना है ओर इसके लिए अगर कानून टूटता है तो टूटने दो ...लोकशाही का खून होता है तो होने दो लेकिन अपनी आन के लिए उठाए हथियार किसी भी हालत मे वापस नहीं रखने है....ओर हमारा तो यही धर्मा है की जब धर्मा पर, देश पर ,देश की जनता पर या अपनी आन की बात आती है तब कोई भी राजपूत किसी कानून या बंधन मे नहीं बंधा रहेता है.....कल के फाइसे ले के बाद हमे तय करना है की हमे क्या करना है...........
संजयलीला भंशाली ने समय का सही उपयोग किया है जिस दिन दीपिका गुजरात अनेवाली थी उसी दिन उसने लेखित मे दिया....????
सिर्फ जाती वाचक शब्द हटाने से लोगो के मींड़ कैसे चेंज होगे....लोगो फिल्म देखते होगे तब उनके मन मे तो एक ही विचार आयेगा की फिल्म की हीरोइन जो है वो एक राजपूत है ओर हीरो रबारी जो बैडमे हटा लिया है..........
उसमे हीरो हीरोइन ने पहने हुए कपड़े साफ बता ते है की वो कोनसी जाती का है...सब जानते है की आज से कुछ साल पहेले सिर्फ लोगो के पहेरवेश से उसकी जाती का पता लग जाता था जो की इस फिल्म मे है.........
गुजरात मे कच्छ का प्रदेश दिखाया है जिसे भी जो भी गलत है.......
फिल्म मे बहोत सी छीजे है ओर होती है जो बहोत कुछ कह जाती है सिर्फ दो शब्द हटेने से उसकी स्टोरी बदल नहीं जाती है.........
इससे तो ऊपर से फिल्म को ही फायदा मिलेगा ओर कल ओर भी लोग यही रास्ते पर चलेंगे पहेले हमारी मज़ाक उदयेणे फिर माफी मांग लेंगे.........
हमारा एक ही मक्षद होना चाहिए किसी भी हाल मै ये फिल्म गुजरात मै रिलीज़ नहीं होनी चाहिए......
कल गुजरात हाइ कोर्ट मे रामलीला पर पाबंदी लगाने की अराजी पर सुनवाई है ओर अगर मे गलत नहीं हु तो फैसला राजपूतो के खिलाफ ही होगा अब बात ये है की हमे क्या करना....मे ऐसे कानून जो सही फाइसल न ले सके ओर खामोश रहेनेवाली सरकार ओर ऐसी लोकशाही पर भरोसा नहीं करतहु ओर न ही करना चाहिए अब आमे अपनी आन के लिए लड़ना है ओर इसके लिए अगर कानून टूटता है तो टूटने दो ...लोकशाही का खून होता है तो होने दो लेकिन अपनी आन के लिए उठाए हथियार किसी भी हालत मे वापस नहीं रखने है....ओर हमारा तो यही धर्मा है की जब धर्मा पर, देश पर ,देश की जनता पर या अपनी आन की बात आती है तब कोई भी राजपूत किसी कानून या बंधन मे नहीं बंधा रहेता है.....कल के फाइसे ले के बाद हमे तय करना है की हमे क्या करना है...........
आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बाण शान या कि जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड..
मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले
वोही तो एक सर्वशक्तिमान है
कृष्ण की पुकार है ये भागवत का सार है
कि युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है
कौरोवों की भीड़ को या पांडवों का नीड़ हो
जो लड़ सका है वो ही तो महान है
जीत की हवस नहीं किसी पे कोई वश नहीं
क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पे मार दो
मौत अंत है नहीं तो मौत से भी क्यूँ डरें
ये जा के आसमान में दहाड़ दो
आरंभ है प्रचंड..
वो दया भाव या कि शौर्य का चुनाव
या कि हार का वो घाव तुम ये सोच लो
या की पुरे भाल पे जला रहे विजय का लाल
लाल यह गुलाल तुम ये सोच लो
रंग केशरी हो या मृदंग केशरी हो
या कि केशरी हो ताल तुम ये सोच लो
जिस कवि की कल्पना में ज़िन्दगी हो प्रेम गीत
उस कवि को आज तुम नकार दो
भीगती मासों में आज फूलती रगों में आज
आग की लपट का तुम बघार दो
आरंभ है प्रचंड..
Saturday, April 20, 2013
LAGE APNE DIL PE UN JAKHMO KO KAISE BHAREGI VO,
ANCHAL ME PALNE VALO NE HO AAJ FADA HE ANCHAL MAKA,
VAQT AA CHUKA HE AB AAN BACHANE USKI,
JAN CHAHE LENI PADE,RAKT BAHAKAR DAG DHONE PADE,
SAR KI HO MALA USKO ARPAN AB,
CHAHE APNE HO YA DUSMANO KO KATNE PADE,
BAE BAHOT HO CHUKI OR BAHOT SE JULUS NIKAL CHUKE,
RAN SANGRAM ME SHANKHNAD AB KARNE HOGE,
LAJ BACHANE MAAT KI FIR KURUKSHETRA ME,
APNO KE HI SAR KUCHANE HOGE.....
NA KOI KRISHNA AYEGA IS BAR...NA KOI GEETA HOGI AB....
KHUD KO JAGAKAR JUNG KA ELAN KARNA HOGA...LAAJ BACHANE BHARTI KI DOSTO,
HAME AB KUCH KARNA HOGA......JAY HIND ....JAY KRANTI........
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મોદીજી અને વૈચારિક વિકાસ..
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UP special.... देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व का एजेंडा लेकर चलने वाले पक्ष को up की जनता ने प्रेम और आदर से जिताया और ...
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बारिश मे भीगते हुए उस बारिश की कुछ यादे ताजा हो गई..... बचपन की वो बारिश, ना चड्डी , ना कोई ख़्वाहिश, वो कागज़ की कस्ती ओर दोस्तो से मस्त...