Unity is strength......
सब यही कहेते है की एकता मै ताकत है लेकिन एकता बनती कैसे है ये कोई नहीं कहेता है...बहुत कुछ क़ुरबान करना पड़ता है किसी के साथ एक होने के लिए ओर सबसे बड़ी चीज है वो है हमारा मिथ्याभिमान , इगो जो हमे कभी एक नहीं होने देता जब तक हम इनका त्याग नहीं करेंगे तब तक एक नहीं हो पाएंगे ...ओर आज के समय की सबसे बड़ी मांग है वो है एकता...अगर आप ओर आपका समाज संगठित नहीं है तो आप ओरो के सामने तिक नहीं पाओगे...न तो आपका विकास होगा नहीं ही आपके समाज का.....न ही आपकी इज्जत बचेगी नहीं समाज की...आप अपने स्वाभिमान के लिए कभी लड़ नहीं पाओगे...कोई भी एरा गेरा आदमी आपकी इज्जत आपके स्वमान ,आपके समाज आसानी से कीचड़ उसाल सकेगा...जैसे आज के समय मै हो रहा है...कोई भी आपके भव्य ओर गौरवातींत इतिहास को किसी भी रूप मे समाज के सामने रख सकता है....
ये सब इसीलिए हो रहा है क्यूकी हजारो सालो के बाद भी हम एक नहीं हो प रहे है...हमारा मिथ्याभिमान ओर इगो हमे एक नहीं होने देते....हमारा समाज सिक्षित हुआ है लेकिन उसका लाभ समाज को नहीं मिला क्यूकी की आज की यंग जनरेसन ही समाज ओर देश के प्रति अपने कर्तव्य के विमुक्त हो जा रही है....इतिहास बनाना तो दूर की बात है जो है हम उसे बचाने मै भी नाकामियाब साबित हो रहे है......
हमारी इसी कमजोरी की वजह से राजकारण से लगभग राजपूतो को अलग ही कर दिया है सिर्फ गुजरात की बात करे तो पशेले जीतने राजपूतो को विधानसभ की टिकिट मिति थी इनमे से बहोत कम हो गए है ओर दिन प्रति दिन इस संख्या मै कमी होती जा रही है ओर ऐसा इसीलिए हो रहा है क्यूकी सब जानते है की हम क्कभी के होकर लड़ नहीं सकेंगे.....
अगर हमे अपना स्वमान बचाए रखना है ओर समाज को किसी मुकाम पे ले जाना है तो हमे एक होना पड़ेगा हमारे इगो को सोडकर सके साथ चलना होगा ॥व्यक्ति विकास नहीं पर समाज के विकास की चिंता करनी पड़ेगी ओर उसके लिए अपनी जिंदगी का कीमती समय देना होगा...हर गीले सिकवे को भूलकर सबके सत्यह चलना होगस अगर आज हम एक नहीं हुए तो वो दिन दूर नहीं जब राजपूत सिर्फ इतिहास मै ही रहे जाएंगे....हमारा वजूद खतम हो जाएगा ...........
जय माताजी..................जय राजपूतना...................... .............
............................वीर ............................ ............................
सब यही कहेते है की एकता मै ताकत है लेकिन एकता बनती कैसे है ये कोई नहीं कहेता है...बहुत कुछ क़ुरबान करना पड़ता है किसी के साथ एक होने के लिए ओर सबसे बड़ी चीज है वो है हमारा मिथ्याभिमान , इगो जो हमे कभी एक नहीं होने देता जब तक हम इनका त्याग नहीं करेंगे तब तक एक नहीं हो पाएंगे ...ओर आज के समय की सबसे बड़ी मांग है वो है एकता...अगर आप ओर आपका समाज संगठित नहीं है तो आप ओरो के सामने तिक नहीं पाओगे...न तो आपका विकास होगा नहीं ही आपके समाज का.....न ही आपकी इज्जत बचेगी नहीं समाज की...आप अपने स्वाभिमान के लिए कभी लड़ नहीं पाओगे...कोई भी एरा गेरा आदमी आपकी इज्जत आपके स्वमान ,आपके समाज आसानी से कीचड़ उसाल सकेगा...जैसे आज के समय मै हो रहा है...कोई भी आपके भव्य ओर गौरवातींत इतिहास को किसी भी रूप मे समाज के सामने रख सकता है....
ये सब इसीलिए हो रहा है क्यूकी हजारो सालो के बाद भी हम एक नहीं हो प रहे है...हमारा मिथ्याभिमान ओर इगो हमे एक नहीं होने देते....हमारा समाज सिक्षित हुआ है लेकिन उसका लाभ समाज को नहीं मिला क्यूकी की आज की यंग जनरेसन ही समाज ओर देश के प्रति अपने कर्तव्य के विमुक्त हो जा रही है....इतिहास बनाना तो दूर की बात है जो है हम उसे बचाने मै भी नाकामियाब साबित हो रहे है......
हमारी इसी कमजोरी की वजह से राजकारण से लगभग राजपूतो को अलग ही कर दिया है सिर्फ गुजरात की बात करे तो पशेले जीतने राजपूतो को विधानसभ की टिकिट मिति थी इनमे से बहोत कम हो गए है ओर दिन प्रति दिन इस संख्या मै कमी होती जा रही है ओर ऐसा इसीलिए हो रहा है क्यूकी सब जानते है की हम क्कभी के होकर लड़ नहीं सकेंगे.....
अगर हमे अपना स्वमान बचाए रखना है ओर समाज को किसी मुकाम पे ले जाना है तो हमे एक होना पड़ेगा हमारे इगो को सोडकर सके साथ चलना होगा ॥व्यक्ति विकास नहीं पर समाज के विकास की चिंता करनी पड़ेगी ओर उसके लिए अपनी जिंदगी का कीमती समय देना होगा...हर गीले सिकवे को भूलकर सबके सत्यह चलना होगस अगर आज हम एक नहीं हुए तो वो दिन दूर नहीं जब राजपूत सिर्फ इतिहास मै ही रहे जाएंगे....हमारा वजूद खतम हो जाएगा ...........
जय माताजी..................जय राजपूतना......................
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