जीत तब तक अधूरी है जब तक दुशमन को हुए नुकसान से दूसरों को सबक नहीं मिलता......
संजयलीला भंशाली ने समय का सही उपयोग किया है जिस दिन दीपिका गुजरात अनेवाली थी उसी दिन उसने लेखित मे दिया....????
सिर्फ जाती वाचक शब्द हटाने से लोगो के मींड़ कैसे चेंज होगे....लोगो फिल्म देखते होगे तब उनके मन मे तो एक ही विचार आयेगा की फिल्म की हीरोइन जो है वो एक राजपूत है ओर हीरो रबारी जो बैडमे हटा लिया है..........
उसमे हीरो हीरोइन ने पहने हुए कपड़े साफ बता ते है की वो कोनसी जाती का है...सब जानते है की आज से कुछ साल पहेले सिर्फ लोगो के पहेरवेश से उसकी जाती का पता लग जाता था जो की इस फिल्म मे है.........
गुजरात मे कच्छ का प्रदेश दिखाया है जिसे भी जो भी गलत है.......
फिल्म मे बहोत सी छीजे है ओर होती है जो बहोत कुछ कह जाती है सिर्फ दो शब्द हटेने से उसकी स्टोरी बदल नहीं जाती है.........
इससे तो ऊपर से फिल्म को ही फायदा मिलेगा ओर कल ओर भी लोग यही रास्ते पर चलेंगे पहेले हमारी मज़ाक उदयेणे फिर माफी मांग लेंगे.........
हमारा एक ही मक्षद होना चाहिए किसी भी हाल मै ये फिल्म गुजरात मै रिलीज़ नहीं होनी चाहिए......
कल गुजरात हाइ कोर्ट मे रामलीला पर पाबंदी लगाने की अराजी पर सुनवाई है ओर अगर मे गलत नहीं हु तो फैसला राजपूतो के खिलाफ ही होगा अब बात ये है की हमे क्या करना....मे ऐसे कानून जो सही फाइसल न ले सके ओर खामोश रहेनेवाली सरकार ओर ऐसी लोकशाही पर भरोसा नहीं करतहु ओर न ही करना चाहिए अब आमे अपनी आन के लिए लड़ना है ओर इसके लिए अगर कानून टूटता है तो टूटने दो ...लोकशाही का खून होता है तो होने दो लेकिन अपनी आन के लिए उठाए हथियार किसी भी हालत मे वापस नहीं रखने है....ओर हमारा तो यही धर्मा है की जब धर्मा पर, देश पर ,देश की जनता पर या अपनी आन की बात आती है तब कोई भी राजपूत किसी कानून या बंधन मे नहीं बंधा रहेता है.....कल के फाइसे ले के बाद हमे तय करना है की हमे क्या करना है...........
संजयलीला भंशाली ने समय का सही उपयोग किया है जिस दिन दीपिका गुजरात अनेवाली थी उसी दिन उसने लेखित मे दिया....????
सिर्फ जाती वाचक शब्द हटाने से लोगो के मींड़ कैसे चेंज होगे....लोगो फिल्म देखते होगे तब उनके मन मे तो एक ही विचार आयेगा की फिल्म की हीरोइन जो है वो एक राजपूत है ओर हीरो रबारी जो बैडमे हटा लिया है..........
उसमे हीरो हीरोइन ने पहने हुए कपड़े साफ बता ते है की वो कोनसी जाती का है...सब जानते है की आज से कुछ साल पहेले सिर्फ लोगो के पहेरवेश से उसकी जाती का पता लग जाता था जो की इस फिल्म मे है.........
गुजरात मे कच्छ का प्रदेश दिखाया है जिसे भी जो भी गलत है.......
फिल्म मे बहोत सी छीजे है ओर होती है जो बहोत कुछ कह जाती है सिर्फ दो शब्द हटेने से उसकी स्टोरी बदल नहीं जाती है.........
इससे तो ऊपर से फिल्म को ही फायदा मिलेगा ओर कल ओर भी लोग यही रास्ते पर चलेंगे पहेले हमारी मज़ाक उदयेणे फिर माफी मांग लेंगे.........
हमारा एक ही मक्षद होना चाहिए किसी भी हाल मै ये फिल्म गुजरात मै रिलीज़ नहीं होनी चाहिए......
कल गुजरात हाइ कोर्ट मे रामलीला पर पाबंदी लगाने की अराजी पर सुनवाई है ओर अगर मे गलत नहीं हु तो फैसला राजपूतो के खिलाफ ही होगा अब बात ये है की हमे क्या करना....मे ऐसे कानून जो सही फाइसल न ले सके ओर खामोश रहेनेवाली सरकार ओर ऐसी लोकशाही पर भरोसा नहीं करतहु ओर न ही करना चाहिए अब आमे अपनी आन के लिए लड़ना है ओर इसके लिए अगर कानून टूटता है तो टूटने दो ...लोकशाही का खून होता है तो होने दो लेकिन अपनी आन के लिए उठाए हथियार किसी भी हालत मे वापस नहीं रखने है....ओर हमारा तो यही धर्मा है की जब धर्मा पर, देश पर ,देश की जनता पर या अपनी आन की बात आती है तब कोई भी राजपूत किसी कानून या बंधन मे नहीं बंधा रहेता है.....कल के फाइसे ले के बाद हमे तय करना है की हमे क्या करना है...........
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