बारिश मे भीगते हुए उस बारिश की कुछ यादे ताजा हो गई.....
बचपन की वो बारिश, ना चड्डी , ना कोई ख़्वाहिश,
वो कागज़ की कस्ती ओर दोस्तो से मस्ती,
गाव की भीनी मिट्टी की खुशबू ठंडी हवा के साथ,
रात का अंधेरा ओर मिट्टी का घर, हर कड़ाके मे दर, माँ का पलाव अपने सर,
वो बुजुर्गो का चिल्लाना.......तकलीफ सब की बाँट कर जगते हुए रात बिताना,
पत्थरो के इस जंगल मे ना ही वो मिट्टी की खुशबू है, ना ही वो दोस्तो की मस्ती,
ना ही यहा राते अंधेरी है ओर नहीं कोई डर,
बचपन की वो बारिश, ना चड्डी , ना कोई ख़्वाहिश,
वो कागज़ की कस्ती ओर दोस्तो से मस्ती,
गाव की भीनी मिट्टी की खुशबू ठंडी हवा के साथ,
रात का अंधेरा ओर मिट्टी का घर, हर कड़ाके मे दर, माँ का पलाव अपने सर,
वो बुजुर्गो का चिल्लाना.......तकलीफ सब की बाँट कर जगते हुए रात बिताना,
पत्थरो के इस जंगल मे ना ही वो मिट्टी की खुशबू है, ना ही वो दोस्तो की मस्ती,
ना ही यहा राते अंधेरी है ओर नहीं कोई डर,